🔆 चिंता नहीं, चिंतन कीजिए 🔆
🔷 गृहस्थ जीवन में अनेकों जिम्मेदारियाँ कंधे पर आती हैं, कईं कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पर इनसे घबराने से लाभ क्या? कभी-कभी जीवन-साथी से भी इसका समाधान मिल जाता है।
👉 एक सेठजी थे। सेठजी जब भी घर में आते तो तिल का ताड़ बनाते। घर के सभी लोगों को विशेषतया पत्नी को असमंजस में डाल देते। यह एक प्रकार से उनकी आदत बन गई थी।
🔶 पत्नी ने उनका चिंतन सुधारने लिए एक नाटक रचा। चारपाई पर रोनी सूरत बनाकर सो गई । घर का कोई काम न किया। दुकान पर से सेठजी आये, वे भी चिन्तित हुए और कारण पूछा। पत्नी ने कहा- “आज एक पहुंचे हुए ज्योतिषी आये थे, हाथ देखकर बता गये है कि तू साठ वर्ष तक जियेगी और आठ बच्चे होंगे। मैं सोच रही हूं कि साठ साल में कितना अनाज खा जाऊंगी। बच्चों के प्रसव की कितनी पीड़ा निकल जाएगा।”
🔷 सेठजी ने झिड़का और कहा- “इतना सब एक दिन में थोड़े ही होगा। समय के साथ आने और खर्च होने का काम चलता रहेगा। तू व्यर्थ चिन्ता करती है।
अब स्त्री की बन आई। उनके कहा- “तुम भी तो रोज भविष्य की चिन्ता ही मुझसे कहते हो। इतनी जिम्मेदारियां निभाने को पड़ी, उन्हें पूरा करना तो दूर तुम प्रयास ही नहीं करते। यह क्यों नहीं कहते कि समयानुसार समस्याओं के हल भी निकलते रहेंगे।
👉 हम सभी जीवन में किसी न किसी समस्या से जूझ रहे होते हैं। हर किसी के पास अपने-अपने स्तर की समस्याएं होती हैं। लेकिन यदि हम भविष्य में आने वाली हर समस्या के लिए आज ही चिंता करने लगेंगे तो उनका हल कैसे ढूंढ पाएंगे? चिंता किसी भी समस्या का हल नहीं है।
👉 इसलिए चिंता छोड़ कर चिंतन की ओर बढ़ें और अपने वर्तमान को सुधारें, भविष्य अपने आप सुधर जायेगा। भविष्य की समस्याओं को समय पर छोड़ दें, समयानुसार समस्याओं के हल भी निकलते रहेंगे।
✍ साभार: अखण्ड ज्योति
🙏 जय गुरुदेव