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पिप्पली क्या है

पिप्पली एक जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में पिप्पली की चार प्रजातियों के बारे में बताया गया है, लेकिन व्यवहार में छोटी और बड़ी दो प्रकार की पिप्पली ही आती हैं। पिप्पली की लता भूमि पर फैलती है। यह सुगन्धित होती है। इसकी जड़ लकड़ी जैसी, कड़ी, भारी और शयामले रंग की होती है। जब आप इसे तोड़ेंगे तो यह अन्दर से सफेद रंग की होती है। इसका स्वाद तीखा होता है।
पिप्पली के पौधे में फूल बारिश के मौसम में खिलते हैं, और फल ठंड के मौसम में होते हैं। इसके फलों को ही पिप्पली (पीपली ) कहते हैं। बाजार में इसकी जड़ को पीपला जड़ के नाम से बेचा जाता है। जड़ जितना वजनदार व मोटा होता है, उतना ही अधिक गुणकारी माना जाता है। बाजार में जड़ के साथ-साथ गांठ आदि भी बेची जाती है।

अन्य भाषाओं में पिप्पली के नाम

पिप्पली का वानस्पतिक नाम पाइपर लांगम (Piper longum Linn.) है और यह पाइपरेसी (Piperaceae) कुल से है। पिप्पली के अन्य ये नाम भी हैंः

पीपली, पीपर;  उर्दू-पिपल

पिप्पली, मागधी, कृष्णा, वैदही, चपला, कणा, ऊषण, शौण्डी, कोला, तीक्ष्णतण्डुला, चञ्चला, कोल्या, उष्णा, तिक्त, तण्डुला, मगधा, ऊषणा, कृकला, कटुबीज, कोरङ्गी, श्यामा, सूक्ष्मतण्डुला, दन्तकफा
लॉन्ग पेपर, पीपर

पीप्पली के फायदे

आप पिप्पली का औषधीय प्रयोग इस तरह कर सकते हैं। पिप्पली के इस्तेमाल की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

दांतों के रोग में पीपली के औषधीय गुण से फायदा (Maricha Herb Benefits for Dental Disease in Hindi)

दांतों के रोग के इलाज के लिए  1-2 ग्राम पीपली चूर्ण में सेंधा नमक, हल्दी और सरसों का तेल मिलाकर दांतों पर लगाएं। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।

पीप्पली चूर्ण में मधु एवं घी मिलाकर दांतों पर लेप करने से भी दांत के दर्द में फायदा होता है।

3 ग्राम पिप्पली चूर्ण में 3 ग्राम मधु और घी मिलाकर दिन में 3-4 बार दाँतों पर लेप करें। इससे दांत में ठंड लगने की परेशानी में लाभ मिलता है।

किसी व्यक्ति को जबड़े से संबंधित परेशानी हो रही हो तो उसे काली पिप्पली (kali pipli) तथा अदरक को बार-बार चबाकर थूकना चाहिए। इसके बाद गर्म पानी से कुल्ला करना चाहिए। इससे जबड़े की बीमारी ठीक हो जाती है।

बच्चों के जब दांत निकल रहे होते हैं तो उन्हें बहुत दर्द होता है। इसके साथ ही अन्य परेशानियां भी झेलनी पड़ती है। ऐसे में 1 ग्राम पिप्पली चूर्ण को 5 ग्राम शहद में मिलाकर मसूढ़ों पर घिसने से दांत बिना दर्द के निकल आते हैं
खांसी और बुखार में पीपली का औषधीय गुण लाभदायक
बच्चों को खांसी या बुखार होने पर बड़ी पिप्पली को घिस लें। इसमें लगभग 125 मिग्रा मात्रा में मधु मिलाकर चटाते रहें। इससे बच्चों के बुखार, खांसी तथा तिल्ली वृद्धि आदि समस्याओं में विशेष लाभ होता है।

बच्चे अधिक रोते हैं तो काली पिप्पली और त्रिफला का समान मात्रा लेंं। इनका चूर्ण बना लें। 200 मिग्रा चूर्ण में एक ग्राम घी और शहद मिलाकर सुबह-शाम चटाएं।

पिप्पली को तिल के तेल में भूनकर पीस लें। इसमें मिश्री मिलाकर रख लें। इसे 1/2-1 ग्राम मात्रा में कटेली के 40 मिली काढ़ा में मिला लें। इसे पीने से कफज विकार के कारण होने वाली खांसी में विशेष लाभ होता है।

पिप्पली के 3-5 ग्राम पेस्ट को घी में भून लें। इसमें सेंधा नमक और शहद मिलाकर सेवन करें। इससे कफज विकार के कारण होने वाली खांसी में लाभ होता है।

इसी तरह 500 मिग्रा पिप्पली चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे बच्चों की खांसी, सांसों की बीमारी, बुखार, हिचकी आदि समस्याएं ठीक होती हैं। पिप्पली के औषधीय गुण से जुकाम का इलाज
पीपल, पीपलाजड़, काली मिर्च और सोंठ के बराबर-बराबर भाग का चूर्ण बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा लेकर शहद के साथ चटाते रहने से जुकाम में लाभ मिलता है।

इसी तरह पिप्पली के काढ़ा में शहद मिलाकर थोड़ा-थोड़ा पिलाने से भी जुकाम से राहत मिलती है।

आवाज (गला बैठने) पर पिप्पली के फायदे ,गला बैठने (आवाज के बैठने) पर बराबर-बराबर मात्रा में पिप्पली तथा हर्रे लें। इनका चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को कपड़े से छानकर मधु मिला लें। इसका सेवन करने, तथा इसके बाद तीक्ष्ण मद्य का पान करने से कफज विकार के कारण गला बैठने की समस्या में लाभ ,गले के रोग में पिप्पली के फायदे ,खांसी और सांसों से संबंधित बीमारी में पिप्पली का सेवन लाभ पहुंचाता है। इसके लिए पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिला लें। इसे दिन में तीन बार नियमित रूप से लेने से खांसी ठीक होती है। इसे आपको 10-15 दिन लेना है।

पिप्पली ,पीपलाजड़, सोंठ और बहेड़ा को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम तक, दिन में 3 बार शहद के साथ चटाने से खांसी में लाभ होता है। विशेषकर पुरानी खाँसी व बार-बार होने वाली खाँसी में यह अत्यन्त लाभदायक है।

एक ग्राम पिप्पली चूर्ण में दोगुना शहद या बराबर मात्रा में त्रिफला मिला लें। इसे चाटने से सांसों के रोग, खांसी, हिचकी, बुखार, गले की खराश, साइनस व प्लीहा रोग में लाभ होता है।अनिद्रा (नींद न आने की बीमारी) में पिप्पली के फायदे

नींद ना आने की परेशानी में पिप्पली की जड़ के महीन चूर्ण बना लें। चूर्ण की 1-3 ग्राम तक की मात्रा को मिश्री के साथ सुबह और शाम सेवन करें। इससे पाचन संबंधी विकार ठीक होते हैं, और नींद अच्छी आती है। वृद्ध लोग इसका प्रयोग विशेष रूप से कर सकते हैं,चोट या मोच के दर्द में पीप्पली के फायदे ,शरीर के किसी भी अंग में चोट लगने या मोच आने के कारण दर्द हो रहा हो तो आधा चम्मच पिप्पली के जड़ के चूर्ण को गर्म दूध या पानी के साथ सेवन करने से तुरंत आराम मिलता है। इससे नींद भी अच्छी आती है।

दूध में आधा चम्मच हल्दी मिलाकर प्रयोग किया जाये तो चोट, मोच के दर्द में बहुत लाभ होता है।

लौंग, अकरकरा, पीपर, देवदारु, शतावरी, पुनर्नवा, सौंफ, विधारा, पोहकरजड़, सोंठ तथा अश्वगंधा को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से सामान्य कारणों से होने वाला अंगों के दर्द में लाभ होता है। इससे वातज विकार के कारण होने वाला दर्द भी ठीक होता है।

मोटापा (वजन घटाने) कम करने के लिए पीप्पली का सेवन ,
मोटापा को कम करने (वजन घटाने) के लिए पिप्पली का सेवन लाभदायक होता है। आप 2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में मधु मिलाकर दिन में 3 बार कुछ हफ्ते तक नियमित रूप से सेवन करें। इससे मोटापा कम होता है। आपको यह ध्यान रखना है कि मोटापा कम करने के लिए पिप्पली चूर्ण के सेवन के एक घंटे तक जल को छोड़कर कुछ भी सेवन ना करें। जल का भी सेवन तब करना है जब बहुत अधिक प्यास लगी हो। इससे निश्चित तौर पर मोटापा कम,होगा,,
कोलेस्ट्राल को कम करने के लिए पिप्पली का उपयोग,,अनेक लोग कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं। आप पिप्पली के सेवन से कोलेस्ट्रॉल को कम कर सकते हैं। इसके लिए पिप्पली चूरन में मधु मिलाकर सुबह सेवन करें। इससे कोलेस्ट्राल की मात्रा नियमित होती है, तथा हृदय रोगों में भी लाभ मिलता है।उल्टी रोकने में पीपली का उपयोग फायदेमंद,,

पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसके 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करें। इसे नियमित तौर पर 10-15 दिन लेने से उल्टी में लाभ होता है।हीचकी की परेशानी में पीपली से लाभ
पिप्पली व मुलेठी के चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। चूर्ण के बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर रखें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।

1-2 ग्राम पिप्पली चूर्ण में बराबर मात्रा में शक्कर मिलाकर पानी के साथ सेवन करने से भी हिचकी में लाभ मिलता है।

पिप्पली, आमला, मुनक्का, वंशलोचन, मिश्री व लाख को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पीस लें। इसे 3 ग्राम चूर्ण में 1 ग्राम घी और 4 ग्राम शहद में मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से हिचकी ठीक होती है। आपको नियमित तौर पर 10-15 दिन लेना है। 

दस्त रोकने में पीपली का उपयोग लाभदायक

बहुत अधिक दस्त हो रहा हो तो पिप्पली को पीस लें। इसकी 2 ग्राम को मात्रा में बकरी या गाय के दूध के साथ सेवन करें। इससे दस्त पर रोक लगती है।

पिप्पली के सेवन से पेट के दर्द में लाभ
पेट दर्द के लिए पीपल और छोटी हरड़ को बराबर-बराबर मिलाकर पीस लें। एक चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम गुनगुने पानी के साथ सेवन करने पर पेट दर्द, पेट के मरोड़े व बदबूदार दस्त की परेशानी ठीक होती है।

पिप्पली के 2 ग्राम चूर्ण में 2 ग्राम काला नमक मिलाकर गर्म जल के साथ सेवन करने से पेट दर्द का ठीक होता है।

एक भाग पिप्पली, एक भाग सोंठ और 1 भाग काली मिर्च, तीनों को बराबर-बराबर मिलाकर, महीन पीस लें। भोजन के बाद 1 चम्मच चूर्ण को गर्म जल के साथ दो बार नियमित रूप से कुछ दिन तक सेवन करें। इससे पेट दर्द ठीक होता है।

पिप्पली के सेवन से पाचनतंत्र विकार में लाभ
पाचनतंत्र विकार को ठीक करने के लिए 250 ग्राम पीपल और 250 ग्राम गुड़ का पेस्ट बना लें। इसे 1 किलो गाय का घी, 4 लीटर बकरी का दूध (न मिलने पर गाय का दूध) में धीमी आग पर पकाएं। जब केवल घी मात्र रह जाये तो इस घी को पाचनतंत्र विकार और खांसी में प्रयोग करें। आपको केवल 1 चम्मच दिन में तीन बार सेवन करना है। इससे लाभ मिलता है।

छोटी पिप्पली 1 नग लेकर गाय के दूध में 10-15 मिनट उबालें। पहले पिप्पली खाकर ऊपर से दूध पी लें। अगले दिन 2 पिप्पली लेकर दूध में अच्छी तरह उबालकर पहले पिप्पली खा लें, फिर दूध पी लें। इस प्रकार 7 से 11 पिप्पली तक सेवन करें। जिस तरह आपने एक-एक पिप्पली को बढ़ाया था उसी तरह कम करते जाएं। यदि अधिक गर्मी ना लगे तो अधिकतम 15 दिन में 15 पिप्पली तक भी इस विधि को आजमा सकते हैं। इससे कफ, अस्थमा, सर्दी, जुकाम व पुरानी खाँसी में लाभ मिलता है। इससे पाचन-तंत्र, गैस, अपच आदि रोग भी दूर होते हैं। पिप्पली युक्त दूध का सेवन सुबह करें। दिन में सादा आहार लें। यह ध्यान रखें कि घी, तेल व किसी प्रकार की खट्टी चीज ना लें।

इसके अलावा पिप्पली, भांग और सोंठ की बराबर-बराबर मात्रा लेकर चूर्ण बना लें। इसकी 2 ग्राम की मात्रा को शहद में मिलाकर दिन में दो या तीन बार भोजन से पहले सेवन करें। इससे खाना सही से पचता है, और पाचनतंत्र ठीक रहता है। 

पिप्पली के सेवन से कब्ज की समस्या में लाभ

पिप्पली का प्रयोग कब्ज में फायदेमंद होता है। पिप्पली की जड़ और छोटी इलायची को  बराबर-बराबर में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में घी के साथ सुबह और शाम सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है। 

आंतों के रोग में पीपली के फायदे
आंतों के रोग में पिप्पली, जीरा, कूठ, बेर और गाय के गोबर को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे कांजी के साथ खूब महीन पीसकर लेप करें। इससे लाभ होता है। यह शुरुआती स्थिति में ही लाभ पहुंचाता है।

इसी तरह पिप्पली जड़ को पीसकर दूध और अडूसे के रस में मिलाकर पीने से आंतों के रोग में लाभ होता है। 
पिप्पली का सेवन बवासीर में लाभदायक

बवासीर में लाभ लेने के लिए आधा चम्मच पिप्पली के चूर्ण में बराबर मात्रा में भुना जीरा, तथा थोड़ा-सा सेंधा नमक मिला लें। इसे छाछ के साथ सुबह खाली पेट सेवन करें। इससे बवासीर में फायदा होता है।

पिप्पली, सेंधा नमक, कूठ और सिरस के बीजों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर महीन चूर्ण बना लें। इसे सेंहुड (थूहर) या बकरी के दूध में मिलाकर लेप करने से बवासीर के मस्से खत्म हो जाते हैं। सेहुण्ड का दूध तीक्ष्ण होता है, इसलिए मस्सों पर सावधानी से लगाएं। 

पिप्पली के सेवन से सिर दर्द का इलाज

सिर दर्द में आराम पाने के लिए पिप्पली, काली मिर्च, मुनक्का, मुलेठी और सोंठ चूर्ण को मिला लें। इसके 2 ग्राम चूर्ण को गाय के मक्खन में पकाएं। इसे छानकर एक से दो बूँद नाक में डालने से सिर दर्द ठीक होता है।

इसी तरह पिप्पली को पानी में पीसकर लेप करने से भी सिर का दर्द ठीक होता है।

इसके अलावा पिप्पली चूर्ण को नाक के रास्ते लेने से सर्दी के कारण होने वाले सिर दर्द से राहत मिलती है।

आप पीपल और वच चूर्ण को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे 3 ग्राम की मात्रा में नियमित रूप से दिन में दो बार दूध या गर्म जल के साथ सेवन करें। इससे अधकपारी ठीक होता है। 

आंखों के रोग में पीपली का गुण फायदेमंद
आंख की बीमारी में पिप्पली का खूब महीन चूर्ण बना लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे आंखों का धुंधलापन, रतौंधी व जाला आदि रोगों में लाभ मिलता है।

इसी तरह एक भाग पिप्पली और दो भाग हरड़ को मिलकर पानी के साथ खूब महीन पीस लें। इसकी बत्तियां बना लें और इसे पीसकर आंखों में लगाने से आंखों के बहने, आंखों के धुंधलेपन, आंखों में होने वाली खुजली आदि रोगों में लाभ होता है।

आप पिप्पली को गौमूत्र में घिसकर काजल की तरह लगाएं। इससे भी रतौंधी में भी लाभ होता है।

आंखों की पुतली की बीमारी के लिए 10-20 मिली पिप्पली काढ़ा बना लें। इसमें शहद मिलाकर गरारा करें। इससे अधिमांस रोग में लाभ होता है। 

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