जानबूझकर किया गया पाप है और अनजाने में किया गया पुण्य हैं ऐसा शास्त्रों में बताया गया है ऐसा सभी महानुभावों महापुरूषों ने कहा है और उसी के अनुसार इस दुनिया में लोग अपना आचरण और व्यवहार करते हैं और किसी के दिल को ठेस पहुचाना किसी को धोखा देने की बात मन में लाना भी मानसिक पाप की श्रेणी में आता है शारीरिक पाप किसी को शारीरिक रूप से कष्ट पहुंचा कर किया गया अपने हित में कोई ऐसा कार्य जिससे उसे लाभ होता हो वह शारीरिक पाप है और मानसिक पाप किसी को मालूम नहीं है कि सामने वाला मेरे लिए क्या सोच रहा है और वह करता कुछ भी नहीं है सिर्फ गलत सोच विचार करता है वह भी एक प्रकार का पाप मानसिक ही कहलाता है
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