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दुनिया एक, रात का सपना नानक के घर केवल नाम यह इन्सान का जामा परमात्मा ने हमें अपना काम करने के लिए बख्शा है। अपना काम वही है। जो हमें वापस ले जाकर परमात्मा से मिलाता है,वह काम परमात्मा की भक्ति है।। यह दुनिया एक रात के “सपने”-की तरह है। इसकी कोई असलियत नहीं है। इसे देखकर यह नहीं भूलना चाहिए कि जो कुछ भी हम आंखों से देख रहे हैं।।जमीन-जायदाद,धन-दौलत, रिश्तेदार और यहाँ तक की हमारा शरीर भी एक दिन हमारा साथ छोड़ देगा। इसलिये आप उपदेश देते हैं।। इस अमूल्य अवसर से लाभ उठाओ बाल-बच्चे, दुनियाँ का खाना-पीना,ऐशो-इशरत आदि सब हमें पिछले जन्मों में भी मिलते आये हैं।। अगर कोई चीज है। जो हम पहले नहीं कर सके और केवल अब कर सकते हैं,तो वह परमात्मा की भक्ति है।।
[: कर्म वह फसल है। जिसे इंसान को हर हाल में काटना ही पड़ता है।। इसलिए हमेशा अच्छे बीज ही बोएं ताकि फसल भी अच्छी ही हो,ध्यान रहे कि इंसान ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जो गिरना चाहे तो जानवर से भी नीचे गिर सकता है,और अगर उठना चाहे तो अपने कर्मों से देवता से भी ऊंचा उठ सकता है,इसलिए अगर आपको वो फसल पसंद नहीं जो आप काट रहे हैं तो उन बीजों(कर्मों) की जांच भी जरूर करें जो आप बो रहे हैं। माँगी हुई खुशियों से किसका भला होता है,किस्मत में जो लिखा होता है उतना ही अदा होता है,न डर रे मन दुनिया से,यहाँ किसी के चाहने से नहीं किसी का बुरा होता है,मिलता है। वही,जो हमने बोया होता है, कर पुकार उस प्रभु के आगे,क्योंकि सब कुछ उसी के बस में होता है।। कुछ भी बोलने से पहले ध्यान रखना कि भाषा ही शरीर का एक ऐसा अदृश्य अंग है। जिसमें मनुष्य का सब कुछ दिखाई दे जाता है।।
[जो दूसरों के दोष पर ध्यान देता है। वह अपने दोषों के प्रति अंधा हो जाता है।। ध्यान तुम या तो अपने दोषों की तरफ दे सकते हो या दूसरों के दोषों की तरफ दे सकते हो, दोनों एक साथ न चलेगा। क्योंकि जिसकी नजर दूसरों के दोष देखने लगती है, वह अपनी ही नजर की ओट में पड़ जाता है।। और एक समझ लेने की बात है, कि जब तुम दूसरों के दोष देखोगे तो दूसरों के दोष को बड़ा करके देखने की मन की आकांक्षा होती है। इससे ज्यादा रस और कुछ भी नहीं मिलता कि दूसरे तुमसे ज्यादा पापी हैं, तुमसे ज्यादा बुरे हैं, तुमसे ज्यादा अंधकार पूर्ण हैं।। बिना ठीक हुए अगर तुम ठीक होने का मजा लेना चाहते हो, तो दूसरों के दोष गिनना। और जब तुम दूसरों के दोष गिनोगे तो तुम स्वभावत: उन्हें बड़ा करके गिनोगे।। खुश नसीब वह नहीं जिसका भाग्य बहुत अच्छा है। खुश नसीब वह है जो अपने भाग्य से संतुष्ट एवम खुश है।।

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