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ये लक्षण बताएंगे आपकी प्राण ऊर्जा हो चुकी है खत्म, कैसे करे रिचार्ज ?

प्राण संस्कृत का शब्द है जिसका संबंध जीवन शक्ति से है। यदि आप जीवन में खुशहाली और सकारात्मकता चाहते हैं तो प्राण ऊर्जा को संतुलित करना बहुत जरूरी है। जब हमारी प्राण ऊर्जा मजबूत होती है तो हम प्रसन्न, स्वस्थ और संतुलित महसूस करते हैं लेकिन यदि हमारी आदतें और जीवनशैली खराब हो तो प्राण शक्ति कमजोर हो जाती है। इसकी वजह खराब डायट, खराब जीवनशैली और नकारात्मक सोच है।

ऐसा होने पर हमें शारीरिक और मानसिक स्तर पर कुछ लक्षण दिखाई देते हैं जो वास्तव में खतरे की घंटी है कि आपकी प्राण ऊर्जा कमजोर पड़ रही है।

प्राण ऊर्जा का कार्य

जब हम सांस लेते हैं हम प्राण ऊर्जा ग्रहण करते हैं। आप सोच रहे होंगे कि हम तो ऑक्सीजन ग्रहण करते हैं लेकिन आपको जानने की जरूरत है, प्राण शक्ति वो अनछुआ और अनदेखा एहसास है जो अध्यात्म में मौजूद तो है लेकिन इसे आप तभी महसूस कर पाएंगे जब आपका रुख अध्यात्म की तरफ होगा। ये जीवन शक्ति ऊर्जा के रूप में शरीर में फैलती है बिल्कुल वैसे ही जैसे नसों के जरिए खून संपूर्ण शरीर में दौड़ता है। यह प्राण शक्ति 7 चक्रों से होती हुई पूरे शरीर में बहती है ठीक उसी तरह जैसे रक्त सभी अंगों तक पहुंचता है। जब यह ऊर्जा ब्लॉक हो जाती है तो हमें कुछ शारीरिक और भावात्मक लक्षण दिखाई देते हैं।

प्राण ऊर्जा के असंतुलन के 10 लक्षण

1. अत्यधिक थकान और आलस

2. तनाव और काम से थकान या चाहकर भी इसे नहीं बदल पाना

3. बार-बार नकारात्मक और हानिकारक विचार

4. प्रेरणा की कमी

5. जो भी चीज़ नकारात्मक लगे उसके प्रति फौरन और बार-बार भावात्मक प्रतिक्रिया देना

6. सिर दर्द और उलझन

7. जुकाम, एलर्जी या रोग प्रतिरोधक क्षमता से जुड़ा कोई विकार

8. परेशान रहना

9. पाचन तंत्र की परेशानी जैसे खराब पेट या डायरिया

10. सेक्सुअल दिक्कतें

ये 10 लक्षण यदि आपको अपने अंदर बार-बार दिख रहे हों और वो भी तब जब आपको कोई बड़ी बीमारी ना हो और आप चिकित्सीय रूप से स्वस्थ हों तब समझिए आपकी प्राण ऊर्जा को रिचार्ज करने की जरूरत है।

अपनी उर्जा को रिचार्ज करने के लिये व अपनी सभी प्रकार की शक्तियों को पुनर्जीवित करने के लिये निम्न बातों का ध्यान रखे

1) नित्यं प्रति शारिरिक व्यायाम जैसे दौड़ लगाना, तैरना, खेलना, साईकल चलाना, सैर करना, योगासन करना, एक्सरसाइज़ करना, नाचना, हंसना आदि करना चाहिए । क्युकि विभिन्न तरह के शारिरिक व्यायाम करने से हमारे शरीर की नस नाड़िया खुलती है जिससे इन नाडियो मे रक्त का प्रवाह बढ़ कर प्राण उर्जा मे वृद्धि होती है ।

2) हमारे अंदर कितनी प्राण ऊर्जा है यह इस बात पर निर्भर करता है की हमारे शरीर व मन मे आक्सीजन की मात्रा कितनी है क्युकि आक्सीजन का ही दूसरा नाम प्राण ऊर्जा है। और आक्सीजन की मात्रा बढ़ाने के लिये हर रोज प्रातः काल खुले स्थान पर कपालभाति, भस्त्रिका, अग्निसार, अनुलोम-विलोम आदि प्राणायाम का अभ्यास करे ।

3) हमारे आहार का हमारी प्राण ऊर्जा पर सीधा असर पड़ता है अतः अपने आहार मे शुद्ध सात्विक भोजन, हरी सब्जियां, सलाद, फल, दूध, दही, घी, अंकुरित अनाज, सुखे मेवे आदि शामिल करे और निषिद्ध आहार बिल्कुल बंद कर दे । कभी भी ठूस ठूस कर ना खाये । किसी प्रकार का कोई नशा या व्यसन ना करे ।

4) आपकी मानसिकता का व भावनाओं का आपकी प्राण ऊर्जा पर पुरा प्रभाव पड़ता है यदि आप नकरात्मक गुणों वाले व्यक्ति है यानि आप अधिकतर उदास, बैचैन, तनाव ग्रस्त, निराश, उत्साहहिन, व दुखी रहते है तो आप की यह नकरात्मक्ता आपकी सारी प्राण ऊर्जा को खा जायेगी । किंतु यदि आप सकरात्मक व्यक्ति है और आप हमेशा खुश, उल्लासित, उत्साही व मस्त रहते है तो आपकी ऊर्जा अपने शिखर पर होगी ।

5) अपने अंदर की सभी तरह की विसंगतियों व असन्तुलन को दूर करने के लिये व प्राण ऊर्जा का स्तर त्रिव गति से बढ़ाने के लिये आपको नियमित रूप से ध्यान का अभ्यास करना चाहिए । ध्यान के अभ्यास से आपको सीधे परमात्मा की तरफ़ से उर्जा आशीर्वाद रूप मे मिलने लगती है
6) मनोरंजक कार्य करे जैसे किसी धार्मिक तीर्थ पर या प्राकर्तिक स्थल या पहाड़ो, समुंद्र आदि पर या अपने किसी भी प्रिय स्थान पर मित्रों के साथ या परिवार के साथ या अकेले भ्रमण के लिये जाये ।
कुछ भी सृजनात्मक कार्य जैसे बागवानी करना, चित्र बनाना, खाना बनाना, बच्चों के साथ खेलना, गीत गाना, संगीत सुनना या सीखना आदि कार्य करे ।

हर रोज पर्याप्त विश्राम करे व पर्याप्त नींद ले ।
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