तेलमालिशका_तरीका –
हर रोज 1 घंटे के लिए तेल मालिश एवं साथ में एक्सरसाइज करना चाहिए। जिन व्यक्तियों को इतना समय नहीं मिल पाता है, उनको चाहिए कि जिस दिन भी सुबह समय मिले, यह क्रिया करें। तेल मालिश के लिए कुछ समय तो चाहिए, तेल मालिश का हमारा उद्देश्य यह रहना चाहिए कि शरीर में तेल अच्छी तरह रम जाए।
मालिश में साधारणतया सरसों, नारियल, तिल तथा जैतून का तेल प्रयोग करते हैं। जो व्यक्ति शारीरिक तौर पर दुर्बल हो, उनको पहले दो-तीन महीने जैतून के तेल से मालिश करनी चाहिए। इससे बहुत लाभ होता है।
सरसों का तेल सभी अवस्थाओं में प्रयोग किया जा सकता है किंतु जो लोग स्नायुविक रोगग्रस्त हैं या जिनका मिजाज हमेशा चिड़ – चिड़ा रहता उनको नारियल का तेल प्रयोग करना चाहिए। जो लोग कफ – प्रधान हैं उनके लिए नारियल का तेल उपयोग करना उचित नहीं है। जिनके शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, अगर वे नारियल के तेल का प्रयोग करेंगे तो दो-तीन दिन में ही सर्दी लगने लगेगी और गला बैठ जाएगा। ऐसे लोगों के लिये, सरसों का तेल हल्का गर्म करके या धूप में बैठकर मालिश करना उचित है। मालिश के 15 मिनट बाद नहाना चाहिए। सर्दी के दिनों में रोज धूप में बैठकर तेल मालिश करने से विटामिन डी हमारे शरीर को प्राप्त होता है।
गर्भवती स्त्रियों को रोज कुछ समय धूप में बैठकर तेल की मालिश करनी चाहिए। इससे उनके शरीर से बच्चों की हड्डियों में कैल्शियम की कमी की पूर्ति हो जाती है। किंतु पेट की मालिश नहीं करनी चाहिए, क्यूँकि ऐसा करने से पेट में पल रहे शिशु को चोट पहुंचने की आशंका रहती है।
रोज मालिश करने से बहुत से पुराने रोग जैसे : – पुराना अपच, वायु और पित्त , बवासीर, अनिद्रा, पुराना मलेरिया, ब्लड प्रेशर आदि रोगों में मालिश से काफी सुधार होता है। मालिश से खून का दौरा बढ़ता है, पाचन शक्ति बढ़ती है, पेट साफ होता है तथा आँते, दिल, फेफड़े और यकृत आदि शक्तिवान हो उठते हैं। रात को सोते समय सरसों के तेल की मालिश करने से मच्छर नहीं काटते।