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अम्लता या सीने/छाती में जलन (Acidity or Heartburn)

अम्लता, एक साधारण पाचन समस्या की तरह लग सकती है जिसे व्यापक रूप से विज्ञापित अम्लत्वनाशक (Antacids) द्वारा आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है।

लेकिन जब यह समस्या लंबे समय तक लगातार बनी रहे और व्यक्ति इसके लिए रोजाना अम्लत्वनाशक (Antacids) लेता हो तो इसे गंभीरता से लेना चाहिए।

अगर इसे लंबे समय तक नजरअंदाज किया जाता है तो यह अन्य स्वास्थ्य समस्यायों जैसे अल्सर, बालों का समय से पहले सफ़ेद होना, बालों का गिरना, आँखों की समस्या, त्वचा की समस्या, चिंता, बांझपन, हृदय रोग जैसे(Arrhythmia) और कई अन्य स्वास्थ्य विकारों का कारण बन सकता है।

इसके कारण

असंगत भोजन जैसे नमकीन भोजन के साथ दूध लेना, रात में दही खाना, आदि।
प्रदूषित और पैकेज्ड भोजन/खाद्यों का सेवन करना।
नमकीन, खट्टा, अम्लीय, गर्म और शुष्क भोजन का अत्यधिक सेवन करना।
टमाटर के सॉस, सिरका, अचार, लहसुन, प्याज और चॉकलेट का अत्यधिक उपयोग करना।
पानी का कम या अधिक इस्तेमाल।
मदिरा, धूम्रपान, तंबाकू
सोडा, अम्लत्वनाशक (Antacids), दर्द निवारक दवाओं का नियमित उपयोग।
पहले से खाए भोजन के बिना पचे फिर से भोजन करना।
खाना खाने के तुरंत बाद सोना।
देर रात तक जागना।
तंग फिटिंग के कपड़े पहनना।
चिंता(Anxiety) और तनाव (Stress)
गुस्सा, ईर्ष्या और हर परिस्थिति में असंतोष होना।

ऊपर बताए गए आहर और जीवन शैली से पित्त दोष बढ़ता है, जो पाचन संबंधी अग्नि (Digestive Agni) को खत्म कर देता है जैसे गर्म पानी से आग जल्दी बुझती है।

इसके लक्षण

खाना खाने के बाद छाती, गले या पेट में दर्द या जलन होना।
अपच, गैस और थकान।
खट्टी या अम्लीय डकार, खट्टा पानी मुंह में आना।
मुंह का स्वाद कड़वा या खट्टा होना।
जी मिचलाना, उल्टी आना।
सरदर्द और चक्कर आना।
मुंह में छाले होना।
जलन की अनुभूति होना।
पीठ में दर्द और सुन्नता।
खान-पान और जीवनशैली

इसके कारण के तहत उल्लेखित बिंदुओ से बचे।
(धीरे-धीरे खाएं और रोजाना निश्चित समय पर खाएं।
कड़वे स्वाद वाली चीजों जैसे करेला, मेथी दाना, एलोवेरा, नीम और लोहे के बर्तन में पकाए गए भोजन को अपने आहार में शामिल करें।
जौ, गेहूं, मूंग दाल, पुराना चावल, मिश्री और साबुदाना लेवे।
सहजन (Drumstick), केले के फूल, धनिया, लौकी, तुरई, ककड़ी, परवल और नीम खाए।
लौंग, तुलसी, एलोवेरा, आंवला, इलायची, चंदन, खस, गिलोय और हरड़ का उपयोग करे।
केला, सेब, अनार, खरबूजा, नारियल, अंगूर और नींबू का सेवन करे।
किशमिश, खजूर लेवे।
दूध, छाछ, सफेद मक्खन और घी का उपयोग करे।
शहद, गुलकंद, आंवला का मुरब्बा या आंवला की कैंडी लेवे।
वजन को संतुलित रखे।
प्रतिदिन नियमित रूप से व्यायाम करे।

चीजों से बचें या परहेज़ करे

उरद की दाल, कुलथी, तिल, दही का पानी, सरसों, काली मिर्च, मिर्च, टमाटर और खट्टे फल।
फास्ट फूड, मसालेदार और तैलीय भोजन।
कच्ची सब्जियों का सलाद और बिना पके अंकुरित अन्न का सेवन।
चीस और मक्खन।
तीव्र गर्मी या धूप में काम करना।

कुछ आयुर्वेदिक उपाय/सलाह

केवल उबालकर ठंडा किया हुआ पानी ही पिए।
भोजन के बाद पानी में चुटकी भर Shunthi और नींबू के रस ले।
भोजन के बाद आंवले का चूर्ण लें।
भोजन के बाद Shunthi को आंवले के चूर्ण के साथ लेवे।
भोजन से पहले अदरक और नमक चबाए।
भोजन के बाद अजवाईन को घी में भूनकर लेवे।
खाना खाने के बाद भीगे हुए सौंफ के बीज चबाए।
गिलोय चूर्ण को घी के साथ ले।
पूरे दिन जीरे का पानी पिएं।
शहद के साथ त्रिफला क्वाथ लेवे।

2 लौंग रात भर पानी भिगोकर रखे और सुबह खाली पेट इस पानी को पीएं।
धनिया और सौंफ रात भर भिगोकर रखे और इसके पानी को खाली पेट पिएं।
भोजन से पहले मुलेठी का काढ़ा लेवे।

आयुर्वेदिक उपचार ले क्युकी आयुर्वेदिक औषधियां और क्रियाएं जैसे वमन चिकित्सा इस समस्या को जड़ से ठीक कर देती है।

नियमित आधार पर अम्लत्वनाशक (Antacids) लेने से क्यों बचे?
सके नियमित उपयोग से यह पेट के एसिड/अम्ल को गड़बड़ करता है जिससे यह भोजन के पाचन और पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करेगा।
अपच, दस्त, कब्ज, गैस, दिल के विकार, उच्च रक्तचाप, तनाव, चिंता और संक्रमण जैसी समस्यायों को संभावना भी बढ़ जाती हैं।

इसका जल्द से जल्द इसके मूल कारण सहित उपचार करना चाहिए अन्यथा इसके कई दीर्घकालिक नुकसान हो सकते है।

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