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      पानी को कितना भी गर्म कर लें पर वह थोड़ी देर बाद अपने मूल स्वभाव में आकर जायेगा शीतल हो जायेगा। इसी प्रकार हम कितने भी क्रोध में, भय में अशांति में रह लें थोड़ी देर बाद बोध में, निर्भयता में और प्रसन्नता में हमें आना होगा क्योंकि यही हमारा मूल स्वभाव है।
      इतना ऊर्जा सम्पन्न जीवन परमात्मा ने हमें दिया है स्वयं का तो क्या लाखों लाखों लोगों का कल्याण करने के निमित्त भी हम बन सकते है। जरुरत है स्वयं की शक्ति और स्वभाव समझने की। 
      सबसे बड़ी अगर जीवन पथ में अगर कोई बाधा है तो वह है निराशा। हम थोड़ी देर में ही परिस्थिति के आगे घुटने टेककर उसे अपने ऊपर हावी कर लेते हैं। किसी संग दोष के कारण, किन्ही बातों के प्रभाव में आकर निराश हो जाना, यह संयोग जन्य स्थिति है। आनंद , प्रसन्नता, उत्साह, उल्लास और सात्विकता मूल स्वभाव तो हमारा यही ही है।

🙏 जय श्री राधे कृष्ण


दुनिया में आदमी को और कोई इतना परेशान नहीं करता जितना उसकी स्वयं की कमजोरी, गलत आदतें, व्यसन, उसके स्वयं के दुर्गुण। संसार की सारी बाधाओं ने आदमी को उतना दुःखी नहीं किया होगा जितना कि स्वयं की कमजोरियों ने।
कभी किसी दूसरे व्यक्ति ने आपको आपकी कमजोरियों की ओर ध्यान दिलाया भी होगा तो उसका आभार मानने की बजाय आप उस पर क्रुद्ध हुए होंगे और आज तक उसे अपना शत्रु भी बना रखा होगा।
इस दुनिया का बहुत मुश्किल कार्य अगर कोई है तो वह है स्वयं की कमजोरियों को पहचान लेना। आत्म निरीक्षण बड़ा कठिन है। स्वयं को दोषों को दूर करने का काम कोई साहसी ही कर सकता है। जीवन को सफलता और आनंद की ओर ले जाना है तो अपनी कमजोरियों की लिस्ट बनायें और आज से ही उन्हें दूर करने के लिए प्रतिबद्ध हो जाएँ।

🚩जय श्रीराधे कृष्णा🚩

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समय मूल्यवान और बहुमूल्य नहीं वह तो अमूल्य है। हमारे पूरे जीवन भर की कमाई भी समय के एक क्षण को नहीं खरीद पायेगी फिर समय का दुरुपयोग किस लिए है।। व्यस्तता हो अवश्य मगर वह सृजनात्मक, जनात्मक कार्यों में हो, रचनात्मक कार्यों में हो तभी समय का सदुपयोग समझा जायेगा। समय किसी के साथ नहीं चलता। हमें ही इसके साथ चलना पड़ेगा और एक बात समय किसी के लिए रुकता भी नही अत:समय अमूल्य है हर क्षण घट रहा है, यह आज है, कल नहीं, अभी है फिर नहीं। इसलिए समय के महत्व को विशेष रूप से समझा जाये और अपने जीवन को अच्छे कार्यों में, श्रेष्ठ कार्यों में लगाया जाये।।

जय श्री राधे कृष्णा
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बाधाएं बाहर नही भीतर हैं।और बाधाएं इसलिए हैं।। कि आप अभी सो रहे हैं, बेहोश है, और जब तक आप सोये हैं, जागते नहीं हैं। तब तक बाधायें तो बनी रहेंगी।। अगर एक एक बाधा को मिटाने में लग जाएंगे। तो कभी न मिटा पाएंगे।। बाधाओं को मिटाने का एक ही मार्ग है। कि आप भीतर जाग जाएं, सभी बाधाएं खुद ब खुद दूर हो जाएंगी।। परमात्मा के नाम का दिया जलाइये। इस दिये के जलते ही सारे भय समाप्त हो जाते हैं, घर प्रकाश से जगमगाने लगता है। सब बाधायें मिट जाती हैं।।

   *हरि ॐ*
       🙏

[: बहुत बड़ी दौलत के मालिक होने के बावजूद भी यदि मन में कुछ पाने की चाह बाकी है। तो समझ लेना वो अभी दरिद्र ही है और कुछ पास में नहीं फिर भी जो अपनी मस्ती में झूम रहा है उससे बढ़कर भी कोई दूसरा करोड़ पति नहीं हो सकता है।। सुदामा को गले लगाने के लिए आतुर श्री द्वारिका धीश इसलिए भागकर नहीं गए कि सुदामा के पास कुछ नहीं है। अपितु इसलिए गए कि सुदामा के मन में कुछ भी पाने की इच्छा अब शेष नहीं रह गयी थी इसलिए ही संतों ने कहा है। कि जो कुछ नहीं माँगता उसको भगवान स्वयं को दे देते हैं।।

जय श्री कृष्ण🙏🙏

आज का दिन शुभ मंगलमय हो।
[ जिन पक्षियों को बचपन से ही पिंजरे में बॉध कर रखा जाता है। वो बड़े होने के पशचात पिंजरा खुलने पर भी उड़ नही पाते उस पिंजरे के आस पास ही भटकते रहे जाते है।। ठीक ऐसा ही पालतू पशुओं के साथ भी होता है। कभी सोचा है, ऐसा क्यों होता है। क्यो ये अपने बंधन खुलने के पशचात भी भागते नही उड़ते नही हमारे आस पास ही रहते है क्योंकि सबसे बड़ी परतन्त्रता दासता मानसिक होती है।। यदि व्यक्ति मन से किसी का दास हो जाए तो बंधन खुलने के पशचात भी स्वतंत्र रहने का प्रयास नही करता इसलिए कोई व्यक्ति हो या सोच ,सुख सुविधा का साधन हो या स्थान किसी पर भी इतने आश्रित मत हो जाइए की मन गति करना भूल जाए। मन के द्वार खुले रखिए क्योकि अगर मन स्वतन्त्र हुआ तो कोई भी आपको परतन्त्र नही रख सकता।।

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