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*नेत्र रोग नाशक नुस्खे

नेत्र रोग के कारण :खुले स्थान में अधिक देर तक स्नान करना, सूक्ष्म और दूर की वस्तु को बहुत देर तक देखना, रात में जागना और दिन में सोना, आँखों में धूल, धुआँ और मिट्टी पड़ जाना, धूप में गरम हुए पानी से मुँह धोना, पौष्टिक खाद्य का अभाव, चाय और वनस्पति-घी का उपयोग अधिक करना आदि कारणों से नेत्रों के रोग उत्पन्न होते हैं।

नेत्र-रोगों से बचने के सामान्य उपाय :

💐💐💐 जो मनुष्य नियमित जीवंत सुबह उठते ही बासी थूक(लार) नयन में काजल की तरह लगाते हैं उन्हें जीवंत नयन रोग नहीं होता है व नयन रोग से ग्रसित है तो पूर्णतः ठीक हो जाता है 💐💐💐

(1) धूल या मिट्टी आँख में पड़ जाए तो आँखों को मसलना नहीं चाहिए। धीरे-धीरे आँखें खोलने और बन्द करने से या ठण्डे पानी के छींटे देने से धूल के कण आसानी से निकल जाते हैं।

(2) पढ़ते-लिखते समय प्रकाश हमेशा उचित मात्रा में, पीछे या बायीं तरफ से आना चाहिए, सामने से प्रकाश आने से आँखें बहुत जल्दी थक जाती हैं।

(3) कापी या किताब 12 से 15 इञ्च की दूरी पर रखना चाहिएं।

(4) सुबह उठते ही प्रतिदिन ठण्डे पानी से आँखें धोनी चाहिएं।

(5) सरसों के तेल से बना काजल या गुलाबजल आँखों में प्रतिदिन डालना चाहिए।

(6) अधिक देर तक पढ़ते-लिखते समय आँखों की थकान दूर करने के लिए-बीच-बीच में अपनी हथेलियों को हल्के से आँखों पर रखें, जिससे बाहरी-प्रकाश आँखों पर न पड़े।

(7) हरे शाक-सब्जी, दूध आदि के प्रयोग से आँखों की शक्ति बढ़ती है।
(8) आँखों को बार-बार ऊपर-नीचे, दाँए-बाँए, तिरछा और गोल-गोल घुमाकर आँखों का व्यायाम करें। फिर थोड़ी देर के लिए आँखें बन्द कर लें ।

(9) प्रतिदिन घी का अधिक से अधिक उपयोग करने से आँखों की शक्ति बढ़ती है।

(10) अन्य व्यक्ति का रूमाल, तौलिया या अँगोछे का उपयोग नहीं करना चाहिए।

नेत्र-रोगों से रक्षा के उपाय :

(1) तिल के ताजे 5 फूल प्रातःकाल (अप्रेल में ही) निगलें, तो पूरे वर्ष आँखें नहीं दुखेंगी।

(2) चैत्र के महीने में प्रतिवर्ष ‘गोरखमुण्डी’ के 5 या 7 ताजे फूल चबाकर पानी के साथ खाने से आँखों की ज्योति बढ़ती है ।

(3) एक सप्ताह के बच्चे को बेलगिरी के बीच की मिंगी शहद में मिलाकर चटाने से जीवनभर आँखें नहीं दुखतीं ।

(4) नींबू का एक बूंद रस महीने में एक बार आँखों में डालने से कभी आँखें नहीं दुखतीं।

नेत्र रोग नाशक घरेलु इलाज :

(1) पुनर्नवा के अर्क की 2-3 बूंदें आँखों में टपकाने से आँखों के सभी रोग दूर होते हैं।

(2) तिल के फूलों पर, जो ओस इकट्ठी होती है, उसे इंजेक्शन के द्वारा एकत्रित करके साफ शीशी में रख लें, इसे आँखों में डालने से नेत्रों के सभी विकार दूर होते हैं।

(3) नीम के हरे पत्तों को साफ करके एक सम्पुट में रख दें, ऊपर से एक कपड़ा ढंककर मिट्टी लगा दें तथा आग पर रख दें। जब पत्तियाँ बिल्कुल राख हो जायें, तब उन्हें निकालकर, नीबू के रस में मिलाकर आँखों में लगाने से खुजली, जलन आदि दूर होती है।

(4) एक भाग पीपल और दो भाग बड़ी हरड़ को पानी में घिसकर बत्ती बनाकर, आँखों में लगाने से सभी रोग दूर होते हैं।

(5) गोरखमुण्डी की जड़ को छाया में सुखाकर पीस लें, उसी मात्रा में शक्कर मिलाकर 7 माशा गाय के दूध के साथ पीने से आँखों के अनेक विकार दूर होते हैं।

(6) त्रिफला को 4 घण्टे पानी में भिगो दें और छानकर वही पानी आँखों में डालने से व त्रिफला की टिकिया बाँधने से त्रिदोष से उतपन्न आँखों के सभी रोग दूर होते हैं।

(7) सोंठ और नीम के पत्तों को पीसकर गरम कर लें और सेंधा नमक मिलाकर टिकिया बना लें फिर आँखों के ऊपर रखकर पट्टी बाँधने से कई रोगों में आराम मिलता है।

(8) हरड़, सेंधा नमक, गेरू और रसौत को पानी में पीसकर पलकों पर लगाने से सभी रोग दूर होते हैं।

(9) सात माशे फिटकरी को ग्वारपाठे के रस में घोंटकर, काँसे की थाली में बीच में रख दें, ऊपर से काँसे की कटोरी ढक दें। थाली के नीचे हल्की आँच जलाएं, फिटकरी के फूल उचटकर ऊपर ढकी हुई कटोरी में चिपक जायेंगे, इन फूलों में शुद्ध शोरा मिलाकर- आँखों में लगाने से फूला, जाला आदि रोग दूर होते हैं।

(10) ढाक की जड़ का स्वरस या भाप के द्वारा निकाला गया अर्क आँखों में डालने से- रतौंधी और आँखों से पानी बहना आदि रोग दूर हो जाते हैं।

(11) देवदारु के चूर्ण को बकरी के मूत्र की भावना देकर, घी के साथ लेने से आँखों के सभी रोग दूर होते हैं।

(12) देशी गाय के ताजा गौमूत्र को 16 तह सूती कपड़े से छानकर सुबह शाम एक एक बूंद आँखों मे डालने से नयन के सभी रोग नस्ट होते हैं

निरोगी रहने हेतु महामन्त्र

मन्त्र 1 :-

• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें

• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) व रिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें

• ‎विकारों को पनपने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)

• ‎वेगो को न रोकें ( मल,मुत्र,प्यास,जंभाई, हंसी,अश्रु,वीर्य,अपानवायु, भूख,छींक,डकार,वमन,नींद,)

• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)

• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें

• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें

मन्त्र 2 :-

• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)

• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)

• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुनगुने पानी का सेवन कर शौच क्रिया को जाये

• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें

• ‎पानी हमेशा बैठ कर घुट घुट कर पिये

• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें

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