जो भी दुःख आया है, वह किसी–न–किसी कर्म का फल है। कर्मफल भोगनेसे आपका नुकसान नहीं होगा, प्रत्युत आपके पाप कटेंगे, आप शुद्ध हो जायेंगे । मन के अनुकूल परिस्थिति आनेसे तो नुकसान हो सकता है, पर मन के विरुद्ध होने से नुकसान नहीं हो सकता । आपकी स्वार्थबुद्धि होने से नुकसान दिखता है, वास्तवमें होता नहीं। जितना मन के विरुद्ध होगा, उतने ही पाप कटेंगे और हम शुद्ध होंगे। इसलिए दुःखी मत होओ। जो परिस्थिति आये, हरदम प्रसन्न रहो—‘जाहि विधि राखे राम ताहि विधि रहिये’।
!! Զเधे – Զเधे !! 🙏