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नवजात शिशु की मालिश कैसे करें

सबसे मुश्किल काम:- बच्चों का लालन पालन
हर माँ बाप का पहला और आखरी सपना सुशील संस्कारी सभ्य कुशाग्रबुद्धि व स्वस्थ बच्चा

शिशु जन्म के समय इतना ज्यादा कोमल होता है, कि कई बार माता पिता को उसे हाथ लगाने में भी डर लगता है। आपकी त्वचा का स्पर्श शिशु को अच्छा महसूस कराता है और साथ ही इससे शिशु के साथ आपका रिश्ता और भी ज्यादा मजबूत हो जाता है। शरीर के सही विकास के लिए बच्चों की मालिश ज़रूरी होती है, लेकिन इसके लिए आपको मालिश से जुड़ी कुछ ज़रूरी बातें पता होनी चाहिए

बच्चों की मालिश कब कर सकते हैं?:- शिशु के जन्म के समय उसकी त्वचा अविकसित होती है, इसके अलावा उसकी गर्भनाल का घाव ताज़ा होता है, इसलिए जन्म के तुरंत बाद बच्चों की मालिश नहीं करनी चाहिए। शिशु के एक माह की आयु का होने से पहले मालिश करने से शिशु की त्वचा व नाभि में संक्रमण होने का खतरा होता है। विशेषज्ञों के अनुसार जन्म के एक माह बाद शिशु की मालिश करना सुरक्षित होता है, क्योंकि इस दौरान शिशु की त्वचा सही से विकसित हो जाती है और साथ ही उसकी गर्भनाल भी पूरी तरह ठीक हो जाती है। इसलिए जन्म के चार से छह सप्ताह बाद शिशु की मालिश की शुरुआत की जा सकती है

बच्चों की मालिश करने का सही समय क्या है? :- वैसे तो शिशु की मालिश का कोई निश्चित समय तय नहीं है, यह आपके शिशु की सोने, जागने और स्तनपान की दिनचर्या पर निर्भर करता है। बच्चों की मालिश का सही समय जानना ज़रूरी है, क्योंकि इससे मालिश के वक़्त आपको और शिशु दोनों को मज़ा आयेगा

शिशु की मालिश करने के सही समय

– स्नान से पहले बच्चों की मालिश करना उनकी सेहत के लिए अच्छा होता है।

– शिशु को नहलाने के बाद भी उसकी मालिश करना अच्छा होता है, क्योंकि इससे शिशु को बहुत आराम मिलता है और वो सो जाता है।

  • – शिशु को सुलाने से पहले शिशु की मालिश कर सकती हैं, इससे शिशु को अच्छी नींद आती है।*
  • – शिशु के खेलने के समय उसकी मालिश कर सकती हैं, क्योंकि छोटे बच्चों को मालिश भी एक मजेदार खेल की तरह लगती है।*

– शिशु को स्तनपान कराने के कम से कम एक घण्टे बाद ही शिशु की मालिश करें।

एक दिन में कितनी बार शिशु की मालिश करनी चाहिए?:-एक दिन में शिशु की मालिश कितनी बार की जा सकती है, इस बारे में कोई खास नियम नहीं बना है। अगर आपका बच्चा मालिश करवाना पसन्द करता है, तो आप दिन में एक से ज्यादा बार उसकी मालिश कर सकती हैं। हालांकि बच्चों की मालिश की एक दिनचर्या बनाना सबसे बेहतर होता है, क्योंकि इससे शिशु को मालिश करवाने में ज्यादा आनंद आता है और साथ ही उसके शरीर को मालिश के भरपूर फायदे भी मिलते हैं। अगर आप रोज शिशु की मालिश नहीं कर पाती हैं, तो चिंता ना करें हफ़्ते में दो से तीन दिन शिशु की मालिश करने से भी शिशु को मालिश के फायदे मिल जाएंगे। अगर बच्चे को स्वास्थ्य सम्बंधी कोई परेशानी है, तो उसे डॉक्टर को दिखाएं और मालिश के बारे में सलाह लें

बच्चों की मालिश कैसे करें? :- बच्चों को एक खास अंदाज में छुआ जाना बहुत पसंद होता है, ऐसे में आप अगर एक खास तरीके से शिशु की मालिश करेंगी तो वह धीरे धीरे मालिश को पसन्द करने लगेगा। इससे शिशु के दिमागी विकास में भी मदद मिलती है, क्योंकि एक ही तरीके से शिशु की मालिश करने पर हर बार मालिश के समय वह अंदाजा लगाने लगता है कि अब आगे क्या होने वाला है। शिशु की मालिश इस तरह करें

सबसे पहले शिशु के कपड़े उतारें, फिर बिस्तर के बीच में या ज़मीन पर एक नर्म तौलिया या चादर बिछाकर शिशु को उस पर लिटाएं

तेल की कुछ बूंदें अपने हाथ में लेकर दोनों हथेलियों को आपस में रगड़ें और सबसे पहले शिशु के पैरों के तलवों पर हल्के हाथों से तेल लगाएं।

अब हाथों में दोबारा थोड़ा तेल लें और दोनों पैरों की एक एक करके मालिश करें।

हल्के हाथों से शिशु की टाँगों को चूड़ी पहनने के अंदाज में रगड़ें।

इसी तरह शिशु के हाथ की मालिश करते समय सबसे पहले उसकी हथेलियों पर तेल लगाएं और फिर दोनों हाथों की पैरों की तरह ही मालिश करें।

इसके बाद शिशु के हाथ और पैरों की अंगुलियों को हल्के हाथों से पकड़ कर बाहर खींचें, ज्यादा जोर ना लगाएं इससे उसे चोट लग सकती है।

अब शिशु के कंधों की मालिश करें।

शिशु की छाती और पेट की मालिश करते समय हाथों को शिशु की छाती और पेट पर गोल गोल घुमाते हुए मालिश करें। इससे उसका पाचन तंत्र स्वस्थ रहता है। पेट की मालिश के दौरान शिशु के पेट को ना दबायें, क्योंकि इससे शिशु को चोट लग सकती है।

अब शिशु को पलट कर पेट के बल सुला दें, इसके बाद हल्के हाथों से पींठ व कूल्हों पर तेल लगाएं और हथेली से धीरे धीरे रगड़ें।

पींठ की मालिश के दौरान शिशु की रीढ़ की हड्डी पर दबाव ना डालें, इससे शिशु को चोट लग सकती है।

क्या नवजात शिशु के सिर की मालिश कर सकते हैं?:- बड़े बुजुर्ग नवजात बच्चों की मालिश के दौरान सिर की मालिश को बहुत ज़रूरी बताते हैं। कुछ सावधानियों के साथ शिशु के सिर की मालिश की जा सकती है। कई शिशुओं को सिर की मालिश करवाने में बड़ा मजा आता है, लेकिन कुछ शिशुओं को सिर की मालिश कराना पसन्द नहीं होता, ऐसे में जबरदस्ती शिशु के सिर की मालिश ना करें

शिशु के सिर की मालिश कैसे करें?:- छोटे बच्चों की मालिश के दौरान उनके सिर को बहुत सावधानी से छूना चाहिए, क्योंकि शिशुओं के सिर की हड्डी पूरी तरह जुड़ी हुई नहीं होती है। नवजात शिशु के सिर में ऊपरी और पिछले हिस्से में दो नरम स्थान होने हैं, यहाँ दबाव बिल्कुल ना डालें। शुरुआती एक दो महीने शिशु को पींठ के बल लिटाकर उसके सिर को हल्के हाथों से थपथपाकर तेल लगा दें, शिशु के सिर को रगड़ें नहीं। जब शिशु का सिर कठोर होने लगे तब आप शिशु के सिर में उंगलियों से हल्की मालिश कर सकती हैं। अगर शिशु के सिर पर पपड़ी/क्रेडल कैपजमी हुई है, तो शिशु की मालिश के समय उसे हटाने की कोशिश बिल्कुल ना करें। इसके बजाय शिशु के सिर की पपड़ी पर रात को हल्के हाथों से थपथपाकर तेल लगा दें, सुबह तक शिशु के सिर की पपड़ी अपने आप नरम हो जाएगी और जब आप शिशु को नहलाएंगी तो धीरे धीरे यह अपने आप उतरने लगेगी। जैसे जैसे शिशु बड़ा होगा शिशु की क्रेडल कैप अपने आप ठीक हो जायेगी

बच्चों की मालिश से उन्हें क्या फायदे होते हैं? :-बच्चों की मालिश से उनका सामाजिक और मानसिक विकास होता है। एक रिसर्च के अनुसार मालिश के समय होने वाले स्पर्श से बच्चे का दिमाग अधिक सक्रिय होने लगता है।

बच्चों की मालिश करने से शिशु व माँ दोनों का तनाव कम होता है, क्योंकि मालिश से माँ और शिशु के शरीर में ऑक्सीटोसिन हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है जो कि खुशी महसूस करवाने वाला हार्मोन है।

छोटे बच्चों की मालिश करने से उनके शरीर का विकास सही तरह से होता है और इसके अलावा शरीर के अंगों के तालमेल में सुधार होता है।

सोने से पहले बच्चों की मालिश करने से उन्हें अच्छी और गहरी नींद आती है।

नियमित रूप से छोटे बच्चों की मालिश करने से उनकी मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

शिशु के पेट की मालिश करने से उसे कब्ज की समस्या से राहत मिल सकती है। इसके साथ ही बच्चों की मालिश करना पेट की अन्य कई समस्याएं जैसे कोलिक आदि कम करने में सहायक है।

गुनगुने तेल से बच्चों की मालिश (छह माह से अधिक उम्र के बच्चे) करने से उन्हें खाँसी ज़ुकाम की समस्या से राहत मिलती है।

बच्चों की मालिश करने से उनमें हिचकी की समस्या कम हो सकती है।

अगर शिशु पीलिया की समस्या से पीड़ित है, तो ऐसे बच्चों की मालिश करने से उन्हें आराम मिलता है। हालांकि शिशु की मालिश करने से पीलिया ठीक नहीं होता।

किन स्थितियों में बच्चों की मालिश नहीं करनी चाहिए?:-अगर शिशु को खुजली की समस्या है, तो उसकी मालिश ना करें।

बुखार होने पर बच्चों की मालिश न करें।

अगर मालिश से शिशु को किसी तरह की समस्या हो रही है, तो उसकी मालिश ना करें और डॉक्टर से सलाह लें कि आपके शिशु के लिए क्या बेहतर होगा।

अगर शिशु को मालिश करवाना पसंद नहीं है, तो जबरदस्ती उसकी मालिश ना करें

बच्चों की मालिश करने के टिप्स

– शिशु की मालिश के लिए ऐसी जगह चुनें, जहाँ आप शिशु की आराम से मालिश कर सकें।

– अगर शिशु खुद पलटने लगा है तो शिशु की मालिश करने के लिए उसे ऐसी जगह लिटाएं, जहाँ उसे पलटने पर गिरने का खतरा ना हो, क्योंकि शिशु के शरीर पर तेल लगा होने की वजह से वो आपके हाथों से भी फिसल सकता है। बिस्तर के बीच में या जमीन पर लिटाकर बच्चों की मालिश करना सबसे सुरक्षित होता है।

– मालिश करने से पहले शिशु के नीचे एक नर्म तौलिया या चादर बिछा दें, ताकि चादर या तौलिया अतिरिक्त तेल सोख सके।

– बच्चों की मालिश के कमरे में बाहर से हवा सीधे अंदर नहीं आनी चाहिए।

– शिशु को मालिश के बीच में कभी अकेला ना छोड़ें।

– गर्मी के समय शिशु की मालिश वाले कमरे में थोड़ी ठंडक व सर्दी के समय बच्चों की मालिश के कमरे में थोड़ी गर्माहट होनी चाहिए।

– बच्चे की मालिश का ज़रूरी समान पहले से अपने पास रख लें।

– अगर किसी अंग की मालिश करते समय बच्चा रोने लगे तो वहाँ मालिश ना करें।

– बच्चों की मालिश करते समय हल्के हाथों का उपयोग करें, शिशु के शरीर पर ज्यादा दबाव ना डालें।

– बच्चे की मालिश करते समय उसकी तरफ़ मुस्कुराएं और उससे बात करें, जब वो आपकी तरफ देखे तो उससे नज़रें मिलायें, इससे उसे मालिश करवाने में मजा आने लगेगा।

– बच्चों की मालिश हो जाने के बाद उनकी हथेलियों व पैरों से तेल पौंछ दें, ताकि अगर शिशु हाथ या पैर मुँह में डाल ले, तो उसके मुंह में तेल ना जाये।

– शिशु की मालिश करने की एक दिनचर्या बनाएं।

बच्चों की मालिश करने से उन्हें कई शारीरिक और मानसिक फायदे होते हैं, साथ ही माँ व शिशु दोनों को अच्छा महसूस होता है। अपने शिशु के अच्छे स्वास्थ्य के लिए बताए गए तरीके से उसकी सुरक्षित मालिश कर सकती हैं। बच्चों की मालिश के समय उनकी सुरक्षा का खास खयाल रखें, क्योंकि शिशु के कोमल शरीर को हल्के से दबाव से भी चोट लग सकती है। मालिश करने से नवजात शिशु अपनी कोमल त्वचा पर माँ का स्पर्श पहचानने लगते हैं और धीरे धीरे माँ से उनका रिश्ता गहरा होने लगता है।

आपके शिशु की मालिश के लिए खास तेल

अपने बच्चों की मालिश करना ज्यादातर माँओं की दिनचर्या का एक अहम हिस्सा होता है। कुछ माँएं स्नान से पहले अपने बच्चों की मालिश करती हैं तो कुछ को बच्चे को नहलाने के बाद उसकी मालिश करना पसंद होता है। मालिश करने के लिए शिशु की मालिश का तेल सबसे ज़रूरी चीज है, और हर माँ को अपने शिशु की मालिश का तेल चुनते वक़्त कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि शिशु की अच्छी सेहत के लिए सही तेल चुनना ज़रूरी है। हम आपको शिशु की मालिश के खास तेल व उनके गुणों के बारे में बता रहे हैं, जिनसे आप रोज अपने शिशु की मालिश कर सकती हैं

शिशु की मालिश का तेल : नारियल तेल सरसों के तेल बादाम का तेल सूरजमुखी के तेल तिल के तेल जैतून का तेल अरंडी का तेल टी ट्री आयल

नारियल तेल से शिशु की मालिश बच्चों की मालिश के लिए तेल के रूप में नारियल का तेल एक बेहतर विकल्प है। नारियल का तेल बहुत हल्का होता है, जिससे शिशु की त्वचा इसे आसानी से सोख लेती है। नारियल तेल की मालिश से शिशु के शरीर को ठंडक मिलती है। एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल गुणों से भरपूर नारियल का तेल बच्चे की त्वचा को पोषण देने के साथ ही उसे नर्म और कोमल भी बनाता है, इसलिए नारियल के तेल से बच्चों की मालिश करना उनके लिए लाभदायक होता है। नारियल तेल की मालिश से शिशु को खुजली, सिर पर पपड़ी जैसी समस्याओं से राहत मिलती है। आमतौर पर नहाने से पहले नारियल के तेल से बच्चों की मालिश की जाती है, लेकिन आप शिशु को नहलाने के बाद भी उसकी हाथ पैरों पर कुछ बूंद नारियल तेल लगा सकती हैं

सरसों के तेल से बच्चों की मालिश सर्दियों के मौसम में नवजात बच्चों की मालिश के लिए सरसों का तेल बेहद गुणकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि सरसों के तेल को गर्म करके उसमें दो-चार कली लहसुन व थोड़ी सौंफ चटका कर शिशु को लगाने से शिशु की बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। सरसों का तेल ज्यादा महँगा नहीं होता और इसे सभी आसानी से खरीद सकते हैं। नवजात शिशुओं के शरीर पर सरसों के तेल की मालिश करने से उनकी त्वचा मुलायम रहती है, साथ ही इससे शिशु के शरीर के विकास में भी मदद मिलती है। सरसों का तेल गर्म करके उसमें थोड़ी अजवाइन चटकाकर कोलिक की समस्या से परेशान बच्चों की मालिश करने से उन्हें पेटदर्द व गैस की समस्या से राहत मिलती है

सरसों के तेल से बच्चों की मालिश करते समय इन बातों का ध्यान रखें

शिशु को नहलाने से पहले सरसों के तेल की मालिश करें, शिशु को नहलाने के बाद सरसों के तेल की मालिश ना करें

शिशु के शरीर पर शुद्ध सरसों का तेल ना लगाएं, इसे गर्म करके इसमें लहसुन, अजवाइन आदि डालें या इसमें कोई अन्य तेल मिलाकर लगाएं, क्योंकि शुद्ध सरसों के तेल की मालिश से शिशु को त्वचा पर जलन हो सकती है।

शिशु की मालिश के लिए बादाम का तेल ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन ई से भरपूर बादाम का तेल शिशु की त्वचा को अच्छी तरह पोषण देता है और शिशु के सिर पर हल्के हाथों से बादाम का तेल लगाने से उसके सिर के विकास में सहायता मिलती है। बादाम के तेल से बच्चों की मालिश करने से उनकी हड्डियाँ भी मजबूत होती हैं। बादाम का तेल शिशु की त्वचा को रूखेपन से बचाता है और इससे बच्चों की मालिश करने से उनकी त्वचा में नमी बनी रहती है। इसके अलावा बादाम के तेल से बच्चों की मालिश करने से उनकी पाचन शक्ति बढ़ती है। शिशु की त्वचा पर केवल कुछ बूंद बादाम का तेल ही लगाएं ताकि उसकी त्वचा तेल को पूरी तरह सोख ले। शिशु की त्वचा पर अतिरिक्त तेल बचा रह जाने पर उसे रैशेज की समस्या हो सकती है। शिशु को नहलाने से पहले या बाद में, कभी भी बादाम के तेल की मालिश की जा सकती है

सूरजमुखी का तेल बच्चों की मालिश के लिए अच्छा होता है। नवजात शिशु ज्यादातर लोगों को उनकी गंध से पहचानते हैं, ऐसे में खुशबूदार तेल की मालिश से शिशु परेशान हो सकता है, लेकिन सूरजमुखी के तेल में कोई गंध नहीं होती, इसलिए इसे लगाने से शिशु को कोई परेशानी नहीं होती। सूरजमुखी के तेल में कई सारे विटामिन होते हैं, जिससे शिशु की त्वचा स्वस्थ रहती है। इस तेल में एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं, इसलिए सूरजमुखी के तेल की मालिश से शिशु को त्वचा संक्रमण होने की आशंका कम हो जाती है। इसके अलावा अगर मालिश के दौरान सूरजमुखी का तेल शिशु के मुँह में चला जाए तो इससे शिशु की सेहत को कोई नुकसान नहीं होता है। स्नान से पहले या बाद में सूरजमुखी के तेल से नवजात बच्चों की मालिश की जा सकती है।

तिल के तेल की मालिश बच्चों की मालिश के लिए तिल का तेल बहुत अच्छा माना जाता है। तिल के तेल की मालिश से शिशु के शरीर में रक्तसंचार बढ़ता है और उसके शरीर को गर्माहट मिलती है। अगर शिशु की त्वचा ख़ुश्क या रूखी है तो तिल के तेल की मालिश करने से शिशु की त्वचा का रूखापन दूर हो सकता है। तिल का तेल बाजार में आसानी से मिल जाता है, लेकिन तिल का तेल खरीदते वक्त ध्यान रखें कि ये नकली ना हो, क्योंकि मिलावटी तेल से शिशु की त्वचा को नुकसान पहुँच सकता है।

ध्यान दें- शिशु को नहलाने से पहले तिल के तेल की मालिश करें, ताकि बाद में अतिरिक्त तेल स्नान के दौरान धुल जाए

जैतून का तेल बच्चों की मालिश के लिए जैतून का तेल बहुत फायदेमंद होता है। जैतून का तेल शिशु की त्वचा के लिए सुरक्षित होता है, इसलिए दुनियाभर की माँएं जैतून के तेल से अपने बच्चों की मालिश करना पसंद करती हैं। जैतून के तेल की मालिश से शिशु की कमज़ोर मांसपेशियों को ताकत मिलती है और साथ ही यह शिशु की त्वचा को सेहतमंद बनाता है। शिशु को नहलाने से पहले या बाद में कभी भी जैतून के तेल की मालिश की जा सकती है। ध्यान दें- जैतून के तेल से दो माह से छोटे बच्चों की मालिश ना करें।

अरंडी के तेल को कैस्टर ऑयल भी कहा जाता है, यह शिशु की रूखी त्वचा को नर्म और मुलायम बनाने में मददगार है। इसके अलावा अरंडी का तेल कई औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसलिए अरंडी के तेल से बच्चों की मालिश करने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है। शिशु को डायपर रैश की समस्या होने पर प्रभावित जगह पर अरंडी के तेल की मालिश करने से उसकी त्वचा जल्दी ठीक होती है।

ध्यान दें – मालिश के दौरान अरंडी के तेल शिशु की आँखों और होठों पर लगने ना दें। विशेषज्ञ नहलाने से पहले अरंडी के तेल से बच्चों की मालिश करने की सलाह देते हैं। इससे नहाने के बाद शिशु के शरीर पर से अतिरिक्त तेल हट जाता है और शिशु की त्वचा को अच्छी तरह पोषण भी मिल जाता है

टी ट्री आयल से नवजात बच्चों की मालिश छह माह से अधिक उम्र के बच्चों की मालिश के लिए टी ट्री आयल का उपयोग किया जा सकता है और मालिश के वक़्त इस बात का खास खयाल रखें कि तेल शिशु के मुंह या आंख में ना जाये। टी ट्री आयल में संक्रमण से लड़ने का गुण होता है, इसलिए शिशु की मालिश के तेल में टी ट्री आयल की कुछ बूंदें मिलाकर मालिश करने से शिशु त्वचा सम्बंधी संक्रमण से सुरक्षित रहता है। शिशु को ठंड लगने पर सोने से पहले उसकी छाती पर टी ट्री आयल की कुछ बूंदें लगाने से उसे ठंड से राहत मिलती है। टी ट्री आयल से बच्चों की मालिश करने से उनके शरीर में रक्तसंचार सही रहता है

ध्यान दें- इसकी मालिश कभी भी की जा सकती है, लेकिन छह माह से कम उम्र के शिशु के शरीर पर इसे किसी अन्य तेल जैसे नारियल के तेल आदि में थोड़ी सी मात्रा में मिलाकर लगाएं

टी ट्री आयल की ज्यादा मात्रा शिशु को नुकसान पहुंचा सकती है
चेतावनी –

टी ट्री आयल से शिशु की मालिश के वक़्त इस बात का खास खयाल रखें, कि तेल शिशु के मुँह में ना जाये, क्योंकि यह शिशु की सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक हो सकता है। टी ट्री आयल से अपने बच्चे की मालिश करने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह ले लें, क्योंकि यह एक औषधीय तेल है और शिशु की नाज़ुक त्वचा पर इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं

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