जीवन में कोई भी चीज इतनी खतरनाक नहीं जितना भ्रम में और डांवाडोल की स्थिति में रहना है। आदमी स्वयं अनिर्णय की स्थिति में रहकर अपना नुकसान करता है। सही समय पर और सही निर्णय ना लेने के कारण ही व्यक्ति असफल भी होता है।
यह ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है कि लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं ? महत्वपूर्ण यह है कि आप स्वयं के बारे में क्या सोचते हैं ? स्वयं के प्रति एक क्षण के लिए नकारात्मक ना सोचें और ना ही निराशा को अपने ऊपर हावी होने दें।
सफ़ल होने के लिए 3 बातें बड़ी आवश्यक हैं। सही फैसले लें, साहसी फैसले लें और सही समय पर लें। आगे बढ़ने के लिए आवश्यक है कि प्रयास की अंतिम सीमाओं तक पहुंचा जाए।
ईश्वर सबका भला करे और ईश्वर जो करता है वह अपने हिसाब से सही करता है वह सही करता है अपने को बुरा लगता है पर अन्तःत हमारे लिए अच्छा करता है और परिणाम हमारे लिए अच्छा होता है और जाको राखे साइया मार सके ना कोय,कोई बेरी कुछ भी करे चाहे जग बैरी होय ये संत कबीर साहब ने कहा था ।
साराशं यह है कि भय मत रखिये हम सब ईश्वर के आधिन सुरक्षित है ।बस अपनी तरफ से किसी को कष्ट मत दिजिये ।ईश्वर के बिना तो पेड़ का पता भी नहीं हिल सकता ।आनंदमय रहिये और औरो के आनंद मै खलल मत डालिए ।आगे हरि इच्छा ।
जैसे तिल के अंदर तेल होता है ,और आग के अंदर रौशनी होती है ,ठीक वैसे ही हमारे हरि ईश्वर हमारे अंदर ही विद्धमान है, बस भीतर जाकर उन्हें ढूँढना हैं बाहर जाकर नहीं ।
"विवाद और *"संवाद"* में एक बड़ा अन्तर है..
“विवाद” केवल यह सिद्ध करती है, कि “कौन सही है”
जबकि “संवाद” यह तय और निर्णय करती है, कि “क्या सही है”..!