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रोग 🍁परिचय :🥀मूत्राशय की पथरी का कारण लक्षण और इलाज

🍂पथरी मूत्राशय में होने पर रोगी को वृक्कशूल की ही भाँति तड़पा देने वाला दर्द होता है । यह दर्द मूत्राशय, गुर्दा और वृषणों मध्य के स्थान (सीवन) और पुरुषों में लिंग के अग्रभाग (सुपारी) तक में होता है। यह दर्द मूत्र त्याग के समय अथवा मूत्र त्यागने के पश्चात् अधिक बढ़ जाता है।

🌺मूत्राशय की पथरी के कारण |

🏵️किसी प्रकार से मूत्र के साथ निकलने वाले क्षारीय तत्व अगर किसी एक स्थान पर रुक जाते है,चाहे वह मूत्राशय हो,गुर्दा हो या मूत्रनालिका हो, इसके कई रूप हो सकते है |इस पदार्थ में छोटे छोटे दाने बनते हैं जो बाद में पथरी में तब्दील हो जाते है|कभी कभी यह बडा रूप लेकर बहुत परेशानी का कारक बन जाती है|

🏵️मूत्राशय की पथरी के लक्षण :

✦🌾रोगी को बार-बार गाढे रंग का मूत्र आता है।
✦🌿पथरी मूअशय के मुख में फैंस जाने पर मूत्र रुक-रुक कर आने लगता है या बिल्कुल ही बन्द हो जाता है।
✦ 🌾यदि पथरी काफी समय तक मूत्राशय में पड़ी रहे तो मूत्राशय का आकार तथा रचना बिगड़ जाती है।
✦ 🍁बच्चों को यह रोग होने पर मूत्र त्यागने के बाद कष्ट के कारण रोना-चीखना पड़ जाता है तथा कष्ट के लक्षण चेहरे पर स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं।
✦🍁 बच्चा अपने लिंग (सुपारी) को हाथ से मलता है तथा कभी-कभी नींद में बिस्तर पर ही मूत्र कर देता है।
✦🌺मूत्राशय की पथरी अक्सर बच्चों तथा वयस्कों को तथा दुबले-पतले मनुष्यों को बनती है।
✦ 🌺यह पथरी प्राय: भूरी या सफेद होती है तथा ज्वार के दाने से लेकर मुर्गी के अंडे के आकार तक की हो सकती है।

🌹पथरी से बचने के उपाय :

🌾ऐसा समझा जाता है कि जिन व्यक्तियों के मूत्र में एक बार पथरी आ जाती है उनमें १५ प्रतिशत ऐसे होते है जिनमें दोबारा पथरी बन जाती है। और जिनमें ऑपरेशन द्वारा पथरी निकालनी पड़ती हैउनमें से ४७ प्रतिशत ऐसे होते हैं जिनमें दोबारा पथरी बन जाती है ।

🍃✦पथरी के रोगियों को जल खूब सेवन करना चाहिये ।
✦🏵️रोगी को अधिक कैल्शियम वाले आहार सेवन नहीं करना चाहिए।

✦🌺भोजन में यूरिक-एसिड बढ़ने वाले पदार्थों का परहेज रखें।
🍃✦अधिक मक्खन व दूध का सेवन न करें तथा देर से हजम होने वाली चीजों का सेवन न करें।
✦🏵️चूना या पान नहीं खाना चाहिए यह आपका रोग बढ़ा सकता है ।
✦,🍁पत्थर वाले चावलों का सेवन न करें क्योंकि यह रोग को बढ़ा देता है।
✦ 🌻उस कुएं का पानी न पीएं जिसमे चुने की मात्रा मिली हो ।
✦🏵️मछली, मांस व नशीली चीजों का सेवन न करें। इससे रोग में वृद्धि होती है।
🍃✦रोगी को साफ व ठण्डा पानी अधिक पीना चाहिए।
✦🌺सोडे का प्रयोग प्रतिदिन न करें।
✦🍃खाली पेट अधिक देर तक न रहें तथा पेट में वायु (गैस) पैदा करने वाली चीजों का सेवन न करें।

मूत्राशय की पथरी का इलाज 🌹/उपचार /🌻 चिकित्सा:

🏵️इसकी चिकित्सा पित्ताशय की शोथ (पित्ताश्मरी) व वृक्क का दर्द (पथरी) की ही भाँति होती है। पथरी तोड़ने तथा अधिक मूत्र लाने वाले योगों का ही सेवन करायें ।

1-🌷 दाऊदी के फूल 9 ग्राम पानी में उबालकर पिलाना लाभप्रद है।

2-🥀 कुल्थी 6 ग्राम, सौंफ 6 ग्राम 1 लीटर जल में इतना उबालें कि आधा भाग पानी उड़ जाये। फिर शीशा नमक ढाई ग्राम तथा गाय का घी 6 ग्राम मिलाकर पिलाना लाभप्रद है।

3-🥀कुल्थी 20 ग्राम को 240 ग्राम पानी में औटायें । जब पानी चौथाई रह जाये तब उतार कर छानकर गुनगुना रोगी (सुबह-शाम) पिला दें। पथरी गलकर निकल जायेगी ।

4-🌷पपीते की जड़ 6 ग्राम सिल पर बारीक पीसलें । फिर इसे 50 ग्राम पानी में घोलकर छानकर रोगी को सुबह-शाम (21 दिन) सेवन कराने से पथरी गलकर निकल जाती है।

नोट-🥀पथरी के रोगी को रोटी के साथ कुल्थी की दाल खाना लाभप्रद है।

5-🌸 टिन्डे का रस 50 ग्राम, जवाखार 16 ग्रेन लें । दोनों को मिलाकर पीने से पथरी रेत बनकर मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है ।

6🍂- मूली का रस 25 ग्राम, यवक्षार 1 ग्राम को मिलाकर रोगी को पिलायें। पथरी गलकर निकल जायेगी ।

🏵️7-कलमी शोरा, यवक्षार और नौशादर (आधा-आधा ग्राम प्रत्येक) गन्ने का रस 20 ग्राम, नीबू रस 6 ग्राम सभी को मिलाकर रोगी को निरन्तर कुछ दिनों तक सेवन कराने से पथरी गलकर निकल जाती है । (यह एक मात्रा लिखी है ) |

8🌿-नीम की पत्ती की राख 6 ग्राम फाँककर ऊपर से पानी पियें । कुछ दिनों के प्रयोग से पथरी गल जाती है ।

9🌷- चीड़ की लकड़ी का चूर्ण आधा से 2 ग्राम तक जल से 1 माह तक सेवन करने से पथरी रोग नष्ट हो जाता है।

10- 🥀शहद के साथ गोखरू चूर्ण 4 ग्राम चाटकर बकरी का ताजा दूध पीना पथरी रोग को जड़मूल से नष्ट कर देता है।

11-🥀अजमोद चूर्ण 6 ग्राम मूली के पत्तों के 100 ग्राम रस में पीसकर पिलाने से पथरी गल जाती है ।

12- 🌷पीपल की कोंपलें 7, काली मिर्च 5 दाने लें। दोनों को ठन्डाई की भाँति घोटकर 1 गिलास पानी में मिलाकर पीने से 3 दिन में पथरी गलकर निकल जाती है।

13- 🌹केले के तने का जल 30 ग्राम, कलमी शोंरा 25 ग्राम, दूध 250 ग्राम तीनों को मिलाकर दिन में 2 बार पिलायें । दो सप्ताह सेवन करायें ।

14🌷-लाल रंग का कूष्मान्ड (कद्दू) खूब पका हुआ लेकर उसका 25 ग्राम रस निकाल तथा 3 ग्राम सेंधा नमक मिलाकर दिन में 2 बार निरन्तर 2 सप्ताह प्रयोग करायें । पथरी को गलाकर मूत्र मार्ग से बाहर करने का उत्तम योग है।

1🌷5-सोंठ, वरना, गोखरु, पाषाण भेद और ब्राह्मी-इनके काढ़े में दो माशे जवाखार और दो माशे गुड़ मिलाकर पीने से सब तरह की पथरी ठीक होती है।

16-🍂 पिसी हुई हल्दी को गुड़ में मिलाकर तुषोदक के साथ पीने से बहुत पुरानी शर्करा पथरी नष्ट हो जाती है।

17- 🌻कूड़े की छाल पीसकर और दही में मिलाकर खाने से, पथ्य भोजन करने से पुरानी पथरी ठीक हो जाती है।

18- 🍁अदरख, जवाखार, हरड़ और दारुहल्दी सब समान मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर दही के साथ पीने से भयंकर पथरी भी नष्ट हो जाती है।
19-🌾 सहजने की जड़ का काढ़ा शुष्म-शुष्म पीने से पथरी नष्ट हो जाती है।

20🌷- डेढ़ तोले वरना की छाल के काढ़े में दो तोले गुड़ मिलाकर पीने से पथरी और वस्ति शूल, पेंडू का दर्द नष्ट हो जाते हैं। बड़ी से बड़ी पथरी 11 दिन में गल जाती है |
(डेढ़ ताले वरना पाव भर पानी में काढ़ा तैयार कर आधा रहने पर उतार कर छान लें।)

21- 🥀गुड़ दो भाग जवाखार एक भाग मिलाकर खाने से पत्थरी और मूत्रकृच्छ्र नष्ट होते हैं।

22,🌷- हकीम जालीनूस के अनुसार दाहिने हाथ के बीच की उँगली में लोहे की अंगूठी या
छल्ला पहनने से पथरी की पीड़ा कम होती है।

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