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: गर्मी में सुस्ती और थकान महसूस होती है? तो इन 6 चीजों को खाएं

  1. दही-दही में प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट्स होते है, मलाई रहीत दही का सेवन करने से आपकी थकान और सुस्ती दूर हो जाएगी।
  2. ग्रीन टी-जब ज्यादा थकान व तनाव हो तब ग्रीन टी पीने से आपको फायदा होगा। यह आपकी बॉडी को ऊर्जा देती है और एकाग्रता बढ़ाने में भी मदद करती है।
  3. सौंफ-सौंफ केवल माउथ फ्रेशनर ही नहीं है, इसमें और भी कई गुण होते है। इसमें कैल्श्यम, सोडियम, आयरन और पोटैशियम पाया जाता है जो कि आपके शरीर की सुस्ती को भगाने में मदद करता है।
  4. चॉकलेट-यह तो आप जानते ही होंगे कि चॉकलेट खाने से मूड ठीक हो जाता है। इसमें मौजूद कोको आपके शरीर की मसल्स को रिलेक्स करता है, इस कारण चॉकलेट खाने के बाद आप तरोताजा फील करने लगते हैं।
  5. दलिया-दलिया में मौजूद कार्बोहाइड्रेट, ग्लाइकोजन के रूप में आपके शरीर में जमा हो जाता हैं। यह जमा ग्लाइकोजन धीरे-धीरे आपको पूरे दिन ऊर्जा देता रहता है।
  6. पानी-कई बार शरीर में पानी की कमी होने से भी सुस्ती आने लगती है। ऐसे में आप ध्यान दें कि दिनभर थोड़ा-थोड़ा पानी व तरल पदार्थ जैसे जूस आदि पीते रहें।
    : डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए डाइट लगभग हर 5 भारतियों में से 2 भारतीय को डायबिटीज की समस्या हैं। देखा जाए तो डायबिटीज खुद कोई भयानक बीमारी नही है बल्कि यह आपने बाद धीरे धीरे विभिन्न बीमारियों को न्योता देकर शरीर के अलग अलग अंगों नुकसान पहुंचाती है। जैसे हम आसानी से देख सकते हैं कि शुगर के रोगी को आंखों व किडनी के रोग, सुन्नपन आना जैसी समस्याएं हो सकती हैं

मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट )डायबिटीज को कण्ट्रोल करने के लिए जितना महत्त्व दवा और व्यायाम का है उतना ही महत्व आहार या डाइट का हैं। माना जाता है कि डायबिटीज के मरीज नॉर्मल रुटीन लाइफ नहीं जी सकते इसलिए उन्हें एकदम स्ट्रिक्ट डाइट लेना चाहिए।)इन्सुलिन हार्मोन के स्राव में कमी से डायबिटीज रोग होता है।
डायबिटीज आनुवांशिक या उम्र बढ़ने पर या मोटाप, स्ट्रेस जैसी कई वजह हो सकती है। डायबिटीज ऐसा रोग है जिसमें व्यक्ति को काफी परहेज से रहना होता है। मधमेह रोगी अगर अपनी दिनचर्या का पालन नहीं करते हैं तो इसके बढ़ने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए डाइट चार्ट फॉलो करने जरूरी हो जाता है।
डायबिटिक को अपने आहार में कुल कैलोरी का 40 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेटयुक्त पदार्थों से, 40 प्रतिशत वसायुक्त पदार्थों से व 20 प्रतिशत प्रोटीनयुक्त पदार्थों से लेना चाहिए। यदि शुगर मरीज का वजन ज्यादा है तो उसे कुल कैलोरी का 60 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट से, 20 प्रतिशत फैट से व 20 प्रतिशत प्रोटीन से लेना चाहिए।( Diet Chart for Diabetic Patient, sugar ke marj ke liye diet chart, मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट )आइए हम जानते हैं डायबिटीज के रोगी आइडियल डाइट चार्ट किस प्रकार होनी चाहिए और साथ ही कुछ खास हिदायतें किसी पर्टिकुलर स्थिति पर डायबिटीज को कंट्रोल करने के निर्देश।( Diet Chart for Diabetic Patient, sugar ke marj ke liye diet chart, मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट )सुबह 6 बजे – एक ग्लास पानी में आधा चम्मच मेथी पावडर डालकर पीजिए।सुबह 7 बजे – एक कप शुगर फ्री चाय, साथ में 1-2 हलके शक्कर वाली बिस्कुट ले सकते हैं।नाश्ता / ब्रेकफास्ट – साथ आधी कटोरी अंकुरित अनाज और एक गिलास बिना क्रीम वाला दूध।सुबह 10 बजे के बाद – एक छोटा फल या फिर नींबू पानी।दोपहर 1 बजे यानी लंच – मिक्स आटे की 2 रोटी, एक कटोरी चावल, एक कटोरी दाल, एक कटोरी दही, आधी कटोरी सोया या पनीर की सब्जी, आधी कटोरी हरी सब्जी और साथ में एक प्लेट सलाद।शाम 4 बजे – बिना शक्कर या शुगर फ्री के साथ एक कप चाय और बिना चीनी वाला बिस्किटया टोस्ट या 1 सेब।शाम 6 बजे – एक कप सूप पिएँडिनर – दो रोटियां, एक कटोरी चावल (ब्राउन राइस हफ्ते में 2 बार) और एक कटोरी दाल, आधी कटोरी हरी सब्जी और एक प्लेट सलाद। ( Diet Chart for Diabetic Patient, sugar ke marj ke liye diet chart, मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट )बिना क्रीम और चीनी के एक गिलास दूध पिएँ। ऐसा करने से अचानक रात में शुगर कम होने का खतरा नहीं होता।एक खास हिदायत मधुमेह के मरीजों को उपवास करने से बचना चाहिए। इसके अलावा भोजन के बीच लंबा गैप भी नही करना चाहिए और रात के डिनर में हल्का भोजन करना चाहिए। इसके अलावा नियमित रूप से योगा और व्यायाम करने से भी ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। ( Diet Chart for Diabetic Patient, sugar ke marj ke liye diet chart, मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट )रोजाना इस डाइट चार्ट को फॉलो करने के साथ ही बताई गई कुछ एक चीजें और इस्तेमाल करें।दरारा पिसा हुआ मैथीदाना एक या आधा चम्मच खाना खाने के 15-20 मिनट पहले लेने से शुगर कंट्रोल में रहती है और इससे और भी कई अंगों को फायदा होता है। ( Diet Chart for Diabetic Patient, sugar ke marj ke liye diet chart, मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट ) रोटी के आटे को बिना चोकर निकाले यूज़ में लाएं हर चाहें तो इसकी गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसमें सोयाबीन मिला लें।घी और तेल का दिनभर में कम से कम इस्तेमाल करें। ( Diet Chart for Diabetic Patient, sugar ke marj ke liye diet chart, मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट )सभी सब्जियों को कम से कम तेल का प्रयोग करके नॉनस्टिक कुकवेयर में पकाएं। हरी पत्तेदार सब्जियां ज्यादा से ज्यादा खाएं।शुगर रोगी को खाने से लगभग 1 घंटा पहले अच्छी स्पीड पैदल चलना चाहिए और साथ ही व्यायाम और योगा भी करें। सही समय पर इंसुलिन व दवाइयां लेते रहें। नियमित रूप से चिकित्सक के पास जांच कराएं।मधुमेह के रोगियों के लिए वरदान है एंटी डायबिटिक रसइसके साथ शुगर के मरीज को प्रोटीन अच्छी मात्रा में व उच्च गुणवत्ता वाला लेना चाहिए। इसके लिए दूध, दही, पनीर, अंडा, मछली, सोयाबीन आदि का सेवन ज्यादा करना चाहिए। इंसुलिन ले रहे डायबिटिक व्यक्ति एवं गोलियां ले रहे डायबिटिक व्यक्ति को खाना सही समय पर लेना चाहिए। ऐसा न करने पर हायपोग्लाइसीमिया हो सकता है। इसके कारण कमजोरी, अत्यधिक भूख लगना, पसीना आना, नजर से धुंधला या डबल दिखना, हृदयगति तेज होना, झटके आना एवं गंभीर स्थिति होने पर कोमा में जाने जैसी विपत्ति का भी सामना करना पड़ सकता है। ( Diet Chart for Diabetic Patient, sugar ke marj ke liye diet chart, मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट )डायबिटिक व्यक्ति को हमेशा अपने साथ कोई मीठी चीज जैसे ग्लूकोज, शक्कर, चॉकलेट, मीठे बिस्किट रखना चाहिए। यदि हायपोग्लाइसीमिया के लक्षण दिखें तो तुरंत इनका सेवन करना चाहिए। एक सामान्य डायबिटिक व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि वे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहें। दो या ढाई घंटे में कुछ खाएं। एक समय पर बहुत सारा खाना न खाएं।डायबिटीज के मरीज हमेशा डबल टोन्ड दूध का प्रयोग करें। कम कैलोरीयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करें जैसे – छिलके वाला भुना चना, परमल, अंकुरित अनाज, सूप, सलाद आदि का ज्यादा सेवन करें। दही और छाछ का सेवन करने से ग्लूकोज का स्तर कम होता है और डायबिटीज नियंत्रण में रहता है।
अपने साथ कोई मीठी चीज जैसे ग्लूकोज, शक्‍कर, चॉकलेट, मीठे बिस्किट रखना चाहिए। यदि हायपोग्‍लाइसीमिया के लक्षण दिखें तो तुरंत इनका सेवन करना चाहिए। एक सामान्य डायबिटिक व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि वे थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ खाते रहें।
दो या ढाई घंटे में कुछ खाएं।
एक समय पर बहुत सारा खाना न खाएं।Diabetic Diet में ज्यादा फाइबर युक्त भोजन -जैसे छिलके सहित पूरी तरह से बनी हुई गेहूं की रोटी, जई (Oats) इत्यादि जैसे जटिल कार्बोहाइड्रेट शामिल होनी चाहिए, क्योंकि वे खून के प्रवाह में धीरे-धीरे मिल जाते हैं।
इस प्रकार इन्सुलिन उत्पादित ग्लूकोस का बेहतर ढंग से सामना कर सकती है।
गेहूं और जौ 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो चने के साथ पिसवा लें। ऐसे चोकर सहित आटे की बनी चपातियां भोजन में खाएं। इसे अपने Diabetic Diet में अवश्य शामिल करें |
मधुमेह के रोगियों के लिए डाइट चार्ट )Diabetic Diet के अंतर्गत सब्जियों में करेला, मेथी, सहजन , पालक, तुरई, शलगम, बैंगन, टिंडा, चौलाई, परवल, लौकी, मूली, फूलगोभी, बेलपत्र, ब्रोकली, टमाटर, बंदगोभी, Tofu, सोयाबीन की मंगौड़ी, जौ, बंगाली चना, पुदीना, हल्दी, काला चना, दालचीनी, फलीदार सब्जियां जैसे बीन्स, सैम फली, शिमला मिर्च, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां शामिल करें तथा इन सब्जियों से बने पतले सूपों का जितना चाहें उतना सेवन करें।
ल (Olive oil),अलसी, बादाम का भी बेहिचक सेवन करें |
मधुमेह के रोगियों के लिए वरदान है एंटी डायबिटिक रसमधुमेह में फल – फलों में जामुन, नींबू, आंवला, टमाटर, पपीता, सिंघाड़ा, खरबूजा , कच्चा अमरुद, संतरा, मौसमी, ककड़ी ,चुकन्दर , मीठा नीम, बेल का फल, जायफल तथा नाशपाती को शामिल करें
आम ,पका केला ,सेब, खजूर तथा अंगूर में शुगर होता है, लेकिन क्योंकि फलों में फाइबर ज्यादा होता है इसलिए ये अच्छे शुगर की केटेगरी में आते है | जिनको हाई लेवल मधुमेह नहीं है वो इनको कम मात्रा में ले सकते है| इनका जूस बिल्कुल ना पियें क्योंकि उससे फाइबर निकल जाते है | अधिक पके हुए फलों में अधिक शुगर होता है इसलिए कच्चे फलों का ज्यादा सेवन करें
घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार*

बार बार ज़ुकाम होने की शिकायत साइनस की बीमारी भी हो सकती है। साइनस की समस्या है जिसे साइनुसाइटस भी कहते हैं। साइनस के इलाज के लिए ऑपरेशन महंगे होते हैं, जिनके सफल होने के चांसेज भी कम होते हैं। इस बीमारी के लिए घरेलू और देशी नुस्खे बहुत कारगर होते हैं। यह बीमारी बढ़कर अस्थमा और माइग्रेन में तब्दील हो सकती है। आइए साइनस का घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार जानते हैं।

साइनस के लक्षण

साइनुसाइटस के लक्षण आंख और माथे पर महसूस होते हैं।

– माथे और गालों पर भारीपन रहता है
– आंखें भारी-भारी रहती हैं
– थकान जल्दी होती है
– नाक से हरे और पीले रंग के रेशे गिरते हैं
– ज़ुकाम से नाक बंद हो जाती है
– सिर में दर्द रहता है
– पलकों के ऊपर दर्द रहता है
– हल्का-हल्का बुखार हो सकता है
– चेहरे पर सूजन रहती है

साइनस का घरेलू उपचार

– नारियल पानी पोटैशियम का प्रचुर स्रोत है। इसके सेवन से शरीर डि-टॉक्स होता है, यानि शरीर की गंदगी बाहर निकलती है। जिससे साइनस की बीमारी ख़त्म होती है।

– नाक से बलगम आने और आंखों पर भारीपन महसूस हो तो हल्के हाथों से जैतून के तेल से मालिश करनी चाहिए।

– गाजर, पालक और चुकंदर का जूस पीने से भी साइनुसाइटस में आराम आता है।

– शहद में तुलसी या अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से साइनस से छुटकारा मिलता है।

– हॉट वॉटर बोतल में गर्म पानी भरकर सिर, आंखों, चेहरे और गले की सिंकाई करने से साइनस में आराम मिलता है।

– स्टीम बॉथ और तौलिए से चेहरे पर भाप लेने से भी आराम पहुंचता है।

– काले जीरे की बीज या अजवायन को भूनकर कपड़े में बांधकर सूँघने से साइनस में राहत मिलती है।

– साइनस हो तो गुनगुना पानी और गर्म सूप का सेवन करना चाहिए। इससे गले और नाक में भरा हुआ बलगम बाहर निकल जाता है।

– नाक से पानी ज़्यादा आए तो प्याज के रस की कुछ बूँदें नाक में डालें। इससे नाक का बहना और सिर दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।

– लाल मिर्च और काली मिर्च का सेवन करने पर भी बंद नाक खुल जाती है।

– वेजिटेबल ऑयल और सूखे मेवों में विटामिन ई होता है, जिससे साइनस की बीमारी दूर रहती है।

  • पंचगव्य नासिक धृत के नियमित सेवन से

साइनस का आयुर्वेदिक उपचार

– एक कप पानी में एक चम्मच मेथी दाना डालकर उबालें। इसके बाद ठंडा करके छानकर पी लें। कुछ दिन यह उपाय लगातार करने से आपको साइनस की बीमारी में आराम मिलता है।

– तुलसी के पत्ते, अदरक, छोटी सौंफ, मुलेठी, पुदीना और सौंफ का बना काढ़ा पीने से साइनस के लक्षण खत्म हो जाते हैं।

माथे, गाल व नाक की हड्डियों के अंदर के भाग में सूजन व श्लेष्मा जमा होना। जुकाम बिगड़ जाने पर इस स्थान में बलगम या म्यूकस जमा हो जाता है जिससे इन हड्डियों में दर्द होता है, इसी को साइनस का दर्द कहते हैं।

लक्षण: इस रोग में जुकाम और सिरदर्द के मिले-जुले लक्षण रहते हैं।

● रोगी ठंडी हवा के प्रति संवेदनशील हो, सिर को ढक कर रखना चाहे, नाक व आंखों के ऊपर दर्द हो- ( साइलीशिया 1M सप्ताह में एक बार)

● जब बलगम ठंड से बढ़े – ( कालीबाई 30, दिन में 4 बार)

● जब रोग दाहिनी ओर ज्यादा हो- (सैंगुनेरिया 30, दिन में 3-4 बार)

● जब रोग बाई और ज्यादा हो- ( स्पाइजिलिया 30, दिन में तीन चार बार)
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🌷🌷 साइनस की बीमारी का घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार*

बार बार ज़ुकाम होने की शिकायत साइनस की बीमारी भी हो सकती है। साइनस की समस्या है जिसे साइनुसाइटस भी कहते हैं। साइनस के इलाज के लिए ऑपरेशन महंगे होते हैं, जिनके सफल होने के चांसेज भी कम होते हैं। इस बीमारी के लिए घरेलू और देशी नुस्खे बहुत कारगर होते हैं। यह बीमारी बढ़कर अस्थमा और माइग्रेन में तब्दील हो सकती है। आइए साइनस का घरेलू और आयुर्वेदिक उपचार जानते हैं।

साइनस के लक्षण

साइनुसाइटस के लक्षण आंख और माथे पर महसूस होते हैं।

– माथे और गालों पर भारीपन रहता है
– आंखें भारी-भारी रहती हैं
– थकान जल्दी होती है
– नाक से हरे और पीले रंग के रेशे गिरते हैं
– ज़ुकाम से नाक बंद हो जाती है
– सिर में दर्द रहता है
– पलकों के ऊपर दर्द रहता है
– हल्का-हल्का बुखार हो सकता है
– चेहरे पर सूजन रहती है

साइनस का घरेलू उपचार

– नारियल पानी पोटैशियम का प्रचुर स्रोत है। इसके सेवन से शरीर डि-टॉक्स होता है, यानि शरीर की गंदगी बाहर निकलती है। जिससे साइनस की बीमारी ख़त्म होती है।

– नाक से बलगम आने और आंखों पर भारीपन महसूस हो तो हल्के हाथों से जैतून के तेल से मालिश करनी चाहिए।

– गाजर, पालक और चुकंदर का जूस पीने से भी साइनुसाइटस में आराम आता है।

– शहद में तुलसी या अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से साइनस से छुटकारा मिलता है।

– हॉट वॉटर बोतल में गर्म पानी भरकर सिर, आंखों, चेहरे और गले की सिंकाई करने से साइनस में आराम मिलता है।

– स्टीम बॉथ और तौलिए से चेहरे पर भाप लेने से भी आराम पहुंचता है।

– काले जीरे की बीज या अजवायन को भूनकर कपड़े में बांधकर सूँघने से साइनस में राहत मिलती है।

– साइनस हो तो गुनगुना पानी और गर्म सूप का सेवन करना चाहिए। इससे गले और नाक में भरा हुआ बलगम बाहर निकल जाता है।

– नाक से पानी ज़्यादा आए तो प्याज के रस की कुछ बूँदें नाक में डालें। इससे नाक का बहना और सिर दर्द से छुटकारा मिल जाएगा।

– लाल मिर्च और काली मिर्च का सेवन करने पर भी बंद नाक खुल जाती है।

– वेजिटेबल ऑयल और सूखे मेवों में विटामिन ई होता है, जिससे साइनस की बीमारी दूर रहती है।

  • पंचगव्य नासिक धृत के नियमित सेवन से

साइनस का आयुर्वेदिक उपचार

– एक कप पानी में एक चम्मच मेथी दाना डालकर उबालें। इसके बाद ठंडा करके छानकर पी लें। कुछ दिन यह उपाय लगातार करने से आपको साइनस की बीमारी में आराम मिलता है।

– तुलसी के पत्ते, अदरक, छोटी सौंफ, मुलेठी, पुदीना और सौंफ का बना काढ़ा पीने से साइनस के लक्षण खत्म हो जाते हैं।

माथे, गाल व नाक की हड्डियों के अंदर के भाग में सूजन व श्लेष्मा जमा होना। जुकाम बिगड़ जाने पर इस स्थान में बलगम या म्यूकस जमा हो जाता है जिससे इन हड्डियों में दर्द होता है, इसी को *साइनस का दर्द कहते हैं
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🌹लौकी द्वारा स्वास्थ्य-सुरक्षा🌹*

🌻लौकी पौष्टिक, कफ-पित्त शामक, वीर्यवर्धक, रुचिकर, शीतल, रेचक तथा ह्रदय के लिए बलप्रद, गर्भपोषक तथा गर्भावस्था की कब्जियत दूर करती है |

🌻इसका तेल मस्तिष्क की गर्मी दूर करता है |

👉🏻 क्षयरोगियों के लिए लौकी बहुत हितकर है |

🌻२० से २५ मि.ली. लौकी के रस में आधा चम्मच शहद या शक्कर मिलाकर लेने से शरीर का दाह,गले की जलन, रक्तविकार, फोड़े, शीतपित्त आदि रोगों में लाभ होता है |

🌻२ से ४ चम्मच लौकी के रस में पाँव चम्मच जीरा चूर्ण व एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से ह्रदय के स्नायुओं को बल मिलता है।

🌻 पित्त के कारण होनेवाली पेट और छाती की जलन कम होती है

🌻भोजन में रूचि बढती है |

👉🏻 प्रयोग के एक घंटे बाद तक कुछ न लें |

🌻ताज़ी लौकी को कद्दूकश कर घी में भुन लें | इसमें मिश्री, जीरा, सेंधा नमक डाल के खाने से धातु का पोषण होकर शरीर स्वस्थ्य बनता है | इससे शौच साफ़ आता है |

🌻ह्र्द्यरोगियों के लिए उबली लौकी में धनिया, जीरा, हल्दी और हरा धनिया डालकर खाना लाभदायक है |

💁🏻‍♂सावधानी :

१] अतिसार, सर्दी-खाँसी, दमे के रोगी लौकी न खायें |

२] पुरानी ( पकी ) लौकी से कब्जियत होने के कारण उसका उपयोग न करें |

३] कडवी लौकी ( तुमड़ी ) विषैली होने से उसका सेवन निषिद्ध है |
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