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. ” घंटा ” .

. “स्टॅटिक डिस्चार्ज यंत्र” .

किसी भी मंदिर में प्रवेश करते समय आरम्भ में ही एक बड़ा घंटा बंधा होता है।
मंदिर में प्रवेश करने वाला प्रत्येक भक्त पहले घंटानाद करता है और मंदिर में प्रवेश करता है।

क्या कारण है इसके पीछे?

इसका
एक वैज्ञानिक कारण है..

जब हम बृहद घंटे के नीचे खड़े होकर सर ऊँचा करके हाथ उठाकर घंटा बजाते हैं,
तब प्रचंड घंटानाद होता है।

यह ध्वनि 330 मीटर प्रति सेकंड के वेग से अपने उद्गम स्थान से दूर जाती है,

ध्वनि की यही शक्ति कंपन के माध्यम से प्रवास करती है।
आप उस वक्त घंटे के नीचे खडे़ होते हैं।

अतः ध्वनि का नाद आपके
सहस्रारचक्र
(ब्रम्हरंध्र,सिर के ठीक ऊपर) में प्रवेश कर शरीरमार्ग से
भूमि में प्रवेश करता है।

यह ध्वनि प्रवास करते समय आपके मन में (मस्तिष्क में) चलने वाले असंख्य विचार, चिंता, तनाव, उदासी, मनोविकार..
इन समस्त नकारात्मक विचारों को अपने साथ ले जाती हैं,
और
आप निर्विकार अवस्था में परमेश्वर के सामने जाते हैं।
तब
आपके भाव शुद्धतापूर्वक परमेश्वर को समर्पित होते हैं।
व घंटे के नाद की तरंगों के अत्यंत तीव्र के आघात से आस-पास के वातावरण के व हमारे शरीर के सूक्ष्म कीटाणुओं का नाश होता है, जिससे वातावरण मे शुद्धता रहती है,
हमें स्वास्थ्य लाभ होता है।

इसीलिए मंदिर मे प्रवेश करते समय घंटानाद अवश्य करें,
और
थोड़ा समय घंटे के नीचे
खडे़ रह कर घंटानाद का आनंद अवश्य लें।
आप चिंतामुक्त व शुचिर्भूत बनेगें।

आप का मस्तिष्क ईश्वर की दिव्य ऊर्जा ग्रहण करने हेतु तैयार होगा।
ईश्वर की दिव्य ऊर्जा व मंदिर
गर्भ की
दिव्य ऊर्जाशक्ति आपका मस्तिष्क ग्रहण करेगा।

आप प्रसन्न होंगे और शांति मिलेगी,

आत्म जागरण,आत्म ज्ञान
और
दिव्यजीवन के परम आनंद की अनुभूति के लिये घंटानाद अवश्यमेव करें..!

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