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🍃आयुर्वेद कहता है कि हर मर्ज का इलाज दवा नहीं है। आयुर्वेद में ऐसे कई तरीके हैं, जिसके जरिये आप मर्ज का इलाज कर सकते हैं। इन्हीं तरीको में से एक है सिकाई। सिकाई गरम या ठंडी हो सकती है। हम में से अधिकतर लोगों ने कभी सिर दर्द, पेट दर्द, सीने में दर्द, गर्दन में दर्द, जोड़ो के दर्द जैसे दर्दों के विभिन्न रूपों का अनुभव किया होगा। इसका इलाज हम दर्द निवारक गोलियों में ढूढ़ते है। इनसे दर्द में अस्थाई तौर पर आराम तो मिलता है, लेकिन इनके लम्बे समय तक इस्तेमाल से किडनी के खराब होने, एसिडिटी, दस्त और कब्ज जैसी समस्याएं उत्पन्न होने की आशंका बनी रहती है। वैदिक ग्राम के डॉक्टर प्रियुश जुनेजा का कहना है कि दर्द निवारण के लिए वैकल्पिक चिकित्सा जैसे पारंपरिक तरीके और विधियां दर्द को कम करने और रोकने में बहुत प्रभावशाली और लोकप्रिय हैं। विभिन्न प्रकार के दर्द को कम करने के लिए कई तरह की सहायक और वैकल्पिक चिकित्सा विधियों का प्रयोग किया जाता है। सिकाई भी उनमें से एक है।

🍂क्या है सिकाई
रोजमर्रा में ऐसे कई काम होते हैं कि शरीर के विभिन्न अंगों में दर्द होने लगता है। खासतौर पर लोग पीठ दर्द और अन्य जगहों में नसों में उठे दर्द से परेशान रहते हैं। सूजन, दर्द, मसल्स पेन होना आम बात है। हालत ऐसी हो जाती है कि आप अपनी बांह को ऊपर नहीं कर पाते। गर्दन को एक तरफ से दूसरी तरफ मोड़ना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में पैनकिलर खाने के बजाए गर्म पानी या बर्फ से सिकाई बेहद अच्छा इलाज है। सिकाई की सलाह डॉक्टर भी देते हैं।

🥀गर्म और ठंडी सिकाई में अन्तर
दर्द से प्रभावित अंगों पर गर्म या ठंडे सेक से दर्द से तुरंत आराम मिलता है। सामान्य तौर पर दर्द निवारण में इस विधि का प्रयोग किया जाता है। गर्म सिकाई और ठंडी सिकाई दर्द दूर करने का प्राकृतिक तरीका है, लेकिन आपके लिए कौन-सा तरीका ठीक है, ये आपके दर्द और चोट पर निर्भर करता है। इंजरी के बाद बर्फ की पट्टियों से प्रभावित अंगों की सिकाई करने पर दर्द में राहत मिलती है। इंजरी के 24 घंटे बाद बर्फ से सिकाई करने पर प्रभावित अंगों में सूजन होने की संभावना कम हो जाती है, वहीं दर्द के गंभीर और पुराने मामलों में प्रभावित स्थान को गर्म ईंट या गर्म वॉटर बैग से सिकाई करने पर काफी आराम मिलता है। गर्म सेक से ऊतक मुलायम हो जाते हैं, रक्त का संचार बढ़ जाता है और इससे मरीज को दर्द से भी आराम मिल जाता है।

🌻कब करें गर्म सिकाई
दर्द किसी पुरानी चोट का हो तो उसे दूर करने में गर्म सिकाई मदद करती है। जब पुरानी चोट का ब्लड सर्कुलेशन किसी तरीके से रुक जाए तो गर्म सिकाई से वो फिर शुरू हो जाता है। इससे मसल्स का दर्द दूर होता है।
आथ्र्राइटिस हो तो : शरीर के जोड़ों के दर्द और कड़कपन में आपको गर्म पानी की सिकाई करनी चाहिए। गर्माहट कड़क मसल्स को नर्म करती है और इन जगहों पर खून का बहाव भी बढ़ा देती है। अपने जोड़ों में आराम के लिए आपको करीब 20 मिनट तक गर्म पानी से सिकाई करनी चाहिए। सिकाई करने के दौरान आराम की स्थिति में रहें।
पीठ दर्द में : अगर आपकी पीठ में दर्द है तो इसके लिए गर्म पानी है एक बढि़या इलाज। इसके लिए आप हीटिंग पैड में गर्म पानी भरकर कमर की सिकाई करें। यह तब और कारगर होगा, जब आपको अक्सर ही पीठ में दर्द बना रहता हो।
🍁खुजली, जलन और बवासीर के दर्द में : खुजली, जलन और बवासीर के दर्द से बचने के लिए गर्म पानी की सिकाई बेहतर उपाय है। गर्म पानी में थोड़ी फिटकरी डालकर सिकाई करें। इससे गुदा क्षेत्र में जलन, सूजन और दर्द कम करने में मदद मिलती है और गुदा परिसंचरण में सुधार होता है। इसके लिए मेडिकल स्टोर पर सिज बाथ टब भी मिल जाता है।
🥀पीरियड के दर्द में : महिलाओं के पीरियड के दर्द में गर्म पानी के हीटिंग पैड्स का इस्तेमाल बहुत राहत देता है। इस दौरान गर्म पानी से पेट के मसल्स की सिकाई महिलाओं को आराम देगी। इसके अलावा भी महिलाएं जब भी चाहें, अपनी जरूरत के अनुसार पेट दर्द में गर्म पानी से सिकाई कर सकती हैं।

🌻गर्म सिकाई में ध्यान रहे
0 5 मिनट से अधिक गर्म सिकाई न करें।
0 बैग के पानी को फिर से इस्तेमाल न करें। एक बार इस्तेमाल करने के बाद उस पानी को फेंक दें।
0 सूजन हो जाने पर तुरंत सिकाई न करें। इसकी बजाए पहले एक दो दिन ठंडी सिकाई करें और बाद में गर्म सिकाई करें।
0 बहुत गर्म सिकाई न करें।
0 अगर आपको डायबिटीज है या फिर ब्लड सकुर्लेशन की समस्या है तो गर्म सिकाई करने से बचें।

🌹कब करें ठंडी सिकाई
किसी भी तरह की सूजन में : यदि आप सूजन से पीडि़त हैं तो प्रभावित क्षेत्र पर रक्त के अतिरिक्त दबाव को कम करके सूजन घटायी जा सकती है। इसके लिए आपको चाहिए कि सूजन व दर्द वाले हिस्से पर बर्फ के कुछ टुकड़े लगायें। हालांकि इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप उस हिस्से को 20 मिनट से ज्यादा खुला छोड़ें।
🌹जोड़ों के दर्द में : आपके शरीर के किसी जोड़ में दर्द हो, जैसे घुटने में, पैरों में तो बर्फ की सिकाई या ठंडी सिकाई फायदेमंद होगी। अगर साथ में सूजन भी हो तो इसकी वजह अधिक काम या मसल्स में खिंचाव हो सकता है। ऐसे में भी बर्फ की सिकाई इस तकलीफ से छुटकारा दिला सकती है। इसके लिए अपने पैरों को किसी तकिये की मदद से ऊंचा करें और अब चोट वाले स्थान पर बर्फ की सिकाई करें।
🌷एंकल इंजरी : सही तरीके से न दौड़ना, ऊंचे-नीचे और खराब रास्तों पर चलना, हाई हील्स पहनना आदि कई कारणों से एड़ी में मोच और चोट की समस्या हो सकती है। ठीक होने में कई बार हफ्तों का समय लगने के साथ ही बेड रेस्ट तक की नौबत आ जाती है। इलाज का सही तरीका अपनाकर जल्द ही इससे राहत पाई जा सकती है। एंकल इंजरी होने यानी पैर मुड़ जाने की स्थिति में ठंडी सिकाई की जानी चाहिए, क्योंकि अचानक आई मोच से जलन होती है, जो बाद में सूजन में बदल जाती है। इसलिए ठंडी सिकाई करने से इस स्थान का रक्त संचार धीमा हो जाएगा और जलन व सूजन रुक जाएगी। लेकिन ध्यान रखें मोच आने के 24 से 48 घंटों के बीच ही कोल्ड पैक यानी ठंडी सिकाई का इस्तेमाल करना चाहिए, तभी जलन व सूजन से राहत मिलेगी।

🥀ठंडी सिकाई में ध्यान रखें
0 मसल्स में दर्द, मसल्स में खिंचाव, सूजन और त्वचा छिल जाने पर ठंडी सिकाई का इस्तेमाल करें।
0 जब भी आप ठंडी सिकाई करें तो आइस बैग को 20 से ज्यादा बार प्रभावित स्थान पर न लगाएं।
0 10 मिनट तक सिकाई कर दो मिनट ब्रेक लें

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