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मन को कभी फुर्सत न दें

मन में जबरदस्त शक्ति के भंडार भरे पडे हैं। यह ऎसा वेगवान अश्व है कि इस पर लगाम हो तो शीध्र ही मंजिल पर पहुचता है। लगाम बिना यह टेढे-मेडे रास्तों पर ऎसा भागेगा कि अंत में गहरी अन्धेरी कांटे दार झाडियों में ही गिरा देगा। अतः मन पर मजबूत लगाम रखें। इसे कभी फुर्सत न दें। यह कहवत तो आप जानते होंगे कि खाली मन शैतान का घर
अन्याथा यह खराबियाँ ही करेगा। इसलिए मन को किसी-न-किसी अच्छे काम में, किसी विचारशील कार्य-कलाप में लगाए रखें। कभी आत्मचिन्तन करें तो कभी सत्शास्त्रों का अध्ययन, कभी सत्संग करें तो कभी ईश्वरनाम-संकीर्तन करें, जप करें, अनुष्ठान करें और परमात्मा के ध्यान में डूबें। कभी खुली हवा में घूमने जायें, व्यायाम करें। आशय यह है कि इसके पैरों में कार्यरुपी बेडियाँ डाले ही रखें। इसके सिर पर यदा- कदा अंकुश लगाते ही रहें। हाथी अंकुश से वश होता है, इसी प्रकार मन भी अंकुश से वशीभूत हो जायेगा।
मन को प्रतिदिन दुःखों का स्मरण कराओ
जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक दुःखों, से भरा पड़ा है। गर्भवास का दुःख, जन्मते समय का दुःख, बचपन का दुःख, बीमारी का दुःख, बुढ़ापे का दुःख तथा मृत्यु का दुःख आदि दुःखो की परम्परा चलती रहती है।
मन को प्रतिदिन इन सब दुःखो का स्मरण कराइए। मन को अस्पतालों के रोगीजन दिखाइए, शवयात्रा दिखाइए, श्मशान-भूमि में घू-घू जलती हुई चिताएँ दिखाइए। उसे कहें : “रे मेरे मन ! अब तो मान ले मेरे लाल ! एक दिन मिट्टी में मिल जाना है अथवा अग्नि में खाक हो जाना है। विषय-भोगों के पीछे दौड़ता है पागल ! ये भोग तो दूसरी योनियों में भी मिलते हैं। मनुष्य-जन्म इन क्षुद्र वस्तुओं के लिए नहीं हैं। यह तो अमूल्य अवसर हैं। मनुष्य-जन्म में ही पुरुषार्थ साध सकते हैं। यदि इसे बर्बाद कर देगा तो बारंबार ऎसी देह नहीं मिलेगी। इसलिए ईश्वर-भजन कर, ध्यान कर, सत्संग सुन और संतों की शरण में जा। तेरी जन्मों की भूख मिट जायेगी। क्षुद्र विषय-सुखों के पीछे भागने की आदत छूट जायेगी। तू आनंद के महासागर में ओतप्रोत होकर आनंदस्वरुप हो जायेगा।
अरे मन ! तू ज्योतिस्वरुप है। अपना मूल पहचान। चौरासी लाख के चक्कर से छूटने का यह अवसर तुझे मिला है और तू मुठ्ठीभर चनों के लिए इसे नीलाम कर देता है, पागल।
इस प्रकार मन को समझाने से मन स्वतः ही समर्पण कर देगा। तत्पश्चात् एक आज्ञाकरी व बुद्धिमान बच्चे के समान आपके बताये हुए सन्मार्ग पर खुशी-खुशी चलेगा।
जिसने अपना मन जीत लिया, उसने समस्त जगत को जीत लिया। वह राजाओं का राजा है, सम्राट है, सम्राटों का भी सम्राट हैं।

JAI HO BIHARI JI KI

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