सब लोग सदा सुख की खोज में सदा लगे रहते हैं । सुख की खोज करनी चाहिए, कोई बुरी बात नहीं है ।
परंतु संसार की सच्चाई को भी कुछ समझना चाहिए । सुख प्राप्ति के लिए लोगों को धन चाहिए, मकान चाहिए, भोजन वस्त्र कार सोना चांदी इत्यादि वस्तुएं चाहिएँ, और हमेशा के लिए चाहिएँ।
परंतु सच्चाई को भी तो समझना चाहिए । जिस शरीर में आप बैठे हैं, क्या यह आपका शरीर हजारों साल जिएगा? नहीं ।
कल का भी जिसका कोई भरोसा नहीं है, ऐसा अनित्य जीवन है यह । इस अनित्य जीवन में व्यक्ति चाहता है कि मेरे पास सारे सुख हों और हमेशा के लिए हों। बस यही आश्चर्य की बात है।
संसार के सुख प्राप्त करें, इसमें आपत्ति नहीं है, परंतु इस सत्य को भी तो स्वीकार करें , कि जिस शरीर के माध्यम से आप इन सुखों को भोगते हैं, वह शरीर ही सदा रहेगा , इस बात की कोई गारंटी नहीं है। तो फिर इतनी संपत्तियों आप जमा करें , और यह सोचकर जमा करें , कि ये संपत्तियाँ आपको सदा सुख देंगी, यह सब सोचना और करना न्याय पूर्ण नहीं है । अर्थात *यह मानकर चलें , कि जब तक शरीर रहेगा , तभी तक आप इन संपत्तियों से सुख भोग पाएंगे । शरीर का कोई भरोसा नहीं है, तो इन संपत्तियों का सुख भी कभी भी छूट जाएगा, यह बात मन में रखकर चलें, तब तो ठीक है , अन्यथा दुख ही हाथ लगेगा ।
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