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1तुलसी

ग्रहण के दौरान किसी भी वस्तु को शुद्ध करने के लिए तुलसी के पत्तियों का इस्‍तेमाल किया जाता है। मान्यता है कि ग्रहण के समय बना हुआ खाना दूषित हो जाता है, इसलिए भोजन में तुलसी की पत्ता रख दी जाती है। ग्रहण से पहले ही तुलसी का पत्ता खाने में रख देते हैं। ज्योतिष शास्‍त्र के अनुसार तुलसी में पारा होता है। पारा के ऊपर किसी भी किरणों का कोई असर नहीं होता है। आपको बता दें कि सूर्यग्रहण के समय निकलने वाली विकिरणों का सेहत पर अच्छा असर नहीं पड़ता है। पारे के गुण के कारण खाने में तुलसी का पत्ते रखने से दुष्प्रभाव निष्क्रिय हो जाता है। इसके अलावा धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी दोषों का नाश करने वाली होती है और ग्रहण के समय नकारात्मक ऊर्जा भी निकलती है जिसे समाप्त करने के लिए तुलसी का इस्‍तेमाल किया जाता है।

2गंगाजल

गंगाजल को वैसे भी हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इसलिए सूर्य ग्रहण के समय गंगाजल का प्रयोग करा जा सकता है गंगाजल कभी दूषित नहीं होता है। इसलिए ग्रहणकाल के समय एक रुपए का सिक्का पूजा स्थल पर रखकर सूर्य भगवान का स्मरण करें और ग्रहण के बाद इसे गंगाजल से धोकर लाल कपड़े में लपेटकर अपनी तिजोरी में रख लें, इससे आपको सूर्य ग्रहण के पुण्य का प्रभाव मिलेगा। इसके अलावा ग्रहण काल के बाद पवित्र नदी में या जल में गंगाजल डालकर नहाना चाहिए। शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी बताया गया है और नहाने के जल में गंगाजल मिलाना चाहिए और साथ ही गंगाजल से घर भी शुद्ध करना चाहिए। स्नान के बाद भगवान विष्णु की पूजा करें और दीपदान करें। इससे स्वास्थ्य पर अनुकूल असर होता है और प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है।

3तिल

ग्रहणकाल को अशुभकाल माना जाता है, यह भी मान्यता है कि इस दौरान बुरी शक्तियां ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं, इसलिए ग्रहण के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए ग्रहण के दौरान दान आदि करना भी अच्छा माना जाता है। ऐसा करने से ग्रहों की शांति भी बनी रहती है। जैसे सूर्यग्रहण के दौरान राहु केतु की शांति के लिए ग्रहण पूर्व तिल, तेल, कोयला, काले वस्त्र दान के लिए रख लें और ग्रहण समाप्त होने पर स्नान पूजा के बाद किसी जरूरतमंद को दान कर दें। तिल का दान अत्यंत ही शुभ माना गया है, इससे राहु-केतु शांत रहते हैं और अनावश्यक कष्टों से मुक्ति मिलती है। सभी प्रकार की नकारात्मक शक्तियां आपसे दूर रहती हैं।

4कुश

कुश एक प्रकार का तृण(घास) है। धार्मिक दृष्टि से यह बहुत पवित्र मानी जाती है और प्राचीनकाल में राजा महाराजा इसकी बनी चटाई पर सोया करते थे। वैदिक साहित्य में इस बारे में अनेक स्थलों पर उल्लेख मिलता है। अर्थवेद में इसे क्रोध नाशक और अशुभ निवारक बताया गया है। जिस वजह से ग्रहणकाल की अशुभता दूर करने के लिए ग्रहण काल में कुश का प्रयोग करना शुभ माना जाता है। ग्रहण काल से पहले सूतक के दौरान कुश को अन्न-जल आदि में डालने से ग्रहण के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।

5जौ

ग्रहण के समय जौ का प्रयोग भी किया जा सकता है। सूर्यग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए जौ को जेब में रख सकते हैं। साथ ही जौ के प्रयोग से स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी दूर हो जाती है। माना जाता है कि ग्रहणकाल के दौरान जौ संबंधी उपाय करने से मंगल ग्रह की अशुभता भी दूर हो जाती है और वह शुभ फल देने लगता है।

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