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ज्योतिष शास्त्र और रोग – किस ग्रह के कारण कौन सा रोग होता है ? – ज्योतिष में नवरत्न – मंत्र और उपाय – DISEASES & ASTROLOGY – WHICH PLANETS CAUSE WHICH TYPE OF PROBLEMS & REMDIES FOR THE SAME :

  1. ज्योतिष रोगों के निदान में किस प्रकार सहायता कर सकता है ? :
    प्राचीन समय में वैद्य विशेष नक्षत्र महूर्त में ही दवा तैयार करते थे, ताकि शीघ्र लाभ हो. हमारा मानना है, कि अगर चिकित्सा और ज्योतिष, दोनों की सहायता ली जाये, तो लाभ शीघ्र मिलता है. नीचे लिखे उपाय सहायता अवश्य करेंगे, पर किस व्यक्ति को कब ग्रहों के उपाय करने चाहियें और किन ग्रहों के रत्न धारण करने चाहियें, यह कुण्डली के विश्लेषण से ही संभव है. पर, इतना कहा जा सकता है, कि लग्नेश का रत्न स्वास्थ्य लाभ में अवश्य सहायक होता है, और जो ग्रह लग्नेश, पंचमेश और नवमेश के शत्रु हों, उनका रत्न कभी नहीं पहनना चाहिए, बल्कि उन के केवल उपाय करने चाहियें. वैसे हम ने प्रत्येक ग्रह की शांति के उपाय कई बार लिखे हैं. हमने कई बार यह भी बताया है, कि कौन से लग्न वाले कौन से उपाय करें और कौन से रत्न पहनें. फिर भी, कई ज्योतिषी अनाप-शाप उपाय और रत्नों की सलाह दे देते हैं, जिनसे प्रायः हानि ही होती है.
  2. ज्योतिष की दृष्टि से रोग के संबंधित ग्रह, योग व विभिन्न उपाय :
    प्राचीन काल में जीवन जीने के भौतिक सुख के साधन कम थे, तब रोग व बीमारियां भी कम हुआ करती थीं। जैसे-जैसे मनुष्य ने उन्नति की, भौतिक सुख-सुविधाओं में भी वृद्धि हुई, जिससे व्यक्ति आरामदायक जीवन बिताने लगा। इसके परिणामस्वरूप, मेहनत कम होने से कई बीमारियों जैसे – मोटापा, मधुमेह, हृदय रोग, नेत्र रोग, कैंसर, अस्थमा आदि ने जन्म लिया। फिल्मी भाषाओं व माॅडलिंग, फैशन एवं बढ़ती भौतिक चीजों के कारण व्यक्ति की मानसिकता उत्तेजित होने लगी, जिससे कामुकता बढ़ने लगी. परिणामस्वरूप, यौन-अपराध बढ़ने लगे, जिससे यौन-रोगों में वृद्धि हुई। ये सभी आधुनिक युग के रोग कहलाते हैं – अर्थात् प्राचीनकाल में ये रोग नहीं थे, या बहुत कम थे. इन रोगों का विचार छठे भाव (रोग) तथा 3 एवं 11 भाव से किया जाता है तथा इसके साथ ही 6 भाव के कारक मंगल, शनि, लग्न-लग्नेश, चंद्र-राशीश तथा इन सभी पर पाप प्रभाव का विचार महत्वपूर्ण है।
  3. मधुमेह रोग में गुरु व शुक्र की भूमिका :
    जब शुक्र ग्रह कुंडली के किसी भी भाव में दोषयुक्त हो – अर्थात् नीच, अस्त, शत्रु राशि में हो तथा साथ ही इस पर पाप प्रभाव हो या कुंडली के षष्ठ रोग भाव या षष्ठेश का शुक्र से संबंध हो, तो व्यक्ति को प्रायः स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियां आती हैं. शुक्र को मूत्र का कारक ग्रह माना गया है। काम (सेक्स) का कारक ग्रह भी शुक्र ही है। शुक्र एक जल तत्व ग्रह है। मधुमेह रोग में शुगर (काम) स्थान से मूत्र द्वारा बाहर निकलती है। अतः शुक्र के सहयोग के बगैर मधुमेह (शुगर), काम का निदान कठिन होता है. गुरु और शुक्र में से मित्र ग्रह के लिए पुखराज, या हीरा/ओपल पहनने और इनमें से जो शत्रु ग्रह हो, उसके उपाय करने से लाभ मिलता है.
  4. किस ग्रह के कारण कौन सा रोग होता है ? :
    सूर्य – हड्डी, मुँह से झाग निकलना , रक्त चाप , पेट की दिक़्क़त
    चंद्र – मानसिक तनाव, माइग्रेन, घबराहट, आशंका की बीमारी
    मंगल – रक्त सम्बंधी समस्या, उच्च रक्तचाप, कैंसर, वात रोग , गठिया , बनासीर , आंव
    बुध – दंत सम्बंधी बीमारी, हकलाहट, गुप्त रोग, त्वचा की बीमारी, कुष्ट रोग , चेचक, नाड़ी की कमजोरी
    गुरू – पेट की गैस, फेफड़े की बीमारी, यकृत की दिक़्क़त, पीलिया
    शुक्र – शुक्राणुओं से सम्बंधित , त्वचा, खुजली, मधुमेह
    शनि- कोई भी लम्बी चलने वाली बीमारी जैसे एड्स, कैंसर आदि
    राहू – बुखार , दिमाग़ी बिमारी, दुर्घटना आदि
    केतू – रीढ़, स्वप्नदोष, कान, हार्निया

यदि कुंडली में ये ग्रह छठे भाव के स्वामी के साथ सम्बंध बनायें, और उनकी दशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा आये है तो उसी समय , उस दशानाथ से सम्बंधित बीमारी जन्म लेती है ।

  1. ज्योतिष में नवरत्न :
    ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का रंग निश्चित है और तदनुसार प्रत्येक ग्रह के लिए उसी रंग के अनुसार रत्न निर्धारित हैं जैसे माणिक सूर्य का, मोती चंद्रमा का, मूंगा मंगल का, पन्ना बुध का, पुखराज बृहस्पति का, हीरा शुक्र का, नीलम शनि का, गोमेद राहु का और लहसुनिया केतु का रत्न है।
    इन में से मित्र ग्रह के लिए रत्न पहनने और इनमें से जो शत्रु ग्रह हो, उसके उपाय करने से लाभ मिलता है. यह किसी व्यक्ति की कुण्डली के अध्ययन से ही पता लग सकता है, कि कौन सा मित्र ग्रह दुर्बल होने के कारण शरीर की आत्मरक्षा कमजोर है, जिनके रत्न पहने जाएँ, और कौन से शत्रु ग्रह पीड़ित कर रहे हैं, जिनके उपाय करने चाहियें.
  2. मंत्र की शक्ति :
    मंत्र जाप में इतनी शक्ति होती है कि इनसे कई तरह के रोगों का उपचार होता है। यहां तक कि इसको अध्यात्म का दवाखाना भी कहा जाता है।

“ॐ रुद्राये नमह”

उपरोक्त मंत्र को सिद्ध करने के लिए 6 महीने तक प्रतिदिन एक माला जाप करें। इस मंत्र के प्रभाव से कठिन एवं असाध्य रोगों पर विजय प्राप्त होती है। गंभीर रोग की स्थिति में पानी में देखकर मंत्र जाप करें और वो पानी रोगी को पीने के लिए दे दें। स्वयं बीमार हों तो भी ऐसा ही करें।

इस जाप में किसी भी प्रकार के नियम की बाध्यता नहीं होती है। सोते समय, चलते समय, यात्रा में एंव शौच आदि करते वक्त भी मंत्र जप अपने मन की माला से करते रहे। मंत्र शक्ति का अनुभव करने के लिए कम से कम एक माला नित्य जाप करना चाहिए। मंत्र का जप प्रातः काल पूर्व दिशा की ओर मुख करके करना चाहिए एंव सांयकाल में पश्चिम दिशा की ओर मुख करके जप करना श्रेष्ठ माना गया है।

  1. क्या ज्योतिष की मदद से गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है ?
    हाँ, ज्योतिष और जड़ी-बूटियों की मदद से ब्लड कैंसर और अन्य गंभीर रोगों का भी इलाज संभव है। जातक की पत्रिका में यदि चंद्र और मंगल कमजोर स्थिति में हों और शनि रोग, मृत्यु या व्यय के घर में बैठे हैं तो व्यक्ति को ब्लड कैंसर की पूरी-पूरी आशंका रहती है। कुंडली में कमजोर चंद्र व्हाइट ब्लड सेल्स को कम करता है तथा मंगल के कमजोर होने की स्थिति में रेड ब्लड सेल्स कम होते हैं। गेहूँ के जवारे, अनार का रस और अन्य जड़ी-बूटियों की मदद से इस तरह के रोगियों का उपचार किया जाता है। साथ में इन ग्रहों के रत्न या उपचार (कुण्डली के अनुसार, जो भी उपयुक्त हो) करने से भी लाभ मिलता है.
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    आप का आज का दिन मंगलमयी हो – आप स्वस्थ रहे, सुखी रहे – इस कामना के साथ।


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