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दोस्तों अभी तक हजारों किडनी पेशेंट से बात करके और अपने अनुभवों से मैंने जो कुछ सीखा और जाना है वो सब कुछ मैं इस पोस्ट में लिखना चाहता हूँ, इसलिए पोस्ट थोड़ी बड़ी हो जाएगी लेकिन यदि कोई किडनी पेशेंट ठीक होना चाहता है तो डिटेल्स में इन बातों को समझना जरूरी है, नहीं तो आप कही भी जाए, ठगे ही जाएंगे ।
आप चाहे एलोपैथिक वाले के पास जाए चाहे आयुर्वेदिक के पास, चाहे होम्योपैथी वाले के पास, कोई भी यह नहीं बताता की किडनी में क्या बीमारी है, और क्रिएटिनिन यूरिया क्यों बढ़ रहा है, सब अपने हिसाब से दवाइयाँ देते रहते हैं और कुछ समय तक क्रिएटिनिन यूरिया नार्मल हो जाता है, कम हो जाता है, या कंट्रोल रहता है, फिर धीरे धीरे बढ़ना चालू होता है और डायलिसिस या ट्रांसप्लांट तक पहुंचा देता है, यही हर जगह हो रहा है, जबकि उसके सही कारणों का पता लगाकर ये ही दवाएं दी जाए और कारण का निवारण सही तरह हो जाए तो क्रिएटिनिन और यूरिया बढ़ेगी ही नहीं तो फिर दवा की जरूरत ही नहीं रहेगी ।
हमें क्रिएटिनिन और यूरिया की चिंता नही करके किडनी की चिंता करनी चाहिए, किडनी अपने आप में सक्षम है क्रेटिनीन यूरिया को बाहर निकालने में, अम्ल और क्षार में संतुलन बनाने में, बीपी शुगर को कंट्रोल करने में, इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस रखने में, प्रोटीन, एल्बुमिन, रेड ब्लड सेल्स, वाइट ब्लड सेल्स जो भी शरीर के लिए आवश्यक तत्व है उसे डिटेन करने में, जो अनावश्यक है उसे पेशाब के जरिए बाहर कर देने में, बशर्ते कि किडनी को केवल पौष्टिक रक्त और शुद्ध ऑक्सीजन मिल जाए, लेकिन हम यही दो चीज किडनी को नहीं देकर जो जो बढ़ रहा है जो घट रहा है उसके लिए दवाओं का सेवन करके किडनी से जबरदस्ती काम करवाना चाहते हैं, जैसे डाइयूरेटिक दवाओं का सेवन आदि, हम अपने उद्देश्य में थोड़े समय के लिए सफल भी हो जाते हैं तो खुश हो जाते हैं समझते हैं हमने किडनी की बीमारी जीत लिया है, लेकिन किडनी के कितने नेफ्रोन इस जबरदस्ती में शहीद हुए इसके बारे में नहीं सोचते, आइए जानते हैं नेफ्रोन के शहीद होने के कारणों के बारे में ———
यदि रक्त गाढ़ा हो, रक्तमें क्लोटिंग होता हो, यूरिक एसिड बढ़ा हो, एलडीएल बढ़ा हो, वीएलडीएल बढ़ा हो, ट्राईग्लिसराइड बढ़ा हो, कैल्सिफिकेशन हो, फॉस्फोरस डिपॉजिट हो रहा हो, ईएसआर बढ़ा हो, थाइराइड बढ़ा हो, पैराथाईराइड बढ़ा हो तो ये सब किडनी के पक्के दुश्मन हैं, और आपकी किडनी को शहीद करने में लगे रहेंगे, और एक दिन किडनी शहीद हो जाएगी, भले आपने क्रिएटिनिनऔर यूरिया थोड़े समय के लिए कंट्रोल कर लीजिये, लेकिन अंत में यही होगा, तो क्या करना चाहिए, आइए हम बताते हैं कि क्या कीजिए ——–

  1. पौष्टिक रक्त : पहला काम भोजन में विटामिन और मिनरल्स पर्याप्त मात्रा में होना चाहिए, उसके बाद जो खाया है, उसका डाइजेशन सही होना चाहिए, उसके बाद मेटाबॉलिज्म सही होना चाहिए, अब मेटाबॉलिज्म के लिए तरह तरह के प्रोटीन, हार्मोइस, एंजाइम्स की जरूरत होती है, जो की लीवर, गॉलब्लेडर, पैंक्रियास, स्पिलिन, थाइराइड और पैराथाईराइड के द्वारा मिलता है यदि इन सबमें कोई प्रॉबलम्स है तो मुश्किल होगी, जैसे खाना नही पचा तो सड़ेगा फिर कब्ज, एसिडिटी, गैस, यूरिक एसिड, एलडीएल, वीएलडीएल और ट्राईग्लिसराइड जैसे विषैले तत्त्वों का निर्माण होगा जो किडनी को नुकसान पहुंचा सकते हैं । मेटाबॉलिज्म में 2 क्रियायें होती हैं कैटाबॉलिस्म और एनबोलिस्म, कैटाबॉलिस्म के द्वारा हमारे खाने के पचाने के बाद उसके अंदर जो भी अणु या ऊर्जा होती है उसका विभक्तिकारण होता है और एनबोलिस्म में ठीक इसका उल्टा एकत्रीकरण होता है, और सारे पोषक तत्वो को जहाँ जहाँ जरूरी होता है धमनियों के द्वारा ब्लड और ऑक्सीजन की सहायता से सप्लाई होता है ।
  2. शुद्ध ऑक्सीजन : ऑक्सीजन को प्राण वायु भी कहते हैं शरीर में कैसा भी जख्म हो, घाव हो, ऑपरेशन हो या कोई बीमारी हो उसकी हीलिंग के लिए ऑक्सीजन बहुत जरूरी है बिना ऑक्सीजन के किसी भी बीमारी का इलाज नहीं हो सकता, शुद्ध ऑक्सीजन के लिए पहले वातावरण में शुध्द ऑक्सीजन हो, दूसरे लंग्स में कोई प्रॉब्लम नहीं हो, यदि लंग्स में फ्लूइड जमा हुआ है, पानी भर जाए या स्वेलिंग है तो पर्याप्त ऑक्सीजन मिलना मुश्किल है।
    बस बात इतनी ही है लेकिन हम लोग पेड़ के डाली डाली पत्ते पत्ते पानी दे रहे हैं, उसकी जड़ को छोड़ बैठे हैं, अब कोई डॉक्टर और वैद्य आपको न तो यह बताता है न ही इसे ठीक करने के लिए कोशिश करता है वो और हम क्रिएटिनिन और यूरिया के पीछे पड़े हैं, यही किडनी पूरी तरह ठीक नहीं होने का कारण है अब सबसे बड़ी समस्या यह है कि जब डॉक्टर नहीं बताएगा तो हम क्या करें , इसका बहुत आसान उपाय यह है कि ——–
    आपको होल एब्डोमेन की अल्ट्रासाउंड/सोनोग्राफी या सीटीस्कैन देखने आना चाहिए आपको समझ में या पढ़ने नहीं आता तो जहाँ से कराया है उससे पूछिए या किसी और पढ़े लिखे से पढ़वाकर जान सकते हैं, उसमें ऐसा कुछ भी नहीं लिखा होता जो आप चाहे और समझ नहीं सके, बड़े बड़े शब्दों से मत डरिए वो सब आपके अंदर लीवर पैंक्रियास, गॉलब्लेडर, किडनी, यूरेटर, यूरीनरी ब्लाडर, प्रोस्टेट, यूटेरस, ओवरी के अंदर के पार्ट्स और एरिया धमनियों के नाम ही होते हैं इसके अलावा कुछ नहीं होता है अब किस पार्ट मे क्या प्रॉब्लम है वही लिखा होता है जैसे कुछ कॉमन शब्द मिलेंगे डायलेटेड इसका मतलब कोई अवरोधक है, कैल्कुलस, कॉन्क्रिशन, कॉलेलीथिएसिस मतलब पथरी सिस्ट्स मतलब गाँठ स्काररिंग मतलब जख्म इनक्रीस या एनलार्जमेंट मतलब बड़ा होना या किसी न किसी पार्ट की साइज लिखी होती है उसकी नॉर्मल साइज आपको गूगल पर इमेज के साथ मिल जाएगी या तो बड़ी हुई है या छोटी हुई है दोनों का क्या असर होता है गूगल पर उसके बारे में डॉक्टरस की ओपिनियन भी मिल जाएगी उससे क्या नुकसान होने वाला है यदि आपको यह मालूम हो जाएगा तो डॉक्टर आपको बेवकूफ नहीं बना पाएगा या तो उसकी दवा देगा या कहेगा कि मैं यह ठीक नहीं कर सकता, यदि दवा देता है और पेशेंट को कोई गंभीर समस्या है तो 3 महीने बाद दोबारा होल एब्डोमेन की अल्ट्रासाउंड कराकर रिव्यु करे, नहीं तो 6 महीने बाद रिव्यु करें, अपना मॉनिटर खुद बनिए,जब तक समस्या का समाधान नहीं हो, तब तक पीछा मत छोड़िए ।
    मैंने इंटरनेट पर ही पढा कि किडनी पेशेंट लिए अमेरिका में मेटाबोलिक उपचार पद्धति चालू हुई है जो कि बहुत ही सफल हो रही है मेटाबॉलिज्म सही करके हम जो गवाँ चुके हैं उसे दोबारा हासिल किया जा सकता है ।
    सीकेडी के पेशेंट को आयुर्वेदिक, होमेओपेथी और नेचुरोपैथी पर भी विश्वास करना होगा एक एलोपैथिक डॉक्टर आपको ज्यादा से ज्यादा क्या देगा, डाइयूरेटिक दवाएं, सोडियम बाईकॉर्बोनेट, स्टेरॉयड और एंटीबायोटिक के अलावा आयरन, कैलसियम, विटामिन्स के अलावा क्या दे सकता है जो जो समस्याएं बताएंगे उन सबके लिए ही दवाएं लिखेगा जैसे कब्ज, एसिडिटी, गैस, बीपी, शुगर, नौसिया, वॉमिटिंग, हेडेक, थाइराइड, पैराथाइराइड आदि, जितनी ज्यादा दवा खाएंगे किडनी को उतनी ही प्रॉबलम्स होगी, इसलिए कम से कम दवा का सेवन करने के लिए और अपनी किडनी ठीक करने के लिए मेटाबोलिज्म पर ज्यादा ध्यान दीजिये ।
    बहुत बहुत धन्यवाद,

इस पोस्ट को इतना शेयर कीजिए कि हर किडनी के पेशेंट तक पहुंच जाए । *धन्यवाद, *

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