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सब वस्तुओं की तुलना कर लेना मगर अपने भाग्य की कभी भी किसी से तुलना मत करना। अधिकांशतया लोगों द्वारा अपने भाग्य की तुलना दूसरों से कर व्यर्थ का तनाव मोल लिया जाता है व उस परमात्मा को ही सुझाव दिया जाता है कि उसे ऐसा नहीं, ऐसा करना चाहिए था।

परमात्मा से शिकायत मत किया करो। हम अभी इतने समझदार नहीं हुए कि उसके इरादे समझ सकें। अगर उस ईश्वर ने आपकी झोली खाली की है तो चिंता मत करना क्योंकि शायद वह पहले से कुछ बेहतर उसमे डालना चाहता हो।

अगर आपके पास समय हो तो उसे दूसरों के भाग्य को सराहने में न लगाकर स्वयं के भाग्य को सुधारने में लगाओ। परमात्मा भाग्य का चित्र अवश्य बनाता है मगर उसमें कर्म रुपी रंग तो खुद ही भरा जाता है।

!!!…ख़ुद मझधार में होकर भी
जो औरों का साहिल होता है
ईश्वर जिम्मेदारी उसी को देता हैं
जो निभाने के क़ाबिल होता है….!!!

 *जय जय श्री राधे*

[ ज्ञान का उद्देश्य मात्र धन कमाना ही नहीं है अपितु धर्म कराना भी है। ज्ञान का उद्देश्य ज्यादा कमाना नहीं अपितु जरूरत का कमाना है। ज्ञान का उद्देश्य केवल धन कहाँ से व कैसे आए ही नहीं है अपितु धन को कहाँ और कैसे खर्च करना भी है।
ज्ञान संपत्ति का अर्जन ही नहीं सिखाता अपितु आवश्यकता पड़ने पर उसका विसर्जन भी सिखाता है। ज्ञान घर में कैसे रहे ? इतना ही नहीं अपितु बाहर कैसे रहे यह भी सिखाता है। ज्ञान का अर्थ मौन नहीं अपितु सबसे मधुर व्यवहार करना है। ज्ञान केवल इसलिए नहीं है कि आपकी कृति सुन्दर हो अपितु इसलिए भी है कि आपके कृत्य सुन्दर हों।
ज्ञान अच्छा विचारक नहीं अच्छा सुधारक बनाता है। अत: ज्ञान का सम्पूर्ण उद्देश्य एक सच्चे और अच्छे मानव का निर्माण ही है। जो ज्ञान स्वस्थ मानव का निर्माण नहीं कर सकता फिर वह रुग्ण और त्याज्य है।

जय श्री कृष्ण🙏🙏

परमात्मा हर पल हमारे हृदय में है हमारे सब से नजदीक है और हर पल हमारा भला चाहते है। उन की कृपा पर भरोसा कर कर सर्वतोभाव से उन्ही पर छोड़ देना चाहिए।

संसार स्वप्नवत है मृगतृष्णा के जल के समान समझना ही वैराग्य है । वैराग्य के बिना संसार से मन नही हटता इस लिए परमात्मा की तरफ जाना कठिन होता है। अतएव संसार की स्थिति पर विचार कर के अपने असली स्वरुप को समझना और वैराग्य को बढ़ाना चाहिए।

भगवन एकमात्र मोक्ष के दाता है उन का चिंतन करने से सभी बन्धन कट जाते है तुम कितने भी पापी दुराचारी हो भगवन फिर भी तुम्हे अपने साथ मिलाना चाहते अतः एक बार सच्ची निर्भयता के साथ निश्चय कर के उनकी शरण ग्रहण करो तुम्हारे सब बंधन क्षणों में कट जायेगे और तुम उनके दुर्लभ मोक्ष स्वरूप को पा लोगे।

जय श्री कृष्णा🙏🙏
[: जीवन की कोई ऐसी परिस्थिति नहीं जिसे अवसर में ना बदला जा सके। हर परिस्थिति का कुछ ना सन्देश होता है। अगर हमारे पास किसी दिन कुछ खाने को ना हो तो भी श्री सुदामा जी की तरह प्रभु को धन्यवाद दें कि ” हे प्रभु ! आज आपकी कृपा से यह एकादशी जैसा पुण्य मुझे प्राप्त हो रहा है।”

अगर कभी भारी संकट भी आ जाए तो माँ कुंती की तरह भगवान के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें कि “हे प्रभु ! यदि मेरे जीवन में यह दुःख ना आता तो मै आपको कैसे स्मरण करता ?”

Զเधॆ Զเधॆ🙏🙏

कुंठा व्यक्ति की मुस्कुराहट छीन लेती है। इससे भी आगे कहा जाए तो वो ये कि कुंठा किसी व्यक्ति के जीने के जज्बे को ही समाप्त कर देती है।

वर्तमान समय में एकाकी जीवन शैली कुंठा की एक प्रमुख वजह है। जब हमारे आसपास सुख दुख बाँटने के लिए कोई नहीं होता तो वहीं से हमारा मन कुंठित होने लगता है।

केवल असफलता ही कुंठा का कारण नहीं होती अपितु वो सफलता भी कुंठा का कारण होती है, जिसमें हमारा कोई अपना प्रशंसा करने वाला नहीं होता है।

कुंठा का कारण केवल इतना ही नहीं है कि हम किसी के पास रो भी नहीं सकते अपितु ये भी है कि हम किसी किसी के साथ हँस भी नहीं सकते।

जिस परिवार में लोग एक दूसरे के साथ सुख दुख बाँटना जानते हैं। एक दूसरे के सुख – दुख में शामिल होना जानते हैं वह परिवार कुंठा मुक्त, अवसाद मुक्त एवं खुशहाल होता है।

अवसाद से बचना है तो परिवार के लोगों और मित्रों के साथ समय व्यतीत कीजिए। मुस्कुराइए, सुख-दुःख बाँटिए, नहीं तो जीवन में केवल धन ही रह जाएगा। सुख-आनंद- प्रसन्नता चली जाएगी।

🙏 जय श्री राधे कृष्णा 🙏

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