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अक्सर लोगो को बोलते हुए सुना है की हमारा तो भाग्य ही ख़राब है …हमारे भाग्य मैं सुख नहीं है …हम तो भाग्य ही अच्छा नहीं लिखाकर लाये है …आदि !
आइये जानते है लग्न कुंडली मैं क्या होता है भाग्य और भाग्येश और कितना महत्व रखता है ये आपकी कुंडली मैं !
किसी भी व्यक्ति के लिए उसका भाग्य बली होना बहुत ज़रूरी है तभी वो जीवन में ऊंचाईयों को छू पाने में सफल रहता है!जब भाग्य ही निर्बल होगा तो लाख कोशिशों के बावजूद भी उसे संतोषजनक परिणाम नहीं मिलेंगे ..
लग्न कुंडली का नवम भाव भाग्य स्थान होता है ..और इस भाव मैं जो राशि होती है उस राशि का प्रतिनिधितत्व करने वाले गृह को भाग्येश कहा जाता है !
अगर भाग्येश या भाग्य भाव अशुभ ग्रहों से पीड़ित हो या निर्बल या अशुभ भाव मैं इस्थित हो तो उस जातक का जीवन बहुत कठिनाइयों से व्यतीत होता है …क्यूकि उसका भाग्येश या भाग्य भाव पीड़ित है या निर्बल है वो गृह 100% फल देने मैं असमर्थ है …तो किसी भी कार्य मैं आपका भाग्य उतना ही साथ देगा जितना बल वो आपकी कुंडली मैं लेकर बैठा है …
अब आपको करना क्या है ??
सबसे पहले ये पता करिये की आपकी कुंडली के नवम भाव मैं कोनसी राशि है …उस राशि का प्रतिनिधितत्व करने वाले गृह आपका भाग्येश है !
आपको आपके भाग्येश को बल देना है !
उपाय :-
१. अगर आपका भाग्येश कुंडली मैं शुभ भाव मैं स्थित है तो आप उसका रत्न पहन लीजिये !
२. अगर भाग्येश अशुभ भाव मैं या नीच राशि मैं स्थित है तो आपको उसका रत्न नहीं पहनना है क्यूकि रत्न पहनने से उस अशुभ भाव को भी बल मिलजायेगा और फिर उससे सम्बंधित अशुभ परिणाम आपको मिलने लगेंगे !
३.आप भाग्येश से सम्बंधित गृह के मंत्र का जप भी कर सकते है !
४. भाग्येश से सम्बंधित दान जीवन मैं मत करियेगा …भाग्येश का दान करना मतलब अपने भाग्य को दान करना !
५. भाग्येश गृह से सम्बंधित देवी देवताओं की उपासना कीजिये !
अगर आपने अपने भाग्येश को मजबूत करलिया तो मैं दावे के साथ कहता हु की आपको कभी भी आपने जीवन मैं यह नहीं कहना पड़ेगा की मेरा तो भाग्य ही ख़राब है ….साथ नहीं देता ..आदि
जीवन के हर कार्य मैं आपको सफलता मिलेगी

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