याद रहे – परमात्मा हमारा भाग्य नहीं लिखता…,
जीवन के हर कदम पर हमारी सोंच, हमारे बोल व हमारे कर्म ही हमारा भाग्य लिखते हैं।
अतः सदा स्मरण रहे… कि हर पल, कलम भी हमारी है… लिखावट भी हमारी है… और फिर तो भाग्य भी हमारा ही है…!!
परमात्मा से शिकायत कम और
परमात्मा का शुक्रिया ज़्यादा करने
से ज़िंदगी
आसान हो जाती है।
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