Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

मालकांगनी क्या है और इसके प्रयोग

बाजार मे मिलने वाले जीतने भी टॉनिक है (च्यवन प्राश, होर्लिक्स, बोर्नविटा, बूस्ट, बॉडी बिल्डिंग के सप्लीमेंट्स आदि ) यदि उन सब को भी बराबर मे रख दिया जाए तो हजारो रुपए के ये टॉनिक मालकंगनी के सामने कुछ नहीं। सर्दी मे इसके समान टॉनिक दूसरा कोई नहीं है। गरीब के लिए सोना चांदी च्यवनप्राश से हजार गुना बेहतर है तो पढे लिखे मूर्ख के लिए होर्लिक्स से हजार गुणा गुणकारी है ।

यह एक पौधे के बीज हैं जो पूरे भारत मे सभी जड़ी बूटी वाले के यहाँ आसानी से मिल जाते हैं। इनमे एक गाढ़ा गहरे पीले रंग का तेल होता है। यह बहुत कड़वा होता है। बाजार मे मिलने वाले अधिकांश मालकंगनी के तेल नकली हैं। हमदर्द कंपनी इसे रोगन मालकंगनी के नाम से बेचती है। यह भी सभी आयुर्वेदिक दवाई बेचने वालो की दुकान पर मिलता है। ये 100% सुरक्षित और शुद्ध है।

बाजार मे यह बीज व तेल के रूप मे मिलती है। इन दोनों के गुण समान हैं। क्योंकि तेल बहुत कड़वा होता है इसलिए बीज का ही प्रयोग अधिक किया जाता है। इसके 1 बीज मे 6 छोटे बीज होते हैं। इसलिए जब मात्रा 1 बीज कही जाए तो उसका अर्थ है चने के आकार का बीज जिसमे 4-6 छोटे बीज होते हैं। इसका संस्कृत नाम ज्योतिष्मति है …

इसके उपयोग :-

इसका सबसे बड़ा उपयोग है आयुर्वेद मे जो बुद्धि बढ़ाने वाली दवाइयाँ हैं उनमे यह मालकंगनी भी है। विद्यार्थियो के लिए सर्दी मे यह अमृत है। च्यवन प्राश, कोड लीवर आयल आदि इसके सामने कोई गुण नहीं रखते। प्राचीन वैद्यो ने इसके स्मृति ,याददाश्त, मेमोरी बढ़ाने वाले गुण की बहुत प्रशंसा की है। इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसके साथ साथ शंखपुष्पी चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है. 5 साल से लेकर 100 साल तक का कोई ही व्यक्ति इसका प्रयोग कर सकता है। मानसिक कार्य करने वालो के लिए गुणकारी है। वृद्धावस्था मे जब स्मृति भ्रंश (Alzimar’s Disease) हो जाता है तब भी यह काम करती है। जो व्यक्ति अपनी इच्छा से नशा छोडना चाहते हैं उन्हे भी इसका उपयोग करना चाहिए। इससे मानसिक शक्ति बढ़ती है और नशा छोडने से होने वाले दुष्प्रभावो मे कमी आती है।

डिप्रेशन जैसे मानसिक रोगो मे इसका बहुत अच्छा प्रभाव है। डिप्रेशन जैसे अनेक मानसिक रोगो मे मालकंगनी से तत्काल लाभ होता है। मनोरोग की एलोपैथी दवाइया प्रायः नींद को बढ़ाती है, परंतु यह नींद को सामन्य ही रखती है। सभी साइकोएक्टिव दवाइया (मानसिक रोगो की अङ्ग्रेज़ी दवाइया) सुस्ती लाती है, आँख, कान की शक्ति को कम करती है कमजोरी लाती है और खून की कमी कर देती है परंतु इसमे एसी कोई समस्या नहीं है। इसका प्रभाव बढ़ाने के लिए इसके साथ साथ शंखपुष्पी चूर्ण का प्रयोग किया जा सकता है.पहले जाने डिप्रेशन क्या है …?

अवसाद(डिप्रेशन) क्या है…?

जीवन में कभी-कभार उत्साह हीन महसूस करना एक सामान्य बात है. लेकिन जब ये एहसास बहुत समय तक बना रहे और आपका साथ ना छोड़े तो ये depression या अवसाद हो सकता है. ऐसे में जीवन बड़ा नीरस और खाली-खाली सा लगने लगता है . ऐसे में ना दोस्त अच्छे लगते हैं और ना ही किसी और काम में मन लगता है. जीवन उद्देश्य रहित लगने लगती है और अच्छी बातें भी बुरी लगने लगती हैं. यदि आपके साथ भी ऐसा होता है तो घबराने की ज़रुरत नहीं है. ज़रुरत है डिप्रेशन के लक्षणो और कारणों को समझने की और फिर उसका इलाज करने की.

हम सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं.कभी सफलता मिलने पर बहुत ख़ुशी मिलती है तो कभी असफल होने पे इंसान दुखी हो जाता है. कई बार लोग छोटे-मोटे दुःख को भी depression का नाम दे देते हैं, जो कि बिलकुल गलत है. यह सामान्य उदासी से बहुत अलग होता है. आइये इसकी परिभाषा को समझते हैं:

“अवसाद एक ऐसी मानसिक स्थिति या स्थायी मानसिक विकार है जिसमे व्यक्ति को उदासी, अकेलापन, निराशा, कम आत्मसम्मान, और आत्मप्रतारणा महसूस होती है ; इसके संकेत समाज से कटना ,और कम भूख लगना और अत्यधिक नीद आना या नींद बिलकुल ना आना में नज़र आते हैं.

यदि आपको नीचे दिए गए लक्षण आपके साथ मिलते दीखते हैं तो आपके डिप्रेशन मे होने की सम्भावना है:-

-तो आपको नीद नहीं आती या बहुत अधिक नीद आती है.
-आप ध्यान नहीं केन्द्रित कर पाते और जो काम आप पहले आसानी से कर लेते थे उन्हें करने में कठिनाई होती है.
-आप आशाहीन और उत्साह हीन महसूस करते हैं.
-आप चाहे जितनी कोशिश करें पर अपनी गलत सोच को नहीं रोक पाते हैं.
-या तो आपको भूख नहीं लगती या आप बहुत ज्यादा खाते हैं.
-आप पहले से कहीं जल्दी खीज जाते है या आक्रामक हो जाते हैं, और गुस्सा करने लगते हैं.
-आप ज्यादा शराब पीते हैं.
-आपको लगता है कि ज़िन्दगी जीने लायक नहीं है और आपके मन में आत्म हत्या के विचार आते हैं.
-नजले जुकाम, बार बार होने वाले जुकाम, मौसम बदलते ही होने वाले जुखाम, सारी सर्दी बने रहने वाले जुकाम मे चमत्कार दिखाती है। जो भी नजले, जुखाम से परेशान है वह इसका प्रयोग जरूर करे। कुछ दिन प्रयोग करने से 1 साल तक समस्या से मुक्ति पा लेंगे। बहुत से व्यक्ति जिन्हे बड़े अस्पतालो के ENT के विशेषज्ञो ने कह दिया था कि सारी उम्र दवाई खानी होगी उन्हे इससे कुछ ही दिन मे मुसीबत से मुक्ति मिल गई । यह ना सोचे कि हमने तो बड़े अस्पतालो मे हजारो रुपए के टेस्ट करवा लिए हजारो की दवाई खा चुके हमे कुछ नहीं हुआ तो इससे क्या होगा। तो एक बार जरूर आजमाए। जो वैद्य केवल स्वर्ण भस्म, मकरध्वज, सहस्रपुटी अभ्रक भस्म और मृगाक रस जैसी कीमती दवाइयो को ही आयुर्वेद मानते है एक बार वह ही इसका चमत्कार देखे। जो इन महंगी दवाइयो से ठीक ना हुए हो वह भी इस मामूली सी दवाई से ठीक हो जाएगे।
-जो व्यक्ति सर्दी मे प्रतिदिन सुबह घर से निकलते है वह इसका प्रयोग जरूर करे। जिसे सर्दी अधिक सताती है वह भी इसका जादू जरूर देखे। यह शरीर मे सर्दी सहन करने की क्षमता को बहुत अधिक बढ़ा देती है।
-जो बहुत जल्दी थक जाते है जिसे लगता है आधा दिन काम करने के बाद ही सारा शरीर दर्द कर रहा है जो बार बार चाय पीकर थकावट को दूर करने की कोशिश करते हैं उनके लिए यह आयुर्वेद की संजीवनी बूटी है। 10 दिन प्रयोग करने के बाद शरीर मे थकावट महसूस नहीं होगी।
-जिन्हे तनाव से या नजले से या किसी भी कारण से सिर मे दर्द रहता है वह भी इसके प्रयोग से लाभ उठाए।
-यह पाचन शक्ति व भूख को बढ़ाती है। जो व्यक्ति इसका प्रयोग करे वह भोजन समय पर करे तथा चाय पीकर अपनी भूख को नष्ट ना करे नहीं तो यह लाभ के स्थान पर हानि करती है। इसके प्रयोग करने वाले को दूध घी का प्रयोग अधिक करना चाहिए
-जो भी अपना वजन बढ़ाने के या जिम मे जाकर अपनी सेहत बनाने के इच्छुक हैं वह इसका प्रयोग जरूर करे। इसके साथ साथ अश्वगंधा, शतावरी आदि का प्रयोग इसके साथ करे। कोई भी स्टीरायड या सप्लीमेंट्स इसके बराबर स्टेमिना नहीं बढ़ाता। जो खिलाड़ी है या जिम मे जाते हैं वह इसके साथ शतावरी या अश्वगंधा का प्रयोग जरूर करे।
-इसका प्रयोग श्वास,दमा(ASTHMA )मे भी किया है और बहुत गुणकारी पाया है परंतु इस रोग मे अधिक सावधानी की जरूरत है इसलिए आयुर्वेद से अनभिज्ञ को दमे मे इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

इसके प्रयोग की विधि इस प्रकार है :-

तेल कैसे ले :-

एक बूंद से दस बूंद तक दिन मे 2 बार। शुरु मे 1 बूंद ले बाद मे बढ़ाते हुए 10 बूंद तक लिया जा सकता है। अधिक मात्रा लेने से गर्मी लने लगती है। ध्यान दे यह बहुत ही कड़वा है। इसे चम्मच मे लेकर चाट ले ऊपर से दूध पी ले। यदि इसे 4 बूंद देशी घी या बादाम रोगन मे मिलाकर प्रयोग किया जाए तो अधिक लाभ होता है और हानि की संभावना कम हो जाती है।

बीज खाने की विधि :-

साबुत बीज 1 से 30 तक लिए जा सकते है। पहले दिन दूध से 1 बीज दूसरे दिन 2 बीज इसी तरह 30 बीज तक लिए जा सकते है। यदि गर्मी लगे तो मात्रा कम कर दे.

इसके 100 ग्राम बीजो को 100 ग्राम देशी घी मे धीमी आग पर भून ले। ध्यान दे जल ना जाए। फिर पीस ले। 1/4 चम्मच से 2 चम्मच तक दूध से ले। छोटे बच्चो को मीठा मिलाकर भी दे सकते है।

अब जाने इसका प्रयोग किसे नहीं करना चाहिए :-

-जिसे भी स्थायी एनीमिया (Anemia) है वह इसका प्रयोग बिलकुल ना करे नहीं तो बहुत नुकसान होगा। जैसे थेलिसिमिया, परनीसियस एनीमिया, सिकल सेल एनीमिया, एडिसन डीजीज आदि।
-नव विवाहित पति पत्नी इसका प्रयोग ना करे। व्याभिचारी बदचलन युवक युवती भी इससे दूर रहे। इसके सेवन करते समय संयम की जरूरत है। संयमी को ही इसका पूरा लाभ मिलता है।
-जिसे शरीर के किसी भी हिस्से से खून बहता है या 1 साल के अंदर इस समस्या से पीड़ित रहा है वह इसका प्रयोग ना करे।
-जिसे पेट मे अल्सर या अम्लपित्त है वह प्रयोग ना करे।
-जिसे 1 साल के भीतर पीलिया (हेपटाइटिस) हुआ है वह इसका प्रयोग ना करे।
-जिसे गहरे पीले रंग का मल आता है और बार बार शौच के लिए जाना पड़ता है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
-जिसे KIDNEY गुर्दे का कोई रोग है या शरीर पर सूजन है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
-जिसे इस्नोफिलिया है वह भी इसका प्रयोग ना करे।
-जिसके मुंह मे बार बार छाले हो जाते है जो एक्जीमा, सोराइसिस या खुजली से ग्रस्त हैं
और जो गर्भवति स्त्री है वह भी इसका प्रयोग न करे

सब का मंगल हो
आप का स्नेही
😊🙏🏻🌱🌳

Recommended Articles

Leave A Comment