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किस को कौन सी योनी मिलती है!
इस जन्म के बाद अगली योनि कौनसी होगी
मनुष्य को कौन से कर्म करने पर कौन कौन सी योनी मिलती है—-इस को शास्त्र में इस प्रकार कहा है—–
नीच पतित एवं दुष्ट व्यक्ति का दान लेने वाला ब्राह्मण गधे की योनी में, दुष्ट याचक नरक योनी में, गुरु से झूठ बोलने वाला व्यक्ति कुत्ते की योनी में, माता-पिता को अपमानित करने वाला गधे की योनी में, और क्रोध करने के साथ माता-पिता से वाणी बोलने वाला मैना की योनी में, भाई एवं पत्नी को अपमानित करने वाला कबूतर की योनी में, तथा भाई एवं पत्नी दोनों को सतानेवाला कच्छप योनी में, स्वामी का अन्न खाकर उसकी इच्छानुकूल कार्य न करने वाका बन्दर की योनी में, किसी की धरोहर को हड़प जाने वाला राक्षस योनी में, धान, जौ, तिल, उड़द, कुलत्थ, सरसों, चना, मटर, चावल, लोबिया, गेहूँ, अलसी अथवा अन्य किसी भी प्रकार के अन्न को चुरानेवाला गंजे सिर वाला और बड़ा मुंह वाला चूहा योनी में, परस्त्री गामी पुरुष भेडिया योनी में नरक से छूटकर उत्पन्न होता है!
भाई की पत्नी के संग संभोग करने वाला क्रमश: कुत्ता, गीदड़, बहुला, गिद्ध, सर्प और कनक योनी में, मित्र की पत्नी, गुरु पत्नी और राज पत्नी से समागम करने वाला कोयल योनी में, तथा इन्हीं स्त्रियों से बलात्कार करने वाला पापी कुकर्मी सूअर योनी में, यज्ञ, दान एवं विवाह आदि शुभ कर्मों में बाधा पहुंचानेवाला तथा अपनी कन्या को दुबारा किसी को देने वाला कीट योनी में, देवताओं, पितरों एवं ब्राह्मणों को खिलाये बिना खानेवाला काक योनी में, बड़े भाई को अपमानित करने वाला क्रौंच पक्षी की योनी में, शूद्र और ब्राह्मण की स्त्री के साथ सम्भोग करने वाला कीट योनी में और इन्हीं स्त्रियों से संतान पैदा करने वाला काष्ट का कीड़ा तथा सूअर कृमि और चांडाल योनी में, अकृतज्ञ एवं नीच प्रकृति वाला कीट, पतंगा, वृश्चक, मछली, कौआ, कछुआ, आदि नीच योनियों में जाता है! शस्त्रहीन व्यक्ति की हत्याकरानेवाला खच्चर योनी में, स्त्री एवं बालक की ह्त्या करने वाला कृमि योनी में उत्पन्न होता है!
समागमकार के खाद्य पदार्थों को चुराने वाला –जैसे –दूध चुराने वाला बिलाव योनी में, तिल व् मिश्रित अन्न को चरानेवाला मूषक, घी चुरानेवाला नेवला और कौआ योनी में, मछली का मांस चुरानेवाला कौआ, बकरे का मांस चुरानेवाला बाज, नमक चुरानेवाला झींगुर, दही चुरानेवाला कीड़ा, तेल की चोरी करनेवाला बर्र योनी में, शहद चुरानेवाला डांस [ एक प्रकार का कीट ] योनी में, मालपुआ चुरानेवाला चींटी, हविध्यान्न को चुरानेवाला बैल, काढा चुरानेवाला तीतर योनी में!
शहदो चुरानेवाला कौआ, कांसे अथवा चांदी के पात्र को चुरानेवाला कबूतर, स्वर्ण पात्र चुरानेवाला कृमि योनी में, रेशमी वस्त्र चुरानेवाला चकवा, अन्य वस्त्रों को चुरानेवाला रेशमी कीट, दुकूल चुरानेवाला भौंरा, अंशुक चुरानेवाला तोता, ऊनी वस्य्र चुरानेवाला भालू, कपास से निर्मित वस्त्र चुरानेवाला क्रौंच पक्षी, काषाय वर्ण के वस्त्र को चुरानेवाला बगुला, हरे रंग के वस्त्र को चुरानेवाला मोर, लाल वस्त्रों को चुरानेवाला चकोर, श्वेत वस्त्रों को चुरानेवाला छुछुंदर, सुगन्धित वस्त्रों को चुरानेवाला खरगोश, पुवाल चुरानेवाला खंजन पक्षी, लकड़ी चुरानेवाला घुन, फूल चूरानेवाला दरिद्र, शाक या फल चुरानेवाला हरित नामक कबूतर, जल चुरानेवाला चातक, दूसरे की भूमि अपहरण करनेवाला भोंषण शैख़ आदि नरकों से मुक्त होकर क्रमवार तिनका, बेल, लता, झाड़ी, वृक्ष की छल आदि वानस्पतिक योनियों में, बैल के अंड कोशों को छेदन करनेवाला नपुंसक योनी में पैदा होता है! इस प्रकार मनुष्य अपने पाप कर्मों के फल स्वरुप विभिन्न योनियों में पैदा होता है अथवा योनी में ही अंधा, लंगडा, बहरा, गूंगा, कोढी, यक्ष्मा, कैंसर आदि असाध्य रोगों से पीड़ित होता है अथवा मुखग रोग, गुदा रोग, व् नेत्र रोग से पीड़ित होता है या मिर्गी रोग का शिकार होता है! अप्रज्वलित अग्नि में हवन करान्र्वाला व्यक्ति अजीर्ण, व्याधि एवं मन्दाग्नि आदि उदर रोगों से पीड़ित होता है!

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