चार दिन का जीवन है, मरने के बाद तुमको चल जायेगा पता कि इतनी भगवत्कृपा हमारे ऊपर हुई और हमने उसका दुरुपयोग किया। लापरवाही की।। इस शरीर को आराम तलब न बनाओ इससे काम लो, सेवा का काम लो, जब तक प्राण हैं, इससे बना लो अपना परमार्थ।। ये मानव देह बार-बार नहीं मिला करता, कि हर बार मानव देह मिल जायेगा। दोबारा तो मानव देह तब मिलेगा जब मानव देह पाने वाला वर्क हो आपका, ऐसे नहीं मिला करता।। “कबहुँक करि करुणा नर देही, देत ईश” “जन्मान्तर सहस्त्रैषु” लाखों जन्म बीत जाते हैं। चौरासी लाख में तब मानव देह मिलता है।।
जय श्री राम💐🙏🚩
[ यदि अपने चित्त को भक्ति एवं परमार्थ के दिव्य गुणों के आलोक से आलोकित करने की अभिलाषा है, तो उसके लिए नितान्त अनिवार्य प्रतिबन्ध है कि मिथ्या दम्भ, अहंकार तथा राग-द्वेषादी दुर्गुणों से मन को खाली कर विनम्रता, सद्व्यवहार, श्रद्गा, विश्वास व निश्छलता को ह्रदय में स्थान दो।। संसार एक गंभीर सागर है। जिसको बिना केवट के पार करना सुगम नहीं मानसिक विकार रूपी जीव-जन्तु मार्ग में बाधक बन मंझधार में फंसा देते हैं।। गुरु रूपी केवट ही अपनी दिव्य शक्ति से इसे पार कर सकते हैं। प्रेम प्रत्येक ह्रदय में मौलिक रूप से विद्यमान है परन्तु प्रभु-प्रेम के लिए व्याकुल ह्रदय बिरला ही होता है।। सद्गुरु के दरबार में सेवक को वह निधि प्राप्त होती है। जरा राजाओं-महाराजाओं के पास भी नहीं है-जिसको न आग जलाए न चोर लूटे।। परन्तु मिलती उसे है जो सद्गुरु की मौज और आज्ञा को सत-सत कर माने। पूर्ण सद्गुरु के सेवक की पदवी सब देवी-देवताओं से भी बहुत ऊँची है। इसलिए सच्चा सेवक बनने का प्रयत्न करना चाहिये।।