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-विचार शक्तिशाली पदार्थ है ।

-आवाज़ को मुँह से निकलने वाली हवा मात्र  न समझा  जाये । वह एक शक्तिशाली  पदार्थ  है । जिस से अनेकों प्रयोजन प्राप्त किये जा  सकते है ।

-सभी उर्जा केन्द्र, सभी संस्कारो के केन्द्र मुख में, जीभ, तालू.व होठों  से जुड़े हुये है । जैसे ही संकल्प होंठ में आता है वह सम्बन्धित केन्द्र से अच्छी वा बुरी शक्ति ले लेता है, वही वाणी के रुप में प्रकट होता है

-ध्वनि तरंगे, रेडियो तरंगे, लेज़र तरंगे, ठोस वस्तुओं से  टकरा कर वापिस आती है  जिस से वस्तुओ की दूरी, उस का साइज़, उसकी गति आदि का पता लग जाता है ।

-हमारे  शरीर में भी रडार है । हम किसी व्यक्ति, वस्तु या परमात्मा के बारे सोचते है तो हमारे  संकल्प उस से टकरा कर वापिस लौटते है, जिस से हम अच्छा  बुरा,दुख, नफरत व  प्यार अनुभव करते है ।

-जिन लोगों से अनबन है,  टकराव हैं,  विरोध हैंं,  नफरत हैंं,  जो आप को दबाते हैंं,  लताड़ते हैंं,  दुत्कारते हैंं,  उन लोगों को मन मेंं मत आने दो , उनके मन मेंं आते ही आप को अशांति होने लगेगी ।   जैसे ही वह  मन मेंं आए तुरंत परमात्मा को या किसी दूसरे व्यक्ति को देखते रहें जिनसे  कोई विरोध नहीं हैंं  । इस से आप को शांति मिलेगी ।

-मन रूपी  रडार मेंं  शुध्द संकल्पों के  दोहराने,  भगवान के गुणों का सिमरण   करने से अपने आप को  शक्ति शाली  बना सकते है ।

-जिस प्रकार समुन्दर  में तरंगे उठती है । उसी प्रकार संकल्प की तरंगे भी  कम्पन पैदा  करते हुये गति करती  है ।

-वातावरण में उपस्थित विद्युत में संकल्प कम्पन पैदा  करते हैंं  । वह कम्पन अपनी तरह से परिणाम उपस्थित कर देते है ।  संगीत से दीपक  जलाया जा सकता है, वर्षा  की जा सकती हॆ, साँप पकडे जा सकते है । ऐसे ही शुध्द संकल्पों के बल से हम  विपरीत परिस्थितिययों और विपरीत लोगों को बदल सकते हैंं  ।
-संकल्पों से हम स्थूल दुनिया को बाँध  सकते है जैसे सूर्य ने सभी ग्रहों को बाँध  रखा  है ।

-सिर्फ सावधानी यह रखनी है  क़ि  हमें मन से किसी से टकराव मेंं नहीं आना वह चाहे कितना भी छोटा या कितना भी महान आदमी हो या बहिन हो,  आप ने उसे केवल  प्यार की  तरंगे ही भेजनी हैंं । मन से उस को चोट नहीं पहुंचानी । मन की चोट खतरनाक होती है़,  आप चाहे मानें चाहे ना मानें ।

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