Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

आठवीं महाविद्या बगलामुखी

दस महाविद्या में बगलामुखी आठवीं मानी जाती हैं। इन्हें भगवान विष्णु की शक्ति भी कहा जाता है। शत्रु के संहार, दमन, स्तंभन आदि में इनका प्रयोग अचूक माना गया है। अच्छे साधक प्रकृति तक के क्रियाकलापों को स्तंभित कर लेते हैं, हालांकि यह सर्वथा अनुचित है। माता बगलामुखी ही ब्रह्मास्त्र शक्ति मानी जाती हैं। इनका ब्रह्मास्त्र स्तोत्र अत्यंत प्रभावी है। इनकी सामान्य पूजा भी अत्यंत कल्याणकारी मानी जाती है। नियमित दर्शन एवं पूजन से भी माता अपने भक्तों को निहाल करती रहती हैं। लेकिन ध्यान रहे कि विशेष पूजा में नियम का पालन अत्यंत सावधानीपूर्वक किया जाना चाहिए। मैंने देखा है कि इनकी साधना या विशेष पूजन के दौरान थोड़ी सी भी चूक साधक पर उलटी पड़ती है और फायदे की जगह बड़ा नुकसान हो जाता है। अतः मेरा सुझाव है कि बगला के साधक को गणेश के वक्र तुंडाय हुम मंत्र का जप साधना काल के दौरान बीच-बीच में करते रहना चाहिए। हवन के समय भी उस मंत्र से आहूति देना श्रेयस्कर होता है। यदि यह ठीक न लगे तो वटुक भैरव के स्तोत्र का पाठ भी बेहद उपयोगी होता है।
यह तो हुई सांसारिक बातें और फायदे। आध्यात्मिक रूप से भी यह अत्यंत प्रभावी है। इनकी साधना मन की चंचलता को स्तंभित कर साधक को आध्यात्मिक रूप से विकास करने में बहुत प्रभावी होती है। खास बात यह भी है कि इनका प्रयोग शुचि-अशुचि में किया जा सकता है। जरूरत सिर्फ इस बात की है कि मन साफ हो। इनके मंत्रों का नियमित जप वाकसिद्धि देने वाला होता है। अतः इसके साधक को बोलते समय बहुत संयम रखना चाहिए। यदि खुद पर नियंत्रण न हो तो मेरा सुझाव है कि बगला की साधना कतई न करें। अन्यथा इसके दुरुपयोग के दोष के कारण भविष्य में कुफल भोगना होगा।
इनकी साधना करते समय पीले वस्त्र पहनना चाहिए। आसपास का स्थान भी पीला, आसान पीला तथा माला भी पीली होनी चाहिए। पूजन सामग्री फल-नैवेद्य भी पीले हों तो उत्तम। साधन काल में भोजन भी पीले रंग का ही करना चाहिए। शत्रु व राजकीय विवाद, मुकदमेबाजी आदि में यह महाविद्या शीघ्र फल देती हैं। मेरा अनुभव है कि यदि शत्रु ने आप पर पहले प्रयोग कर दिए हों तो साधना में बाधाएं आने लगती हैं। शत्रु का प्रयोग कड़ा हो तो कई बार अपनी साधना भी उलटी पड़ने लगती है। इसकी पहचान है कि मंत्र जप के समय बार-बार नियम टूटते हैं, जप में अधिक समय लगता है, मंत्रोच्चार के समय जिह्वा भारी तथा मंत्र के उच्चारण में परेशानी होने लगती है तथा मन उद्विग्न होने लगता है। ऐसे में विभिन्न विद्वानों ने रास्ता सुझाया है कि बगला के मंत्र का जप करते रहें, पर साथ में प्रत्यंगिरा, गायत्री, गणेश या तारा का मंत्र जप किया जाए तो बाधाएं दूर होने लगती है। मेरा अनुभव है कि बाधा आने पर बगलामुखी के मंदिर में जाकर जप करने से भी बाधाएं दूर हो जाती हैं और साधना सफल होती है।
एकाक्षरी मंत्र—– ह्लीं
विनियोग———- एकाकी बगलामंत्रस्य ब्रह्मा ऋषिः, गायत्री छंदः, बगलामुखी देवता, लं बीजं, ह्रीं शक्तिः, ईं कीलकं, सर्वार्थ सिद्धयर्थें जपे विनियोगः। (बगलामुखी रहस्य में ह्रीं के बदले हूं शक्ति कहा गया है)
अंगन्यास———- ह्लां, ह्लीं, ह्लूं, ह्रें, ह्लौं, हल्ः।
ध्यान————– रंकति क्षितfपतिः वैश्वानर शीतति, क्रोधी साम्यति दुर्जनः सुजनति क्षिप्रनुगः खंजति। गर्वि खर्वति सर्व विच्च जडति त्वद्यंत्रणा यंत्रितः, श्री नित्ये बगलामुखि प्रतिदिनं कल्याणि तुभ्यं नमः।
विधि————— विभिन्न पुस्तकों में इसके लिए विभिन्न जप विधान है लेकिन अधिकांश में एक लाख जप कर पीत पुष्पों से दशांश हवन तथा गुड़ोदक से उसका दशांश तर्पण करने का विधान है। मेरे विचार से किसी भी एकाक्षरी मंत्र का न्यूनतम दस लाख जप कर तदनुसार हवन एवं तर्पण करना सबसे अच्छा होता है। बगला का यह बीज मंत्र सर्वाधिक प्रभावशाली एवं कामधेनु के समान है। सिर्फ इस एक मंत्र से ही सब कुछ पाना संभव है। इसे सिद्ध करने के बाद इसका विभिन्न उपयोग किया जा सकता है। इससे माता की कृपा व शक्ति के साथ उन्हें जगाना भी संभव है। इस मंत्र का प्रभाव अक्षुण्ण रहता है। मंत्र में कोई कामना न होने के कारण इसमें चूक होने पर भी न्यूनतम खतरा है।
त्र्यक्षर मंत्र——- ऊं ह्लीं ऊं
चतुरक्षर मंत्र—– ऊं आं ह्लीं क्रों
विनियोग——— इस मंत्र के बीज ह्लीं, शक्ति आं और कीलक क्रों हैं। शेष पूर्ववत है।
अंगन्यास——– ऊं
ह्लां या ऊं ह्लीं से करें।
जप संख्या—— एक लाख
मुख्य व सर्वाधिक प्रचलित मंत्र—– ऊं ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्वां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊं स्वाहा।
विधि————- विभिन्न ग्रंथों में इसे लेकर विभिन्न तरीके के मंत्र भेद, विधि में अंतर आदि हैं। यदि विशेषज्ञता चाहें तो उनका अवलोकन और योग्य गुरु के साथ उन पर चर्चा करना उचित होगा। सामान्य प्रयोग के लिए 21 हजार , 41 हजार, एक लाख, सवा लाख जप करना श्रेयस्कर होगा। मंत्र की संख्या के अनुपात में हवन व तर्पण कर अभीष्ट की प्राप्ति होती है। इसका प्रयोग कभी निष्फल नहीं होता है। कई बार ग्रहों के अत्यंत प्रतिकूल स्थिति के कारण फल की प्राप्ति में कमी या देरी हो सकती है लेकिन मिलता अवश्य है। पूर्ण लक्ष्य की प्राप्ति न होने पर मंत्र जप की आवृत्ति बढ़ानी चाहिए।
सावधानी——- यह मंत्र अत्यंत फल देने वाला है लेकिन प्रयोग में चूक होने पर कई बार उलटा फल प्राप्त हो जाता है। चूंकि हमेशा योग्य पंडित या गुरु की देखरेख में साधना करना संभव नहीं है, अतः मेरा अनुभव है कि इससे बचने के लिए बगलामुखी के साथ गणेश के मंत्र का जप या वटुक भैरव स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से करना चाहिए। हवन के दौरान भी उन्हें उनके मंत्रों से आहूतियां देना क्ल्याणकारी रहता है।

              

Recommended Articles

Leave A Comment