“हर व्यक्ति और हर वस्तु में कुछ न कुछ अच्छाई मौजूद है.. .जब मधुमक्खी के लिए, इतना ही पर्याप्त है कि फूल में मिठास के तनिक से कण मौजूद हों, तो एक नन्हीं-सी विद्या और बुद्धि से हीन मक्खी इतना कर सकती है कि फूल में से अपने काम की जरा सी चीज को निकालने मात्र का ध्यान रखे और अपना छत्ता मीठे शहद से भर ले तो क्या हम ऐसा नहीं कर सकते कि लोगों के अंदर उपस्थित अच्छाइयों को ही तलाश करें ,भले ही वे थोड़ी-सी ही मात्रा में क्यों न हों…यदि हमारी दृष्टि ऐसी रहे तो हमें अपने चारों ओर सज्जन एवं स्नेही संसार ही नज़र आएगा….हमारा मन हर पल प्रसन्नता और संतोष से ही भरा रहेगा…आज कृपालु प्रभु से सर्वत्र शुभ प्राप्ति हेतु , दिव्य दृष्टि की कृपामयी प्रार्थना के साथ…”
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