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परमात्मा कोई इंसान नहीं है, वह कर्ता नहीं है। कर्ता कर्म और कारण तीनों वही है।। वह न पैदा होता है। और न ही मरता है।। वह अविनाशी है , सत्य है। वह सर्वशक्तिमान है।। उसका न आदि है न अंत। उसका कोई धर्म नहीं होता।। मौन के क्षणों में आप जब भी, जिस भी स्थान पर बैठ जाते हैं। वही स्थान तीर्थ बन जाता है।। वहीं परमात्मा आकर नाचने लगता है। जितना संभव हो मौन रहना सीखिये।। यह मौन ही ध्यान है। इन्ही ध्यान के क्षणों में आप परमात्मा के साथ होते हैं।।

     

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यदि आप दुखी हैं, तो इसलिए कि आपने संसार को बहुत गंभीरता से लिया है। दुख और सुख की चिंता छोड़, सिर्फ अपने दृष्टिकोण को बदलिए।। हर पल एक संभावना है। जीवन को जी लेने उत्सव बना लेने की।। गंभीर चित्त से आप सुखी नहीं हो सकते। इस पूरे जीवन को एक कहानी एक नाटक की तरह लीजिये।। बिल्कुल ऐसा ही है। अगर आप इसे इस तरह ले सके तो कभी दुखी नहीं होंगे।। जीवन एक उत्सव बन जायेगा। दुख गंभीरता का परिणाम है।।

         

[ माना कि जीवन का उद्देश्य परम शांति को प्राप्त करना है, मगर बिना संघर्ष के जीवन में शांति की प्राप्ति हो पाना कदापि सम्भव नहीं है। शांति मार्ग नहीं अपितु लक्ष्य है।। बिना संघर्ष पथ के इस लक्ष्य तक पहुँचना असम्भव है। जो लोग पूरे दिन को सिर्फ व्यर्थ की बातों में गवाँ देते हैं, वे रात्रि की गहन निद्रा के सुख से भी वंचित रह जाते हैं।। मगर जिन लोगों का पूरा दिन एक संघर्ष में, परिश्रम में, पुरुषार्थ में गुजरता है वही लोग रात्रि में गहन निद्रा और गहन शांति के हकदार भी बन जाते हैं। जीवन भी ठीक ऐसा ही है।। यहाँ यात्रा का पथ जितना विकट होता है लक्ष्य की प्राप्ति भी उतनी ही आनंद दायक और शांति प्रदायक होती है। मगर याद रहे लक्ष्य श्रेष्ठ हो, दिशा सही हो और प्रयत्न में निष्ठा हो फिर आपके संघर्ष की परिणिति परम शांति ही होने वाली है।। जो दान कर सके वही धन का वास्तविक मालिक है। बाकी तो सभी संपति के वॉचमैन है।।
[ अनेक नास्तिक लोग धर्म की खिल्ली उड़ाते हैं। पुण्य कर्मों की खिल्ली उड़ाते हैं।। उनका विचार है कि ना कोई धर्म है ना अधर्म। न कोई पाप है, न कोई पुण्य।। ऐसे लोग स्वयं भटके हुए हैं। और दूसरों को जीवन में भटकाते हैं।। स्वयं दिन-रात पापों में लगे रहते हैं और दूसरों को भी पापी बनाते हैं। ऊपर से भले ही ये लोग धनवान दिखते हों, लेकिन अंदर से यह ईश्वरीय दंड को भोगते रहते हैं, वह दंड है।। तनाव आशंका भय आदि उनकी यह मानसिक स्थिति सबको दिखाई नहीं देती। इसलिये दूसरे साधारण लोग भी उनकी ही नकल करने लगते हैं।

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