: भागवत ज्ञान
पति -पत्नी में छोटे-छोटे झगड़े आम बात हैं, ये जरूरी भी होते हैं रिश्ते की ताजगी के लिए। कभी-कभी ये छोटी- छोटी बातें ही बड़ा रूप भी ले लेती हैं और गृहस्थी नर्क लगने लगती है। वैवाहिक जीवन में आपसी तालमेल बहुत जरूरी होता है। इसके लिए श्रीमद् भागवत कीये तीन बातें ध्यान रखना जरूरी है।
- एक-दूसरे के प्रति सम्मान
- आपसी विश्वास
- एक दूसरे के प्रति निष्ठा ।
इन तीनों में से एक बात की भी अनदेखी हुई तो गृहस्थी बिखरने में देर नहीं लगती। इस बात को श्रीमद् भागवत में दी गई राजा ययाति की कथा से समझ सकते हैं।
इस कहानी से समझें
राजा ययाति बड़े प्रतापी थे। उनका विवाह दैत्य गुरु शुक्राचार्य की बेटी देवयानी से हुआ था। विवाह पूर्व शुक्राचार्य ने ययातिसे वचन लिया था कि वो कभी भी देवयानी के अलावा किसी अन्य स्त्री से संबंध नहीं रखेंगे। जब देवयानी गर्भवती हुईं तो शर्मिष्ठा को उससे ईर्ष्या होने लगी। शर्मिष्ठा, राजा ययातिके महल के पीछे कुटिया में रहती थी। उसने ययातिको अपने रूप जाल में फांस लिया था। एक दिन देवयानी को ये बात पता चल गई। इस पर शुक्राचार्य ने ययातिके भ्रष्ट आचरण की बात सुनकर उसे श्राप दे दिया कि वो युवा अवस्था में ही वृद्ध हो जाए। ययातिने अपने किए की क्षमा मांगी, लेकिन राजा के वैवाहि क जीवन का सुख, विश्वास और सम्मान, खत्म हो चुका था। इसलिए हमेशा इन तीनों बातों का ध्यान रखना चाहिए।
इस संसार में कोई भी ऐसा मनुष्य न हुआ होगा जिसके ऊपर सम्पूर्ण जीवनकाल में विपत्ति न आई हो विपत्ति के समय मनुष्य अधीर हो जाता है।। और स्वयं को निरीह समझने लगता है। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।। हमारे महापुरुषों ने बताया है कि विपत्ति के समय मनुष्य को धैर्य नहीं खोना चाहिए यही समय अपने धैर्य की परीक्षा का होता है। जो विपत्ति में धेर्य धारण करके विपत्ति का सामना करता है वह पहले की अपेक्षा और मजबूत होकर समाज में स्थापित होता है।। और जो में टूट जाता है वह फिर जीवन भर नगीं सम्हल पाता अत: बड़ी से बड़ी विपत्ति में मनुष्य को दो कार्य अवश्य करना चाहिए। १- साहस , २- भगवान का आश्रय जो भी इन दोनों का सहारा नहीं छोड़ता वह प्रत्येक विपत्ति के बाद और भी मजबूत होता रहता है।। शायद इसीलिए कहा गया है। हारिये न हिम्मत , बिसारिये न राम।।
जय श्री कृष्ण🙏🙏