पानी रे पानी तेरा रंग कैसा जिसमे मिला दो लगे उस जैसा
हमारे शरीर में पानी (जल) की मात्रा 73% है…
हमारे द्वारा कुल ग्रहण किये जाने वाले भोजन पानी में भी पानी की मात्रा 70 से 75% तक होती है…
अतः हमारा 70 % स्वास्थ्य पूर्ण रूप से हमारे पीने के पानी पर निर्भर है…
या हम ये भी कह सकते कि हमे होने वाली 70% तक बीमारियां सिर्फ पानी को सही कर के ठीक की जा सकती हैं…
अाज हमारे पीने का पानी आधुनिकता एवम विलासिता के कारण धीमा जहर (slow poison) हो चुका है…
सन 2000 के पहले पीने के पानी के लिए एक शब्द सुनने में आता था ताजा पानी ..
ताजा पानी से तात्पर्य कुएं या हैंडपंप सेतुरंत लाया हुआ पानी (जिसके अणु गतिशील हो charged water )
उस समय का पानी के बर्तन भी लोहे की बाल्टी पीतल .तांबा. कासा .का बर्तन जग गगरा लोटा इत्यादि होते थे …
बर्तन धातु का होने की वजह से उस बर्तन में रखे पानी में धातु के गुण भी आ जाते थे.. पानी खनिज तत्वो से भरपूर हो जाता था..। …
और अनजाने में शरीर को पानी के साथ साथ खनिज पदार्थों की भी पूर्ति हो जाती थी जिससे हम स्वास्थ और निरोग रहते थे ..
परंतु आज सभी बोरिंग में उपयोग होने वाला पाइप प्लास्टिक का है
जो भी पंप या सबमर्सिबल है उसके सभी पार्ट्स प्लास्टिक के हैं .. पानी इकट्ठा करने के लिए टंकी भी प्लास्टिक की है. घरों में पाइप फिटिंग भी प्लास्टिक का..लगभग सभी घरों में RO भी लगा है वह भी प्लास्टिक का पानी पीने के लिए प्रयोग किया जाने वाला बर्तन भी प्लास्टिक का बोतल..
कई जगहों पर आधुनिकता की वजह से जग और ग्लास भी प्लास्टिक का ही है..
पानी का एक प्रमुख गुण है कि वह जिस पात्र में रहता है उसका गुण धर्म धारण कर लेता है …
इसलिए हमारे शरीर में जाने वाला पानी अपने साथ प्लास्टिक के कण (polyurothin) का सप्लीमेंट भी लेकर जाता है।।
जोकि एक प्रकार का पेट्रोलियम पदार्थ होता है…
प्लास्टिक कितना घातक है प्रकृति और मानव शरीर के लिए यह बताने की आवश्यकता नहीं है यह कुछ ना करें तो भी मानव शरीर के रोग प्रतिरोधक तंत्र (immune system) को तहस-नहस कर ही देता है परिणाम स्वरूप हम अपने आसपास किसी भी प्रकार के संक्रमण से तुरंत प्रभावित होते हैं और फिर डॉक्टर डॉक्टर दवा दवा खेलना शुरू कर देते हैं ….
प्लास्टिक द्वारा कैंसर. किडनी रोग. फेफड़े के रोग .लिवर रोग . चर्म रोग इत्यादि अनगिनत रोग होते हैं…
अधिकतर लोगों द्वारा किये जाने वाले उपायों में एलोपैथ की दवाइयों द्वारा तत्कालिक लाभ तो होते हैं परंतु भविष्य के घातक side effect भी बहुत होते हैं और स्थाई समाधान भी नहीं होता …
इसलिए अपने पीने के पानी पर विशेष ध्यान दें पीने का पानी किसी भी स्रोत से आवे उसे धातु के बर्तन में 1 घंटे या मार्च से september तक मिट्टी के घड़े में 5 से 6 घण्टा रखने के पश्चात धातु के बर्तन के या मिट्टी के बर्तन द्वारा ही प्रयोग करें….
पानी पीने के कुछ साधारण नियम…….
1… प्रातः उषापान करने के लिए अपने वजन का 1% की मात्रा में जल ग्रहण करना चाहिए…
2… भोजन से 40 min पहले एवम भोजन के 90 min बाद ही पानी पीना चाहिए. भोजन के बीच मैं आवस्यकता अनुसार पानी पिया जा सकता है..
3… रात को सोते समय 1 ग्लास पानी पीकर सोना चाहिए …
4…. पानी बैठ कर एवम घूंट घूंट कर के पीना चाहिए…
5… शौच से आकर.. स्नान कर के. एवम कहीं से चल कर आने के तुरंत बाद पानी नहीं पीना चाहिए…
6… फ्रिज का पानी या 25 डिग्री से कम तापमान का पानी नही पीना चाहिए…