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    *पापों में प्रवृत्ति का मूल कारण है काम अर्थात संसारिक सुख भोग और संग्रह की कामना। इस काम रूप एक दोष में अनंत दोष, अनंत विकार, अनंत पाप भरे हुए हैं।*

     *साधक के जीवन में राग और द्वेष (जो काम और क्रोध के ही सूक्ष्म रूप हैं) महान शत्रु हैं। ये दोनों ही पाप के कारण हैं।*

   *एक कामना को ही पापों का मूल बताया जाता है। कामना की पूर्ति होने पर लोभ और कामना में बाधा पहुँचने पर क्रोध उत्पन्न होता है। यदि बाधा पहुँचाने वाला अपने से अधिक बलवान हो तो क्रोध की जगह भय उत्पन्न होता है।*

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🙏 आध्यात्म साहस नही! वस्तुतः दुस्साहस माँगता है! 🙏

जो हमारी समझ में नहीं आता, वह इसलिए समझ में नहीं आता क्यों कि हमे उसका कोई अनुभव नहीं हुआ है। अनुभव के बिना समझ कैसे होगी? अनुभव के बिना कोई अंडरस्टैंडिंग, कोई प्रज्ञा का विकास नहीं होता। तो हम ये ना कहे कि जब समझ में ही नहीं आता तो हम चलें कैसे? क्योंकि चलगे, तो ही समझ में आयेगा। अग़र हमने ऐसा मान लिया तो अपने जीवन में एक ऐसे पत्थर को रख लिया कि उसको पार करना फिर असंभव हो जायेगा।

कोई प्रेम को जानता नहीं; प्रेम करता है तब जानता है। और न ही कोई परमात्मा को जानता है, जब तक उतरता नहीं उस गहराई में। और न ही कोई आत्मा को जानता है, जब तक डूबता नहीं अपने आत्यंतिक केंद्र पर। इसलिए समझ से भी ज्यादा जरूरी है साहस। जी हाँ अध्यात्म के मार्ग पर समझ से भी ज्यादा जरूरी है साहस। क्योंकि साहस हो तो आदमी अनुभव में उतरता है; अनुभव में उतरे तो समझ आती है। इसलिए जिनको तुम समझदार कहते हो वह वंचित ही रह जाते हैं। क्योंकि समझदार यह कहेगा, यह अपनी समझ में नहीं आती। जो समझ में नहीं आता, उस पर चलूं कैसे? पता नहीं कोई भटकाव न हो जाये! पता नहीं जो हाथ में है, कहीं वह भी न खो जाये! ये बड़ी दूर की बातें है, आकाश की बातें, कहीं ये बाते मुझे मेरी पृथ्वी से ही न उजाड़ दें! एक छोटा घर बनाया है–वासना का, तृष्णा का, अहंकार का एक छोटा संसार रचाया है। ये कहीं परमात्मा और आत्मा के खयाल, यह दिव्य प्यास, कहीं मेरी सारी घर-गृहस्थी को डांवांडोल न कर दे।

तो समझदार आदमी कहता है, जब समझ में आयेगी तब करेंगे। साहसी कहता है, समझ में नहीं आती तो क्या हुआ और मैं जानने का साहस को करके देखुगा।

आध्यात्म साहस नही! वस्तुतः दुस्साहस माँगता है! इसलिए तो महावीर को हमने महावीर नाम दिया। उन्होंने बड़ा दुस्साहस किया। वह समझ के लिए न रुके। वह अनुभव में उतर गये। जुआरी की हिम्मत! सब दांव पर लगा दिया। फिर समझ भी आयी। क्योंकि समझ अनुभव की छाया की तरह आती है।…
[: हमारी आत्मा और परमात्मा एक ही है । इस बात को मानते तो सभी है ,लेकिन इसे आत्मसात कर लेने वाले बिरले ही महा पुरुष होते है । वे किसी भी सुख -दुख से अप्रभावित रहते हुए पाप – पुण्यो को छोड़ कर आत्मा में ही रमण करने लगते है । उन मनुष्यों के के सभी कर्म दिव्यता को प्राप्त होते है ॥

जब हम दूसरों पर भरोसा करते है और दूसरों पर ही निर्भर करते है तो उस स्थिति में हम अपनी आत्मिक शक्ति खो देते है ॥
अत: जगत पर निर्भर होने के बजाय अपनी आत्मा पर ही भरोसा करे । जब हम दूसरों का भरोसा छोड़ कर केवल अपनी आत्मा का ही भरोसा करेंगे तो जगत की सभी सम्पदायें स्वत: ही आप के पास आने लगेगी । हमारी दृष्टि जगत और केवल एक आत्म तत्व पर ही स्थिर होनी चाहिए । लोगों की धमकी और प्रशंसा को काट कर केवल आत्म तत्व पर ही दृष्टि रखें ॥

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जीवन एक साधना है। जीवन जन्म के साथ नहीं मिलता। जन्म के साथ तो केवल एक बीज रूप सम्भावना मिलती है। जीवन तो आपको स्वयं निर्मित करना होता है।

परमात्मा ने आपको एक अवसर दिया है। जन्म केवल एक अवसर है। परमात्मा जन्म देता है जीवन नहीं।

जीवन स्वयं पैदा करना पड़ता है, और जो जीवन को पैदा करने में समर्थ है, वह आनंद को उपलब्ध हो जाता है।आनंद सदा आत्मसृजन की छाया है।

जब आप जीवन निर्मित कर लेते हैं,आनंद से भर जाते हैं, तब आप फूल की तरह खिल उठते हैं।

!!!…दिल से दिल की बात
दुनिया तो….
एक ही है…!!
फिर भी….
सबकी अपनी अलग अलग है…!!!

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मानवीय गुणों में एक प्रमुख गुण है “क्षमा” और क्षमा जिस भी मनुष्य के अन्दर है वो किसी वीर से कम नही है। तभी तो कहा गया है कि- ” क्षमा वीरस्य भूषणं और क्षमा वाणीस्य भूषणं ” क्षमा साहसी लोगों का आभूषण है और क्षमा वाणी का भी आभूषण है। यद्यपि किसी को दंडित करना या डाँटना आपके बाहुबल को दर्शाता है।
मगर शास्त्र का वचन है कि बलवान वो नहीं जो किसी को दण्ड देने की सामर्थ्य रखता हो अपितु बलवान वो है जो किसी को क्षमा करने की सामर्थ्य रखता हो। अगर आप किसी को क्षमा करने का साहस रखते हैं तो सच मानिये कि आप एक शक्तिशाली सम्पदा के धनी हैं और इसी कारण आप सबके प्रिय बनते हो।
आजकल परिवारों में अशांति और क्लेश का एक प्रमुख कारण यह भी है कि हमारे जीवन से और जुवान से क्षमा नाम का गुण लगभग गायब सा हो गया है। दूसरों को क्षमा करने की आदत डाल लो जीवन की कुछ समस्याओं से बच जाओगे। निश्चित ही अगर आप जीवन में क्षमा करना सीख जाते हैं तो आपके कई झंझटों का स्वत:निदान हो जाता है..!!
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