रुद्राक्ष की महिमा एवं महत्व !!
1) प्रायः पानी में डूबने वाला रूद्राक्ष
असली और जो पानी पर तैर जाए उसे
नकली माना जाता है।
लेकिन यह सच नहीं है।
पका हुआ रूद्राक्ष पानी में डूब जाता है जबकि
कच्चा रूद्राक्ष पानी पर तैर जाता है।
इसलिए इस प्रक्रिया से रूद्राक्ष के पके या कच्चे होने
का पता तो लग सकता है,
असली या नकली होने का नहीं।
2) प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं।
वस्तुतः में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है।
बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने
के बाद पीले रंग से रंगा जाता है।
रंग कम होने से कभी-कभी हल्का रह जाता है।
काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं,
ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से
होता है।
3) कुछ रूद्राक्षों में प्राकृतिक रूप से छेदहोता है ऐसे रूद्राक्ष बहुत शुभ माने जाते हैं।
जबकि ज्यादातर रूद्राक्षों में छेद करना पड़ता है।
4) दो अंगूठों या दो तांबे के सिक्कों के बीच घूमने
वाला रूद्राक्ष असली है यह भी एक भ्रांति ही है।
इस तरह रखी गई वस्तु किसी दिशा में तो घूमेगी ही।
यह उस पर दिए जाने दबाव पर निर्भर करता है।
5) रूद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें।
अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो
नकली होगा।
6) नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप
हों तो वह नकली रूद्राक्ष है।
असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप
नहीं होगी।
जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों क ेउपरी पठार समान नहीं होते।
हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं।
7) कुछ रूद्राक्षों पर शिवलिंग,त्रिशूल या सांप आदी
बने होते हैं।
यह प्राकृतिक रूप से नहीं बने होते बल्कि कुशल कारीगरी का नमूना होते हैं।
रूद्राक्ष को पीसकर उसके बुरादे से यह आकृतियां
बनाई जाती हैं।
इनकी पहचान का तरीका आगे लिखूंगा।
8) कभी-कभी दो या तीन रूद्राक्ष प्राकृतिक रूप से जुड़े होते हैं।
इन्हें गौरी शंकर या गौरी पाठ रूद्राक्ष कहते हैं।
इनका मूल्य काफी अधिक होता है इस कारण इनके
नकली होने की संभावना भी उतनी ही बढ़ जाती है। कुशल कारीगर दो या अधिक रूद्राक्षों को मसाले से चिपकाकर इन्हें बना देते हैं।
9) प्रायः पांच मुखी रूद्राक्ष के चार मुंहों को मसाला से बंद कर एक मुखी कह कर बेचा जाता है जिससे
इनकी कीमत बहुत बढ़ जाती है।
ध्यान से देखने पर मसाला भरा हुआ दिखायी दे
जाता है।
10) कभी-कभी पांच मुखी रूद्राक्ष को कुशल कारीगर और धारियां बना अधिक मुख का बना देते हैं।
जिससे इनका मूल्य बढ़ जाता है।
प्राकृतिक तौर पर बनी धारियों या मुख के पास के
पठार उभरे हुए होते हैं जबकी मानव निर्मित पठार सपाट होते हैं।
ध्यान से देखने पर इस बात का पता चल जाता है।
इसी के साथ मानव निर्मित मुख एकदम सीधे
होते हैं जबकि प्राकृतिक रूप से बने मुख पूरी तरह
से सीधे नहीं होते।
11) प्रायः बेर की गुठली पर रंग चढ़ाकर उन्हें असली रूद्राक्ष कहकर बेच दिया जाता है।
रूद्राक्ष की मालाओं में अधिकांशतः बेर की गुठली का ही उपयोग किया जाता है।
12) रूद्राक्ष की पहचान का तरीका- एक कटोरे में
पानी उबालें।
इस उबलते पानी में एक-दो मिनट के लिए रूद्राक्ष
डाल दें।
कटोरे को चूल्हे से उतारकर ढक दें।
दो चार मिनट बाद ढक्कन हटा कर रूद्राक्ष निकालकर ध्यान से देखें।
यदि रूद्राक्ष में जोड़ लगाया होगा तो वह फट जाएगा।
दो रूद्राक्षों को चिपकाकर गौरीशंकर रूद्राक्ष
बनाया होगा या शिवलिंग,सांप आदी चिपकाए होंगे तो वह अलग हो जाएंगे।
जिन रूद्राक्षों में सोल्यूशन भरकर उनके मुखबंद करे होंगे तो उनके मुंह खुल जाएंगे।
यदि रूद्राक्ष प्राकृतिक तौर पर फटा होगा तो थोड़ा
और फट जाएगा।
बेर की गुठली होगी तो नर्म पड़ जाएगी,जबकि असली रूद्राक्ष में अधिक अंतर नहीं पड़ेगा।
यदि रूद्राक्ष पर से रंग उतारना हो तो उसे नमक मिले
पानी में डालकर गर्म करें उसका रंग हल्का पड़ जाएगा।
वैसे रंग करने से रूद्राक्ष को नुकसान नहीं होता है।
जयति पुण्य सनातन संस्कृति★
जयति पुण्य भूमि भारत★
सदा सुमंगल★
ॐ नमः शिवाय★
कष्ट हरो,काल हरो★
दुःख हरो,दारिद्रय हरो★
हर हर महादेव !!!!!
[: व्यापार को बढ़ाना चाहते हैं, तो जल्दी ही धारण करें ग्यारह मुखी रुद्राक्ष …
हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए धारण किया जाता है, ग्यारह मुखी रुद्राक्ष। भगवान शिव का रुद्र रूप है ग्यारह मुखी रुद्राक्ष।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने वाले व्यक्ति को राजनीति, कूटनीति और हर क्षेत्र में विजय हासिल होती है। इस रुद्राक्ष के प्रभाव से आय के स्रोत खुलते है और व्यापार, कारोबार में वृद्धि होती है।
सेहत से सम्बंधित दिक्कते कम होती है। यदि दाम्पत्य जीवन में जीवनसाथी के साथ किसी प्रकार की शारीरिक समस्या उत्पन्न हो रही है, तो उससे मुक्ति मिलती है।
व्यापारियों के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष अति उत्तम फल प्रदान करने वाला माना गया है। धन-संपत्ति, भाग्योदय के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए। अभिमंत्रित 11 मुखी रुद्राक्ष प्राप्त करें
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष और ज्योतिष ..
यदि कुंडली में मंगल कमजोर हो अथवा अस्त हो तो ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करना लाभदायक होता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्यारह मुखी रुद्राक्ष का स्वामी मंगल है। इसी कारण ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करनेवाले व्यक्ति के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। सभी क्षेत्र में विजय होती है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष एक सफल एवं उत्तम रुद्राक्ष माना गया है, इसलिए हनुमान जी की उपासना करने वाले कारोबारियों को इस रुद्राक्ष को अवश्य धारण करना चाहिए।
मेष और वृश्चिक राशि के लोगों के लिए यह रुद्राक्ष बहुत ही लाभकारी है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के नियम तथा विधि
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करनेवाला व्यक्ति सदाचार का पालन करनेवाला होना चाहिए।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति की भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था होनी चाहिए।
मांस-मदीरा या अन्य नशे की वस्तुओं से दूर रहना चाहिए।
रविवार, सोमवार अथवा शिवरात्रि के दिन रुद्राक्ष को धारण करना शुभ होता है।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करें।
प्रातःकाल में सूर्य को ताम्बे के लोटे से जल चढ़ाएँ।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को जागृत करने के लिए“ॐ ह्रीं हूँ नमः” मंत्र का उच्चारण 108 बार करें।
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के लाभव्यापार का विस्तार
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष व्यापारियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है, जो लोग अपने व्यापार को देश-विदेश में फैलाना चाहते है, अपना नाम और काम प्रसिद्ध करना चाहते है,
उनके लिए ही यह हनुमान जी का आशीर्वाद भरा ग्यारह मुखी रुद्राक्ष बना है। इसके प्रभाव से रातों रात नाम, शोहरत मिलती है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से इसे धारण करने के पश्चात समाज में मान-सम्मान के साथ पद- प्रतिष्ठा मिलती है।
बौद्धिक विकास के लिए …
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने के बाद धारण करने वाले व्यक्ति का बौद्धिक विकास होता है। मानसिक शांति मिलती है और किसी भी क्षेत्र में निराशा हाथ नहीं लगती।
इस रुद्राक्ष के प्रभाव से व्यापार सम्बन्धी नई नई भावनाएं तथा आईडिया मस्तिष्क में आने लगती है, ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने के बाद व्यक्ति में सकारात्मक बदलाव आने लगते है। अभिमंत्रित 11 मुखी रुद्राक्ष प्राप्त करें
मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव दूर होते है …
भारतीय वैदिक ज्योतिष के अनुसार मंगल ग्रह बहुत ही प्रभावशाली और ऊर्जा प्रदान करनेवाला ग्रह है। सौरमंडल में स्थित नौ ग्रहों में मंगल ग्रह सबसे आक्रामक ग्रह है।
ज्योतिषविद मानते है की मंगल ग्रह की पीड़ा को शांत करने के लिए ग्यारह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए।
कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ भाव में बैठे है, ऐसी स्थिति के कारण मन में उदासी, क्रोध, चिडचिडापन उत्पन्न हो रहा है तो ग्यारह मुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए उसके बाद स्थिति में एक महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिलता है।
अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल अशुभ घर में है या मंगल ग्रह की दशा या अन्तर्दशा चल रही है तो ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को पहनना उचित होता है।
शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय बदलाव …
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष के प्रभाव से शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय बदलाव आते है, मनवांछित सफलता मिलती है, आत्मविश्वास में वृद्धि होती है तथा विचारों में सकारात्मकता आती है।
मनोबल में वृद्धि होती है, इच्छाशक्ति को पुनर्जीवित करने में ग्यारह मुखी रुद्राक्ष बहुत ही मदद करता है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति के जीवन में भी शिक्षा प्राप्ति के सभी रास्ते खुल जाते हैं।
यह रुद्राक्ष अपने आप ही जातक का मार्ग प्रशस्त करता है, हमें मार्गदर्शन करता है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष करियर तथा शिक्षा में सफलता दिलाने में सहायक होता है।
धन का आगमन होता है …
ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को जीवन में कभी भी धन की कमी महसूस नहीं होती है। अचानक धन प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त होने लगते है।
रुका हुआ धन या कर्ज जैसी स्थिति से छुटकारा मिलता है इसलिए बिना संकोच किये शीघ्र ही ग्यारह मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए
जो लोग धन की कमी का सामना करते है या भारी कर्ज में है, उन्हें मूंगा धारण करने के बाद वे कर्ज चुकता करने में मदद मिलती है।
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