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ध्यान क्या है? |What is meditation?
ध्यान एक विश्राम है| ध्यान एकाग्रता के बारे मे नही है, वास्तविकता में यह एकाग्रता से विमुख होने की प्रक्रिया है| यह किसी वस्तु पर अपने विचारों का केन्द्रीकरण नहीं है अपितु यह विचार रहित होने की प्रक्रिया है|
शांत चित्त
अच्छी एकाग्रता
बेहतर स्पष्टता
बेहतर संवाद
मस्तिस्क एवं शरीर का कायाकल्प व विश्राम
ध्यान के कारण शरीर की आतंरिक क्रियाओं में विशेष परिवर्तन होते हैं और शरीर की प्रत्येक कोशिका प्राणतत्व (ऊर्जा) से भर जाती है| शरीर में प्राणतत्व के बढ़ने से प्रसन्नता, शांति और उत्साह का संचार भी बढ़ जाता है|
ध्यान से शारीरिक स्तर पर होने वाले लाभ
उच्च रक्तचाप का कम होना, रक्त में लैक्टेट का कम होना, उद्वेग/व्याकुलता का कम होना|
तनाव से सम्बंधित शरीर में कम दर्द होता है| तनाव जनित सिरदर्द, घाव, अनिद्रा, मांशपेशियों एवं जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है |
भावदशा व व्यवहार बेहतर करने वाले सेरोटोनिन हार्मोन का अधिक उत्पादन होता है|
प्रतिरक्षा तंत्र में सुधार आता है|
ऊर्जा के आतंरिक स्रोत में उन्नति के कारण ऊर्जा-स्तर में वृद्धि होती है|
ध्यान, मस्तिस्क की तरंगों के स्वरुप को अल्फा स्तर पर ले आता है जिससे चिकित्सा की गति बढ़ जाती है| मस्तिस्क पहले से अधिक सुन्दर, नवीन और कोमल हो जाता है| ध्यान मस्तिस्क के आतंरिक रूप को स्वच्छ व पोषण प्रदान करता है| जब भी आप व्यग्र, अस्थिर और भावनात्मक रूप से परेशान होते हैं तब ध्यान आपको शांत करता है| ध्यान के सतत अभ्यास से होने वाले लाभ निम्नलिखित हैं:
व्यग्रता का कम होना
भावनात्मक स्थिरता में सुधार
रचनात्मकता में वृद्धि
प्रसन्नता में संवृद्धि
सहज बोध का विकसित होना
मानसिक शांति एवं स्पष्टता
परेशानियों का छोटा होना
ध्यान मस्तिस्क को केन्द्रित करते हुए कुशाग्र बनाता है तथा विश्राम प्रदान करते हुए विस्तारित करता है|
बिना विस्तारित हुए एक कुशाग्र बुद्धि क्रोध, तनाव व निराशा का कारण बनती है|
एक विस्तारित चेतना बिना कुशाग्रता के अकर्मण्य/ अविकसित अवस्था की ओर बढ़ती है|
कुशाग्र बुद्धि व विस्तारित चेतना का समन्वय पूर्णता लाता है|
ध्यान आपको जागृत करता है कि आपकी आतंरिक मनोवृत्ति ही प्रसन्नता का निर्धारण करती है|
ध्यान का कोई धर्म नहीं है और किसी भी विचारधारा को मानने वाले इसका अभ्यास कर सकते हैं|
मैं कुछ हूँ इस भाव को अनंत में प्रयास रहित तरीके से समाहित कर देना और स्वयं को अनंत ब्रह्मांड का अविभाज्य पात्र समझना|
ध्यान की अवस्था में आप प्रसन्नता, शांति व अनंत के विस्तार में होते हैं और यही गुण पर्यावरण को प्रदान करते हैं, इस प्रकार आप सृष्टी से सामंजस्य में स्थापित हो जाते हैं|
ध्यान आप में सत्यतापूर्वक वैयक्तिक परिवर्तन ला सकता है| क्रमशः आप अपने बारे में जितना ज्यादा जानते जायेंगे, प्राकृतिक रूप से आप स्वयं को ज्यादा खोज पाएंगे|
ध्यान के लाभों को महसूस करने के लिए नियमित अभ्यास आवश्यक है| प्रतिदिन यह कुछ ही समय लेता है| प्रतिदिन की दिनचर्या में एक बार आत्मसात कर लेने पर ध्यान दिन का सर्वश्रेष्ठ अंश बन जाता है| ध्यान एक बीज की तरह है| जब आप बीज को प्यार से विकसित करते हैं तो वह उतना ही खिलता जाता है.
प्रतिदिन, सभी क्षेत्रों के व्यस्त व्यक्ति आभार पूर्वक अपने कार्यों को रोकते हैं और ध्यान के ताज़गी भरे क्षणों का आनंद लेते हैं| अपनी अनंत गहराइयों में जाएँ और जीवन को समृद्ध बनाए
आत्मविश्वास में वृद्धि
अधिक केन्द्रित व स्पष्ट मन
बेहतर स्वास्थ्य
बेहतर मानसिक शक्ति व ऊर्जा
अधिक गतिशीलता
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