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दोस्तो ,💐

प्रेरक विचार और महान लोगों की जीवन यात्रा व सफलता की कहानी पढ़ते व सुनते हैं। उस पर गर्व महसूस करके चर्चा भी करते हैं कि वास्तविक रूप में आत्मविश्वास, लगन, हौसला और परिश्रम से ही सब कुछ सम्भव है। इनसे ही क्रांति आती है। लेकिन जब स्वयं हमारी बारी आती है, कुछ सोचने की, कुछ करने की तब हम वही करते हैं जो करते चले आ रहे हैं। जो विश्वास पहले से कायम है, जो डर पहले से हावी है, हम उसे ही महत्व देते हैं और उसको ही ध्यान में रखकर निर्णय लेते हैं। हम कितनी ही प्रेरणा की बातें कर लें लेकिन जब अपने लिए क्रियान्वयन की बात आती है, सारी प्रेरणा पानी लेने चली जाती हैं।

हम अपनी आरामदायक स्थिति (कम्फर्ट जॉन) से बाहर निकल ही नही पाते और निकलना भी नही चाहते, क्योंकि मन नही मानता। हमारा मन मजबूत नही हो पाता, हम अपनी कमजोरी से बाहर ही नही निकल पाता। इसकी एक वजह है, मन की खुराक पूरी न करना, उसे रोज भोजन न देना। जैसे कि, शरीर ऊर्जावान कब होता है? काम कब करता है? जब हम उसे खुराक देते हैं। प्रतिदिन भोजन करते हैं तब हमारा शरीर काम करता है। हम जो संकेत देते हैं, वह उसे पूरा करता है। वह हमारा कहा मानता है। यदि हम अपने शरीर को 15-20 भोजन देना बंद कर दें, तब क्या होगा? तब कमजोरी आ जायेगी, शरीर काम करना बंद कर देगा, बिल्कुल भी काम नही करेगा। हमारी बात मानना बन्द कर देगा, हमारे संकेतों को पूरा नही करेगा।

शरीर का भोजन क्या है? अनाज, फल, सब्जी इत्यादि शरीर की खुराक हैं। इन्हें पाकर ही शरीर काम करता है और यदि ये न मिले तो शरीर काम करना बंद कर देता है। इसी तरह मन की खुराक भी आवश्यक है, मन का भोजन भी आवश्यक है। मन की खुराक क्या है? मन की खुराक है, प्रेरक किताबें, लेख, व विचार पढ़ना, सफल लोगों की जीवनी पढ़ना, निरंतर नया सीखते रहना ये सब मन की खुराक हैं। जब तक हम मन को उसकी ये खुराक नही देंगे, वह पूरी क्षमता के साथ काम कैसे करेगा? बिल्कुल नही करेगा। जैसे बिना खुराक के तन काम नही कर सकता वैसे ही बिना खुराक के मन भी काम नही करने वाला।

लेकिन हमने मन को खुराक देना ही बन्द कर दिए हैं, अगर दे भी रहें हैं तो 4-5 महीने में एक बार वो भी मुश्किल से, ऐसे में मन कैसे काम करेगा? इस स्थिति में जिस शक्ति, ऊर्जा, उद्देश्य व रचनात्मक रूप से काम करना चाहिए, नही करेगा। क्योंकि मन को भी तन की तरह ही हर रोज खुराक चाहिए। अगर हम चाहते हैं कि मन पूरी क्षमता के साथ, पूरी रचनात्मकता के साथ काम करे, तो उसे हर रोज खुराक देना ही होगा। जैसे हम तन को सुबह-शाम एक तय समय में भोजन देते हैं वैसे ही मन को भी हर रोज उसका भोजन देना ही होगा। हम जिस तरह डाइट प्लान बनाते हैं, वैसे ही मेंटल प्लान तैयार करना होगा।

सफल जीवन के लिए चार्ट बनाना होगा, डर, भय व नकारात्मकता पूरी तरह समाप्त हो जाये और जीवन में केवल धैर्य, साहस, विवेक और सकारात्मकता के बीज अंकुरित हों, मन को ऐसी सात्विक, सार्थक व पौष्टिक खुराक देने की आवश्यकता है। जिस तरह शरीर के लिए हानिकारक भोजन त्यागकर स्वास्थवर्धक भोजन ग्रहण करते हैं, वैसे स्वस्थ, शक्तिशाली व क्षमतावान मन के लिए प्रेरक व सकारात्मक विचारों को ग्रहण करना होगा, यही मन का सात्विक भोजन है। हर रोज प्रेरक विचार पढ़ें, किताबें पढ़ें, नया सीखें व नया अनुभव अर्जित करें, निरंतर हर रोज ऐसा करें। एक समय बाद आप स्वयं में अप्रत्याशित बदलाव महसूस करेंगे जो किसी चमत्कार से कम नही होगा। तब आपको मन के भोजन की शक्ति का एहसास होगा।

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