गले में खराश है, तो आजमाएं यह 5 उपाय
🍎पहला सुख निरोगी काया
👉🏿1. गले को आराम देने का सबसे सही समय होता है रात का वक्त। रात को सोते समय दूध में आधी मात्रा में पानी मिलाकर पिएं। इससे गले की खराब कम होगी। साथ ही गर्म हल्दी वाला दूध भी बहुत फायदेमंद होगा।
👉🏿2. एक कप पानी में 4 से 5 कालीमिर्च एवं तुलसी की 5 पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पिएं। यह रात को सोते समय पीने पर लाभ होगा। इसके अलावा भोजन में आप साधारण चीजें ही खाएं तो बेहतर होगा।
👉🏿3. गले में खराश होने पर गुनगुना पानी पिएं। गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से गले की खराश दूर होगी और गले का संक्रमण भी ठीक हो जाएगा। इसके अलावा गुनगुने पानी में नमक डालकर गरारे करना एक अच्छा इलाज है।
👉🏿4.पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बांधे और 15 से 20 मिनट तक इसे बांधे रखने के बाद खोल लें। इसके अलावा धनिया के दानों को पीसकर उसका पाउडर बनाएं और उसमें गुलाब जल मिलाकर गले पर लगाएं। इससे भी आराम होगा।
👉🏿5. गले की खराश के लिए काली मिर्च को पीसकर घी या बताशे के साथ चाटने से भी लाभ होता है। साथ ही काली मिर्च को 2 बादाम के साथ पीसकर सेवन करने से गले के रोग दूर हो सकते हैं।
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: 👉🏻🌸गले में दर्द
1. 250 मिलीलीटर पालक के पत्ते लेकर 2 गिलास पानी में डालकर उबाल लें और जब उबलने के बाद पानी आधा बाकी रह जाये तो उसे छान लें। इसके गर्म-गर्म पानी से गरारे करने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।
2. एक गिलास पानी में एक नींबू को निचोड़कर उससे कुल्ला और गरारे करने से आराम आता है या गर्म पानी में नींबू निचोड़कर पीने से भी आराम आता है।
3. एक छोटे चम्मच नींबू के रस में एक बड़ा चम्मच शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार थोड़ा-थोड़ा खाने से गले का दर्द ठीक हो जाता है।
4. निर्गुण्डी के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से लाभ होता है।
5. 2 चम्मच नीम की पत्तियों के रस को एक गिलास गर्म पानी में, आधा चम्मच शहद को मिलाकर रोजाना गरारे करने से गले में जमा हुआ कफ दूर होता है।
6. पानी में नमक ( सेंधा नमक) को मिलाकर गरारे करने से टॉन्सिल, गले में दर्द, सूजन, दांत के दर्द आदि रोगों में आराम मिलता है।🍂🍃
: 🌹मुँह से लार निकलना :-🌹
🌹 कफ की अधिकता एवं पेट में कीड़े होने की वजह से मुँह से लार निकलती है। इसलिए दूध, दही, मीठी चीजें, केले, चीकू, आइसक्रीम, चॉकलेट आदि न खिलायें। अदरक एवं तुलसी का रस पिलायें। कुबेराक्ष चूर्ण या ‘संतकृपा चूर्ण’ खिलायें।
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🌹गर्मियों में विशेष लाभदायीः सत्तू🌹
🌹ग्रीष्म ऋतु में जौ-मिश्रित चने का सत्तू अत्यंत लाभदायी होता है । यह बल-वीर्यवर्धक, वजन बढ़ाने में सहायक, रुचिकर, तृप्तिकारक, श्रमनाशक, प्यास व कफ-पित्त शामक, घाव एवं आँखों के रोगों में लाभदायी है । यह धूप, जलन, चलने की थकावट एवं व्यायाम करनेवालों के लिए हितकर है ।
🔹बनाने व सेवन की विधि : चने को भून के छिलके अलग कर लें । इनमें चने की अपेक्षा एक चौथाई भुने जौ मिलाकर पीस के सत्तू तैयार करें । सत्तू में शीतल जल, मिश्री तथा सम्भव हो तो घी मिलाकर, न अधिक गाढ़ा न अधिक पतला घोल बना के पीना चाहिए ।
🔸सावधानी : भोजन के बाद, बिना मिश्री-जल मिलाये, रात्रि में, अधिक मात्रा में, गर्म करके, एक बार सत्तू खा के फिर से थोड़ी देर में दोबारा सत्तू का सेवन नहीं करना चाहिए ।
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🌹ककड़ी एवं खीरे के कुछ खास प्रयोग🌹
🌹गर्मी के कारण सिरदर्द, अस्वस्थता, पेशाब में जलन हो रही हो तो आप 1 कप ककड़ी के रस में 1 चम्मच नींबू रस तथा 1 चम्मच मिश्री डालकर लेने से पेशाब खुल के आता है और उपरोक्त लक्षणों से राहत मिलती है।
🌹चेहरे के कील-मुँहासे मिटाने के लिए ककड़ी या खीरे के पतले टुकड़े चेहरे पर लगायें। आधा घंटे बाद चेहरा धो दें।
🌹तलवों व आँखों की जलन में ककड़ी, ताजा नारियल व मिश्री खाना उत्तम लाभ देता है।
🔹सावधानीः खीरा या ककड़ी ताजी ही खानी चाहिए। सर्दी, जुकाम, दमा में इनका सेवन नहीं करना चाहिए। इन्हें रात को नहीं खाना चाहिए। खीरा या ककड़ी भोजन के साथ खाने की अपेक्षा स्वतंत्र रूप से खाना अधिक हितकर है।