गठिया और आर्थराइटिस,
आज की सबसे बड़ी समस्या
जब हड्डियों के जोड़ो में यूरिक एसिड जमा हो जाता है तो वह गठिया का रूप ले लेता है।
यूरिक एसिड कई तरह के आहारों को खाने से बनता है।
रोगी के एक या कई जोड़ों में दर्द, अकड़न या सूजन आ जाती है।
इस रोग में जोड़ों में गांठें बन जाती हैं और शूल चुभने जैसी पीड़ा होती है, इसलिए इस रोग को गठिया कहते हैं।
यह कई तरह का होती है,
जैसे एक्यूट, आस्टियो, रूमेटाइट, गाउट आदि।
गठिया के लक्षण
गठिया के किसी भी रूप में जोड़ों में सूजन दिखाई देने लगती है।
इस सूजन के चलते जोड़ों में दर्द, जकड़न और फुलाव होने लगता है।
रोग के बढ़ जाने पर तो चलने-फिरने या हिलने-डुलने में भी परेशानी होने लगती है।
इसका प्रभाव प्राय घुटनों, नितंबों, उंगलियों तथा मेरू की हड्डियों में होता है।
उसके बाद यह कलाइयों, कोहनियों, कंधों तथा टखनों के जोड़ भी दिखाई पड़ता है।
किसको होता है आर्थराइटिस?
गठिया महिलाओं से ज्यादा पुरुषों को होता है।
यह पुरुषों को 75 की उम्र के बाद होता है।
महिलाओं में यह मेनोपॉज के बाद होता है।
अगर आपके माता-पिता को यह बीमारी है तो आपको भी 20% चांस होगा कि यह बीमारी हो जाए।
आर्थराइटिस के जोखिम कारक
महिलाओं में एस्ट्रोजन की कमी के कारण, शरीर में आयरन व कैल्सियम की अधिकता, पोषण की कमी, मोटापा, ज्यादा शराब पीना, हाई ब्लड प्रेशर और किडनियों को ठीक प्रकार से काम ना करने की वजह से गठिया होता है।
किस तरह से दिखता है गठिया..?
- पैरों के अंगूठों में सूजन पैरों में गठिया का असर सबसे पहले देखने को मिलता है।
अंगूठे बुरी तरह से सूज जाते हैं और तब तक ठीक नहीं होते जब तक की उनका इलाज ना करवाया जाए। - उंगलियों का होता है यह हाल उंगलियों के जोड़ में यूरिक एसिड के क्रिस्टल जमा हो जाते हैं।
इससे उंगलियों के जोड़ो में बहुत दर्द होता है जिसके लिये डॉक्टर का उपचार लेना पड़ता है। - दर्द से भरी कुहनियां गठिया रोग कुहनियां तथा घुटनों में हो सकता है।
इसमें कुहनियां बहुत ही तकलीफ देह हो जाती हैं और सूजन से भर उठती हैं।
कैसा हो आहार?
संतुलित और सुपाच्य आहार लें।
चोकर युक्त आटे की रोटी तथा छिलके वाली मूंग की दाल खाएं।
हरी सब्जियों में सहिजन, ककड़ी, लौकी, तोरई, पत्ता गोभी, गाजर, आदि का सेवन करें।
दूध और उससे बने पदार्थों का सेवन करें।
दवाइयों से ठीक करें गठिया
अगर दर्द ज्यादा बढ़ गया हो
तो डॉक्टर को दिखा कर दवाइयां खाएं।
यह सूजन और दर्द को कम करती हैं तथा खून में यूरिक एसिड की मात्रा को कम करके जोड़ो में इसे जमा होने से बचाती हैं।
इससे बचना बहुत जरूरी है इसलिये सावधानी बरतें और अगर हो गया हो तो इसका प्राकृतिक उपचार करें ।