*मनुष्य जीवन बहुत कठिनाई से मिलता है। संसार में लाखों योनियाँ हैं। उनमें से केवल एक ही विचित्र और विशिष्ट प्राणी मनुष्य है। जो अपने जीवन में न जाने कितनी अधिक उन्नति कर सकता है। कितना सुख भोग सकता है। संसार के सभी दुखों से छूट कर मोक्ष तक को प्राप्त कर सकता है।*
*बहुत से लोग जीवन में उन्नति करने या सफलता प्राप्त करने के लिए तुक्के मारते रहते हैं। कभी वे सोचते हैं, यह काम कर लो, फिर उसमें असफल हो जाते हैं। फिर सोचते हैं, अच्छा दूसरा करके देखता हूं, उसमें भी असफल हो जाते हैं, फिर कहते हैं, तीसरा करके देखता हूं। इस तरह से वे एक के बाद एक कार्यों में असफल होते जाते हैं। और तुक्के मार मार कर अपना सारा जीवन नष्ट कर लेते हैं।*
*जीवन केवल तुक्केे मारने के लिए नहीं है। जीवन योजनाबद्ध ढंग से काम करने और सफलता प्राप्त करने के लिए है। परंतु यह तभी संभव है जब आप योजनाबद्ध बहुत पुरुषार्थ करें।*
!!!…वक्त से हारा या जीता नहीं जाता.. केवल सीखा जाता है…!!!
जय श्री कृष्ण🙏🙏
[वर्तमान समय में हर आदमी आपको यह कहता हुआ मिलेगा कि लोग उसे समझ नहीं रहे है। जबकि यह चिंता का विषय बिलकुल भी नही है। तुम स्वयं अपने आप को अगर नहीं समझ पा रहे हो तो यह जरूर चिंता का विषय है।
प्रकृति ने सबको अलग स्वभाव, अलग उद्देश्य और अलग आदतें प्रदान की हैं। हर आदमी अपने जैसा स्वभाव वाला, समान उद्देश्य वाला व्यक्ति ही ढूँढता है। एक प्रकार से कहें कि वह खुद अपने अक्स को हर शख्स में देखना चाहता है। यहीं से सही गलत की धारणाएं प्रारम्भ हो जाती हैं। जो दुःख ना होने पर भी दुःख का अकारण आभास कराती रहती हैं।
दूसरों को ज्यादा जानने में व्यक्ति स्वयं से बहुत दूर हो जाता है। “स्वस्मिन् तिष्ठति इति स्वस्थः”। जो स्वयं में स्थित है वहीँ स्वस्थ है। खुद को जाने बिना परमात्मा को नहीं जाना जा सकता है।
🌷🌻🌷🌻🌷🌻🌷
🌸 ध्यान 🌸
बिन ध्यान के कोई भी कार्य सफलता पूर्वक नही पूरा किया जा सकता है। और जिस वस्तु या उद्देश्य का ज्ञान न हो उस पर ध्यान भी नही लगाया जा सकता।
ज्ञान और ध्यान से ही कार्य पूर्ण हो सकते हैं। जो चीजे परवर्तित होती रहती हैं उस पर भी ध्यान नही किया जा सकता है।
इस प्रकार जीवन सफल करने की लिए पारभब्रह्म प्रभु का ज्ञान लेना और फिर उस पर ध्यान केंद्रित करना परम आवश्यक है।
प्रभु हमारे अंदर भी है और बाहर भी परन्तु बाहर और भी बहुत सी वस्तुए है इसलिए बाहर ध्यान केंद्रित करना थोड़ा मुश्किल होता है।
अंतर्मन में आंख बंद कर प्रभु का पूर्ण रूप से ध्यान किया जा सकता है और परमानंद की अनुभूति की जा सकती है। परमानंद में विलीन हो जाना ही मानव जीवन का परम उद्देध्य है..!!
🙏🏿🙏🏻🙏जय जय श्री राधे🙏🏾🙏🏼🙏🏽