: जितने भी व्यायाम एवं आसनादि कहे गये हैं उनसे हमारा शरीर मजबूत एवं स्वस्थ्य रहता है और केवल शरीरके पोषण के लिये किये गये कार्य रजोगुणी ही माने जाते हैं जिससे हम सुखी-दुःखी होते ही रहते हैं परम शान्ति अथवा उत्तम आनन्द की प्राप्ति नहीं हो सकती है; लेकिन भगवान् श्रीकृष्णजी ने जिस ध्यानविधि का वर्णन किया है उससे उत्तम आनन्द प्राप्त एवं परब्रह्म परमात्माकी प्राप्तिरूप अनन्त आनन्दका अनुभव होता है, उसमें कहा है कि –
यह स्थिर न रहनेवाला और चञ्चल मन जिस-जिस वस्तु शब्दादि विषयके निमित्तसे संसारमें विचरता है, उस-उस विषयसे रोककर यानी हटाकर इसे बार-बार परमात्मामें ही निरुद्ध करे।।
क्योंकि जिसका मन भली प्रकार शान्त है, जो पापसे रहित है और जिसका रजोगुण शान्त हो गया है, ऐसे इस सच्चिदानन्दघन ब्रह्मके साथ एकीभाव हुए योगीको उत्तम आनन्द प्राप्त होता है।।
वह पापरहित योगी इस प्रकार निरन्तर आत्माको परमात्मामें लगाता हुआ सुखपूर्वक परब्रह्म परमात्माकी प्राप्तिरूप अनन्त आनन्दका अनुभव करता है।।
सर्वव्यापी अनन्त चेतनमें एकीभावसे स्थितिरूप योगसे युक्त आत्मावाला तथा सबमें समभावसे देखनेवाला योगी आत्माको सम्पूर्ण भूतोंमें स्थित और सम्पूर्ण भूतोंको आत्मामें कल्पित देखता है।।
जो पुरुष सम्पूर्ण भूतोंमें सबके आत्मरूप मुझ वासुदेवको ही व्यापक देखता है और सम्पूर्ण भूतोंको मुझ वासुदेवके अन्तर्गत (जैसे आकाशसे उत्पन्न सर्वत्र विचरनेवाला महान् वायु सदा आकाशमें ही स्थित है, वैसे ही मेरे संकल्पद्वारा उत्पन्न होनेसे सम्पूर्ण भूत मुझमें स्थित हैं, ऐसा जान) देखता है, उसके लिये मैं अदृश्य नहीं होता और वह मेरे लिये अदृश्य नहीं होता।।
इस प्रकारका ध्यान जब दृढ़ हो जाता है तब वह पुरुष परमशान्ति, परमानन्द व परमात्मा को प्राप्त हो जाता है।।
जय जय श्री कृष्ण
[ अपने जीवन में हम सभी आनंद चाहते हैं। लेकिन आनंद आता कहां है।। हम सभी शांति चाहते हैं अपने जीवन में लेकिन शांति मिलती कहां है। यहां समझने की बात यह है कि हमारे चाहने से कुछ नहीं होता हम कर्म के बीज क्या बोते हैं यह बात कीमती होती है।। क्योंकि बीज से ही फल उत्पन्न होता है। आप जैसे बीज बोते हैं, वैसा ही फल होता है।। हम जो करते हैं, वही लौट लौट कर आता है। लेकिन लौट के आने में इतनी देर लग जाती है, कि हम भूल जाते हैं। कि यह हमारे ही द्वारा किया हुआ,फेंका हुआ बीज लौट कर हमे मिल रहा है।। इसलिए अपने हर कर्म के लिए, हर वचन के लिए हर वक्त सावधान रहें, जागृत रहें, क्योकि आपका किया हुआ बोला हुआ आपको लौट कर वापस जरूर मिलेगा और आपको लगेगा कि आप निर्दोष हैं। गर्व है, मुझे अपनी संस्कृति पर, जो मुझे विचारों से आज़ाद और संस्कारों से बांधकर रखती है।।