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क्रोध आने के क्या- क्या कारण है और इसको दूर करने के निवारण क्या है❓❓


➤ क्रोध अंग्रेजी का एक शब्द हैं- Anger। ANGER कब DANGER में बदल जाता हैं, पता ही नहीं चलता। क्रोध का दौरा जब पड़ता है, व्यक्ति के मुख कि आकृति इतनी भयंकर हो जाती है कि उसके मित्र तक सहम जाते है। लाल आँखें, टेढी भुकुटी, फूले हुए नथुने, काँपते होंठ, भिंचे दाँत, मुँह से उगलते अंगार- क्रोधी व्यक्ति को देखते ही लगता हैं, मानो किसी ज्वालामुखी का दर्शन हो रहा हो।

➤  क्रोध क्या हैं ? क्रोध भयावह हैं, क्रोध भयंकर हैं, क्रोध बहरा हैं, क्रोध गूंगा हैं, क्रोध विकलांग है।क्रोध की फ़ुफ़कार अहं पर चोट लगने से उठती है।क्रोध करना पागलपन हैं, जिससे सत्संकल्पो का विनाश होता है। क्रोध में विवेक नष्ट हो जाता है।

➤  कहावत है कि जिस घर में क्रोध होता है उस घर में पानी के घड़े भी सूख जाते हैं।परंतु वास्तव में पानी तो क्या, क्रोधी मनुष्य का खून भी सूख जाता है।अतः मनुष्य को क्रोध नही करना चाहिए बल्कि क्रोध का निरोध करना चाहिये।

➤  क्रोध मनुष्य को अनेक रूपों में सताता है। द्वेष, ईर्ष्या, बदले की भावना, रुष्ट होना, हिंसा, वैर, विरोध की भावना ये सभी क्रोध के ही भिन्न भिन्न रूप हैं। देखा गया है कि प्रायः मतभेद से तंग आकर भी मनुष्य को क्रोध आ जाता है जब दूसरे मनुष्य किसी के विचारो से सहमत नही होते तो उन्हें क्रोध का बुखार चढ़ने लगता है।

➤  सच में, क्रोध एक तूफान हैं।कहते हैं किसी को बिना किसी हथियार के समाप्त करना हो, तो उसे क्रोध करना सिखा दो। वह इस प्रकार ख़त्म होगा जैसे स्लो पाइजन लेने वाला धीरे-धीरे रोज मरता हैं। विशेषज्ञों के अनुसार क्रोध के दौरे से मस्तिष्क की शक्ति का हास हो जाता है।

➤  एक बार क्रोध करने से हम 6 घंटे कार्य करने की क्षमता को खो देते हैं। यहाँ तक की अनेकानेक भयंकर बीमारियो की चपेट में भी आ सकते हैं। क्रोध के कारण नस-नाडियो में विष की लहर सी दौड़ जाती हैं।एक नहीं ऐसी अनेको घटनाएँ दर्ज़ हैं।जहाँ एक माँ ने क्रोधावेश में जब शिशु को अपना दूध पिलाया तो शिशु की मृत्यु हो गई।क्योंकि वह दूध क्रोध के कारण जहरीला हो गया था। मोटे तौर पर कहे तो, १० मिनट गुस्सा करके आप न केवल अपनी ६०० सेकन्ड की खुशियाँ खो बैठते है।

क्रोध
इंसानी फितरत का
वो हिस्सा है जो
   ” बुद्धि
के चिराग को
बुझा देता है

➤ अब आप स्वंय ही आकलन कर देखे- क्या सामने वाले ने आपको इतनी हानि पहुँचाई थी जितनी आपने उस पर क्रोध करके स्वंय को पहुँचा डाली ?

➤ 👳 इसलिए याज्ञवल्क्य जी ने उपनिषद में कहा-
यदि तू हानि करने वाले पर क्रोध करता है , तो क्रोध पर ही क्रोध क्यों नहीं करता, जो सबसे अधिक हानि करने वाला है
क्रोध पर क्रोध करने का अर्थ हैं उसे शांत कर देना।

➤ 📕गीता में भी कहा गया कि काम क्रोध और लोभ यह तीनों नर्क के द्वार है।कामनाओ की पूर्ति न होने से क्रोध की उत्पत्ति होती है और क्रोध से बुद्धि का विवेक नष्ट हो जाता है और फिर वह अच्छे और बुरे के फर्क को नहीं समझ पाता और अपने विनाश की और अग्रसर हो जाता है।

श्रीमद्गभगवद् गीता में कहा है कि क्रोध इंसान के विवेक को वैसे ही ढक देता है जैसे धूल दर्पण को ढक देती है

❓❓ क्रोध आने के कारण:-

इच्छा के विपरित कार्य होना :-
     हमारे अंदर 30 से 40% क्रोध इसलिए होता है कि लोग हमारी इच्छा के विपरित कार्य करते हैं।

अहम् के कारण :-
      एक अपने अहंकार के वशीभूत होकर व्यक्ति चाहता है कि सभी उसके नियंत्रण में रहे जब ऐसी परिस्थिति नहीं बनती हैं तब उसे क्रोध आता  है l दूसरा कुछ लोगो का व्यक्तित्व ऐसा होता है कि जैसा मैं कहूँ वैसा सब करें l ऐसे लोगो को बहुत गुस्सा आता है।

स्वभाव के वशीभूत :-
      एक कुछ लोग झूठ को सहन नहीं कर पाते हैं और गुस्सा कर बैठते हैं l उस समय यह सोचना चाहिये कि हमारे गुस्सा करने से कोई झूठ बोलना छोड़ देगा क्या? दूसरा अन्याय को सहन नहीं कर सकते है। यहाँ भी यह सोचना पड़ता है कि क्या गुस्सा करने से न्याय मिल जाता हैं।

➤  क्रोध का एक कारण यह भी है कि मनुष्य दूसरों की कमजोरी और भूल को देख कर उसे बर्दाश्त नही करता। परंतु वास्तव में दूसरों की कमजोरियो और गलतियों को देखकर क्रोध नही करना चाहिये बल्कि अपने क्रोध के संस्कार को देखकर अपनी कमजोरी और त्रुटि की ओर ध्यान देना चाहिए। कई बार हम सही हों लेकिन कोई हमें गलत ठहराए, तब क्रोध हो जाता है।

➤  जब अपमान होता है तब क्रोध आता है, जब नुकसान हो जाता है, तब क्रोध आता है।

➤  क्रोध आने का कारण होता है जब हमारे अनुकूल परिस्थितिया नही होती जैसा हम चाहते है या क्रोध हम उनके ऊपर करते है जिन्हें हम कमजोर समझते है जिन्हें हम अपने से शक्तिशाली समझते है उन पर हम क्रोध नही करते।

➤  नौकर से चाय के कप टूट जाएँ, तब क्रोध हो जाता है, लेकिन जमाई के हाथों टूटे तब? वहाँ क्रोध कैसा कंट्रोल में रहता है अर्थात बिलीफ पर ही आधारित है न ?

✱ ✱ क्रोध का परिणाम ✱ ✱

हजारों घर उजड़ते है, लाखों लोग जेल की रोटियाँ खाते है, अनेक दिलो में दरारें पड़ जाती है।

➤ ➤ क्रोध के बारे में मान्यताये

✱ “क्रोध से मूढ़ता उत्पन्न होती है, मूढ़ता से स्मृति भ्रांत हो जाती है, स्मृति भ्रांत हो जाने से बुद्धि का नाश हो जाता है और बुद्धि नष्ट होने पर प्राणी स्वयं नष्ट हो जाता है।” ~ श्रीमद्भगवद् गीता

✱  “क्रोध करने का मतलब है, दूसरों की गलतियों कि सजा स्वयं को देना। जब क्रोध आए तो उसके परिणाम पर विचार करो।” ~ कन्फ्यूशियस

✱  जब मन की पीड़ा को स्पष्ट रूप में नहीं कह सकता, उसी को क्रोध अधिक आता है।” ~ रवीन्द्रनाथ ठाकुर

✱  “ईर्ष्या और क्रोध से जीवन क्षय होता है।” ~ बाइबिल

✱  “क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है।” ~ महात्मा गांधी

✱  “मूर्ख मनुष्य क्रोध को जोर-शोर से प्रकट करता है, किंतु बुद्धिमान शांति से उसे वश में करता है।” ~ बाइबिल

✱  “क्रोध मूर्खता से प्रारम्भ और पश्चाताप पर खत्म होता है।” ~ पाईथागोरस

✱  “सुबह से शाम तक काम करके आदमी उतना नहीं थकता जितना क्रोध या चिंता से पल भर में थक जाता है।”~ जेम्स एलन

✱  “क्रोध मूर्खों के ह्रदय में ही बसता है।”~ अल्बर्ट आइंस्टीन

✱  “क्रोध वह तेज़ाब है जो किसी भी चीज पर डाले जाने से ज्यादा उस पात्र को अधिक हानि पहुंचा सकता है जिसमें वह रखा हुआ है।” ~ मार्क ट्वेन

➤ ➤  क्रोध को शांत करने के कुछ महत्वपूर्ण सूत्र:-

✱ 1. बातों को सहज रूप में लेना सीखे:
      कई बार हम छोटी-छोटी बातों को स्वयं पर हावी होने देते हैं। जरा-सी बात पर ही क्रोधित हो उठते हैं। जैसे यदि स्नान करने गए और गीजर में गर्म पानी नहीं मिला, कपडे वक्त पर प्रेस नहीं हुए, खाने में स्वादनुसार मसाले नहीं मिले- बस, आ गया गुस्सा! चढ़ गई भोहे ! कह डाले दो-चार अपशब्द।पर यहीं अगर हमने थोडा विवेक, थोडा धैर्य और थोड़ी-सी ऐड़ज़स्मेंट से काम लिया होता, तो दृश्य बदल सकता था।

✱ 2. स्वाध्याय करे:
        जब भी आपको क्रोध आये तो एकांत में बैठकर चिंतन करो। विचार करो कि आपको क्रोध क्यों आया?? उन परिस्थितियों को पुनः याद करो।आपको अवश्य ही अपने किये पर पश्चाताप होगा कि व्यर्थ ही में अपना आपे से बाहर हो गया। जब हम एक-दो बार स्वाध्याय कर पश्चाताप करेंगे, तो पुनः वैसी परिस्थिति आने पर तुरंत सावधान हो जाएँगे। क्रोधावेग में नहीं बहेंगे।

✱ 3. प्रतिक्रिया में विलम्ब करे:
        क्रोध को समाप्त, कम या नियंत्रित करने का एक अच्छा उपाय यह भी है कि प्रतिक्रिया के बीच के समय को जितना हो सके टाले।यदि ऐसा संभव नहीं तो विषय को बदलने की कोशिश करें परन्तु उसी समय प्रतिक्रिया करने कि भूल न करे।सेनेका के अनुसार- ‘ क्रोध की सर्वोत्तम औषधि है विलम्ब
         क्रोध आता है तो 1 ग्लास पानी पी ले या अंदर (मन में)25 बारी ॐ शांति, ॐ शान्ति बोलते रहे या 1 मिनट के लिये अपने ईस्ट देव को याद कर लें।तो क्रोध तुरन्त ही शांत हो जाता है और परमानेंट क्रोध हमसे निकल जाये उसके लिये हम मैडिटेशन का उपयोग करें।

✱ 4. सात्विक भोजन करे:
       इस सन्दर्भ में हुए अनुसंधानो द्वारा अब यह स्पष्ट हो गया है कि सात्विक भोजन करने वालो कि तुलना में तामसिक भोजन करने वालो को अधिक गुस्सा आता है। तामसिक भोजन करने वाले ‘short tempered’ होते है। तभी भारतीय चिंतको ने कहा- ‘ जैसा खाए अन्न, वैसा होवे मन

✱  देवताओं की हर इंद्रिय के साथ कमल शब्द का प्रयोग होता है जैसे – कमल-हस्त, कमल-नयन, चरण- कमल।तो क्या हमें कमल की जगह कांटे जैसा स्वभाव वाला बनना उचित है? क्रोध तो आसुरी लक्षण है अतः यदि हम क्रोध करते रहेंगे तो देवता कैसे बनेंगे??

➤ ➤ क्रोध-नियंत्रण के लिए कुछ अन्य सुझाव

✱ यदि आत्मा को याद रहे कि मैं आत्मा शांत स्वरुप हूँ….शांति के सागर परमपिता परमात्मा की संतान हूँ तो क्रोध नही आयेगा।

✱ बहुत से मानव कहते है कि क्रोध के बिना काम नही होता है लेकिन यह सही नही है। प्यार और स्नेह से तो और भी अच्छी रीति होता है।इंसान यदि अभिमान छोड़ दे तो उसके कार्य भी हो जायेगे और क्रोध से भी बच जायेंगे।

✱ दृढ़ प्रतिज्ञा कर ले कि मुझे किसी भी परिस्थिति में गुस्सा नही करना है यदि आये तो थोडा-सा धैर्य धारण करे।जिससे गुस्सा खिसक जायेगा, क्रोध का तापमान कम हो जयेगा।

✱ गहरी गहरी साँसे लीजिये 8-10 बार।

✱ राम-बाण औषधि- क्रोध को पूरी तरह नियंत्रित करने कि अचूक औषधि है, ब्रह्मज्ञान। ब्रह्मज्ञान अर्थात ईश्वरीय ज्ञान

✱ क्रोध को अगर निवारण करना है तो हमेशा पवित्रता के ऊपर अटेंशन रखना होगा। हमेशा चेक करना है कोई भी इम्पयोर थॉट तो नही चलता है मन में ? किसी के बारे में नेगेटिव सोचना, झूठ बोलना, दूसरों की उन्नति देखकर मन में हिंसा पैदा करना, दूसरों को आगे बढ़ने नही देना, परचिन्तन, परदर्शन यह सभी इम्पओर थॉट है इसलिए क्रोध जल्दी आ जाता है।अगर इस पर हम जीत पा सकते है तो क्रोध ऑटोमेटिकली चला जायेगा।

✱ पक्का कर दे कि मैं सहनशीलता की देवी या देवता हूँ।

गुणों को देखना:
       संसार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जिसमें एक भी गुण न हो।अत: किसी की कमजोरियों के बारे में सोच-सोच कर बैचेन व क्रुद्ध होने के बजाए उसकी विशेषताओं के बारे सकारात्मक सोचकर हल्के हो जाइये।

निन्दा कसौटी हैं:
       यह सदैव हमारी शुद्धता की जाँच करती है कि हम आंतरिक दिव्यताओं पर कितने खरे उतरते हैं l अत: निंदक को अपना मित्र समझे l उस पर गुस्सा ना करे।

योग :
         आत्मा के मूल गुणों को, परमात्मा से आत्मिक स्थिति में रहकर योग करने से इमर्ज कर सकते हैं l यह अंतर्मन की यात्रा है इससे जीवन का पूरा आनंद व आंतरिक शांति का अनुभव कर सकते हैं l क्रोध से शीघ्र छुटकारा मिल जाता है।

स्वमान –  
           मैं शांति का पुंज हूँ l इसका दिनभर अभ्यास करने से क्रोध पर आसानी से विजय प्राप्त की जा सकती है।

✱ मुख से क्रोध वश कटु वाणी बोलकर आप अपने मुख को विषैला न करे। ये मुख अच्छे वाक्य व आपका हाथ दूसरो को मारने के लिए नही उन्हें दुवायें व आर्शीवाद देने के लिए है।
        अब एकता और शांति लाने के लिए या क्रोध का ताप उतारने के लिए मनुष्य को बीज रूप परमात्मा और सतयुगी देवताओं की स्मृति में रहना चाहिए।


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