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शनिदेव के जीवन पर प्रभाव और उपाय
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फलित ज्योतिष में शनि ग्रह सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला विषय है और ज्यादातर हम लोगों के मन में शनि को लेकर एक डर की स्थिति तो बनी रहती है पर असल में हमारी कुंडली में स्थित शनि ग्रह का हमारे जीवन में कितना विशेष महत्त्व है इस पर हम ध्यान नहीं देते…!

नवग्रह मंडल में सूर्य को राजा की उपाधि प्राप्त है, बुध को मंत्री, मंगल को सेनापति, शनि देव को न्यायाधीश, राहु-केतु प्रशासक, गुरु अच्छे मार्ग का प्रदर्शक, चंद्र माता और मन का प्रदर्शक, शुक्र पति के लिए पत्नी और पत्नी के लिए पति तथा वीर्य बल। जब समाज में कोई व्यक्ति अपराध करता है तो शनि के आदेश के तहत राहु और केतु उसे दंड देने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। शनि की अदालत में दंड पहले दिया जाता है, बाद में मुकदमा इस बात के लिए चलता है कि आगे यदि इस व्यक्ति के चाल-चलन ठीक रहे तो दंड की अवधि बीतने के बाद इसे फिर से खुशहाल कर दिया जाए या नहीं।

देवता:👉 भैरव जी

गोत्र:👉 कश्यप

जाति:👉 क्षत्रिय

रंग:👉 श्याम, नीला

वाहन:👉 गिद्ध, भैंसा

दिशा:👉 वायव्य

वस्तु:👉 लोहा, फौलाद

पोशाक👉 जुराब, जूता

पशु:👉 भैंस या भैंसा

वृक्ष:👉 कीकर, आक, खजूर का वृक्ष

राशि:👉 बु.शु.रा.। सू, चं.मं.। बृह.

भ्रमण:👉 एक राशि पर ढ़ाई वर्ष

शरीर के अंग:👉 दृष्टि, बाल, भवें, कनपटी

पेशा:👉 लुहार, तरखान, मोची

स्वभाव:👉 मुर्ख, अक्खड़, कारिगर

गुण:👉 देखना, भालना, चालाकी, मौत, बीमारी

शक्ति:👉 जादूमंत्र देखने दिखाने की शक्ति, मंगल के साथ हो तो सर्वाधिक बलशाली।

राशि:👉 मकर और कुम्भ का स्वामी। तुला में उच्च का और मेष में नीच का माना गया है। ग्यारहवां भाव पक्का घर।

ज्योतिष में शनि को कर्म, आजीविका, जनता, सेवक, नौकरी, अनुशाशन, दूरदृष्टि, प्राचीन-वस्तु, लोहा, स्टील, कोयला, पेट्रोल, पेट्रोलयम प्रोडक्ट, मशीन, औजार, तकनीक और तकनीकी कार्य, तपश्या और अध्यात्म का कारक माना गया है।

स्वास्थ की दृष्टि से भी शनि हमारे पाचन-तंत्र, हड्डियों के जोड़, बाल, नाखून, पैरों के पंजे और दांतों को नियंत्रित करता है।

सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये ही है के हमारी आजीविका या करियर शनि द्वारा ही नियंत्रित होता है, इसलिए अगर कुंडली में शनि अच्छी और मजबूत स्थिति में हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपने करियर में अच्छी सफलता मिलती है।

परन्तु यदि कुंडली में शनि कमजोर हो तो ऐसे में करियर में संघर्ष और बार बार उतार चढाव की स्थिति बनती है।

नौकरी करने वाले लोगों के लिए मजबूत शनि उन्हें अच्छी स्तर की नौकरी दिलाता है वहीँ कुंडली में शनि कमजोर होने पर मन मुताबिक नौकरी नहीं मिल पाती और बार बार छूटने की स्थिति भी बनती रहती है तो कुल मिलाकर हमारे करियर की सफलता में शनि की सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका होती है।

शनि मशीनों और तकनिकी कार्यों का कारक है इसलिए आज के समय में शनि की महत्ता सबसे ज्यादा है क्योंकि हर काम में तकनीक और मशीनों का उपयोग होता है….

जिन लोगों की कुंडली में शनि अच्छी स्थिति में होता है उन्हें इंजीनियरिंग और तकनीकी कार्यों में अच्छी सफलता मिलती है।…..

कुंडली में शनि मजबूत होने पर व्यक्ति हर बात का गहनता से अध्यनन करने वाला और दूर की सोच रखने वाला होता है।

जिन लोगों की कुंडली में शनि स्व या उच्च राशि (मकर कुम्भ तुला) में होकर केंद्र में होता है, उन्हें अपने करियर में उच्च पदों की प्राप्ति होती है।

राजनीति के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए भी शनि एक बहुत विशेष महत्वपूर्ण ग्रह है क्योंकि अगर कुंडली में शनि मजबूत ना हो तो ऐसे में अच्छा जन समर्थन नहीं मिल पाता इसलिए राजनैतिक सफलता के लिए भी शनि का बहुत अधिक महत्त्व है।

लोहा स्टील गैस प्लास्टिक कैमिकल प्रोडक्ट्स और कांच ये सभी शनि के अन्तर्गत आते हैं इसलिए इन वस्तुओं से जुड़े व्यापर में सफलता भी व्यक्ति को तभी मिलती है जब कुंडली में शनि मजबूत हो।

जो लोग प्राचीन वस्तुओं या किसी भी प्रचीन विषय को लेकर रिसर्च करते हैं वे भी अच्छे शनि के कारण ही सफल हो पाते हैं।

अध्यात्म मार्ग में भी शनि का बड़ा विशेष महत्त्व है अगर कुंडली के नौवे भाव में शनि स्थित हो या नवे भाव पर शनि का प्रभाव हो तो ऐसे में व्यक्ति आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वाला होता है।

स्वास्थ की दृष्टि से भी शनि की हमारे जीवन में बहुत अहम भूमिका है अगर कुंडली में शनि कमजोर या पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को पाचन तंत्र और पेट से जुडी समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं, शनि कमजोर हो तो व्यक्ति को कम उम्र से ही जॉइंट्स पेन की समस्या शुरू हो जाती है साथ ही दाँतों से जुडी समस्याएं भी उन्ही लोगों को ज्यादा होती हैं जिनकी कुंडली में शनि बहुत पीड़ित या कमजोर हो तो हमारी कुंडली में शनि का अच्छी स्थति में होना स्वास्थ के नजरिये से भी बहुत महत्वपूर्ण है।

शनि की साढ़ेसाती तो सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाला विषय है पर साढ़ेसाती के दौरान हमारे जीवन में जो संघर्ष आता है उसका गूढ़ कारण ये है के साढ़ेसाती के दौरान शनि हमें संघर्ष की अग्नि में तपाकर हमारे पूर्व अशुभ कर्मो के बोझ को हमारे प्रारब्ध से हटा देते हैं।

हमारे अहंकार को नष्ट करके हमें एक प्रकार से नया जीवन देते हैं और इसलिए शनि की साढ़ेसाती का भी हमें जीवन में बहुत ही गूढ़ महत्त्व है।

अगर किसी व्यक्ति के ऊपर शनि की कोई भी दशा चल रही है , तो सबसे पहले अपने पैरों को साफ़ रखना शुरू कर दे , यह अति आवश्यक है , उन्हें साबुन से अच्छी तरह धोये , दिन में एक बारी अवश्य ही नहाना चाहिए और गर्मियों में कम से कम दो बारी स्नान ले , दाड़ी और बाल समय से कटवा लेने चाहिए , और हमेशा साफ़ सुथरे रहने का प्रयास करे , शनि की किसी भी दशा में चन्दन का इत्र लगाकर रखे , और अपने आस पास भी चन्दन की खुशबू प्रयोग में लाना शुरू कर दे। अगर आप मोज़े / जुराबे पहनते हो तो हमेशा रोज़ बदले । शनि की दशा में आपको गन्दा रहने , न नहाने , आलस्य के कारण बढे हुए बाल रखने की आदत पड़ जाती है , तो शनि के कारण होने वाले बुरे प्रभावों से बचने के लिए नीचे दिए सब उपाय करे और हमेशा साफ सुथरे रहे।

शनि को यह पसंद नहीं 👉 शनि को पसंद नहीं है जुआ-सट्टा खेलना, शराब पीना, ब्याजखोरी करना, परस्त्री गमन करना, अप्राकृतिक रूप से संभोग करना, झूठी गवाही देना, निर्दोष लोगों को सताना, किसी के पीठ पीछे उसके खिलाफ कोई कार्य करना, चाचा-चाची, माता-पिता, सेवकों और गुरु का अपमान करना, ईश्वर के खिलाफ होना, दांतों को गंदा रखना, तहखाने की कैद हवा को मुक्त करना, भैंस या भैसों को मारना, सांप, कुत्ते और कौवों को सताना। शनि के मूल मंदिर जाने से पूर्व उक्त बातों पर प्रतिबंध लगाएं।

शुभ शनि की निशानी👉 शनि की स्थिति यदि शुभ है तो व्यक्ति हर क्षेत्र में प्रगति करता है। उसके जीवन में किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता। बाल और नाखून मजबूत होते हैं। ऐसा व्यक्ति न्यायप्रिय होता है और समाज में मान-सम्मान खूब रहता हैं।

अशुभ शनि की निशानी👉 शनि के अशुभ प्रभाव के कारण मकान या मकान का हिस्सा गिर जाता है या क्षति ग्रस्त हो जाता है, नहीं तो कर्ज या लड़ाई-झगड़े के कारण मकान बिक जाता है। अंगों के बाल तेजी से झड़ जाते हैं। अचानक आग लग सकती है। धन, संपत्ति का किसी भी तरह नाश होता है। समय पूर्व दांत और आंख की कमजोरी।

सावधानी👉 कुंडली के प्रथम भाव यानी लग्न में हो तो भिखारी को तांबा या तांबे का सिक्का कभी दान न करें अन्यथा पुत्र को कष्ट होगा। यदि आयु भाव में स्थित हो तो धर्मशाला का निर्माण न कराएं। अष्टम भाव में हो तो मकान न बनाएं, न खरीदें।

जिनकी जन्मकुण्डली में शनि पहले, चौथे, सातवें अथवा दसवें घर में अपनी राशि मकर या कुंभ में विराजमान होता है। उनकी कुण्डली में पंच महापुरूष योग में शामिल एक शुभ योग बनता है। इस योग को शश योग के नाम से जाना जाता है। यह एक प्रकार का राजयोग है। शनि अगर तुला राशि में भी बैठा हो तब भी यह शुभ योग अपना फल देता है। इसका कारण यह है कि शनि इस राशि में उच्च का होता है।

माना जाता है कि जिनकी कुण्डली में यह योग मौजूद होता है वह व्यक्ति गरीब परिवार में भी जन्म लेकर भी एक दिन धनवान बन जाता है। मेष, वृष, कर्क, सिंह, तुला वृश्चिक, मकर एवं कुंभ लग्न में जिनका जन्म होता है उनकी कुण्डली में इस योग के बनने की संभावना रहती है।

अगर आपकी कुण्डली में शनि का यह योग नहीं बन रहा है तो कोई बात नहीं। आपका जन्म तुला या वृश्चिक लग्न में हुआ है और शनि कुण्डली में मजबूत स्थिति में है तब आप भूमि से लाभ प्राप्त कर सकते हैं। गुरू की राशि धनु अथवा मीन में शनि पहले घर में बैठे हों तो व्यक्ति धनवान होता है।

उपाय : सर्वप्रथम भगवान भैरव की उपासना करें (ॐ भैरवाय नम:)। शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। तिल, उड़द, भैंस, लोहा, तेल, काला वस्त्र, काली गौ, और जूता दान देना चाहिए। कौवे को प्रतिदिन रोटी खिलाएं। छायादान करें- अर्थात कटोरी में थोड़ा-सा सरसों का तेल लेकर अपना चेहरा देखकर शनि मंदिर में अपने पापो की क्षमा मांगते हुए रख आएं। दांत साफ रखें। अंधे-अपंगों, सेवकों और सफाईकर्मियों से अच्छा व्यवहार रखें।

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि कमजोर हो या शनि की दशा या साढ़ेसाती के दौरान जीवन में बहुत ज्यादा बाधाएं आ रही हों तो ये कुछ सरल उपाय आपके लिए बहुत लाभकारी होंगे।

शनि की अशुभ दशा अन्तर्दशा अरिष्ट शांति के कुछ आसान उपाय
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👉 किसी की भी आलोचना से बचे अपने ऑफिस या कार्यालय में दोस्तों से सम्बन्ध अच्छे रखें।

👉 सप्ताह में एक बार शनि या भेरो मंदिर में दर्शन करें !

👉 हनुमान चालीसा का नियम से पाठ करें
मन में आत्मविश्वास बनाये रखें अपने पर विश्वास रखें !

👉 मजबूरी में भी किसी को धोखा ना दें।

👉 ज़रूरी बातों में घर के और बाहर के बुजुर्ग लोगों से समय समय पर सलाह मशवरा लेते रहे उन्हे क्रोध और अपमानित करने से बचे देखिएगा , शनि के बुरे प्रभाव अपने आप कम हो जायेंगे !!

👉 नीले रंग के कपड़ों का अधिक प्रयोग करें।

👉 शनिवार के दिन अपंग, नेत्रहीन, कोढ़ी, अत्यंत वृद्ध या गली के कुत्ते को खाने की सामग्री दें।

👉 पीपल या शम्मी पेड़ के नीचे शनिवार संध्या काल में तिल का दीपक जलाएं।

👉 समर्थ हैं तो काली भैंस, जूता, काला वस्त्र, तिल, उड़द का दान सफाई करने वालों को दें।

👉 सरसों तेल की मालिश करें व आंखों में सुरमा लगाएं।

👉 पानी में सौंफ, खिल्ला या लोबान मिलाकर स्नान करें।

👉 लोहे का छल्ला मध्यम अंगुली में शनिवार से धारण करें।

👉 लोहे की कटोरी में सरसों तेल में अपना चेहरा देखकर दान करें।

👉 शम्मी की जड़ काले कपड़े में बांह में बांधें।

शनि देव का वैदिक मंत्र-👇
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्रवन्तु नः॥

पौराणिक मंत्र-👇
नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्‌।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामी शनैश्चरम्‌॥

बीज मंत्र-
👇
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।

सामान्य मंत्र-👇
ॐ शं शनैश्चराय नमः।

जप संख्या 23000 जप समय संध्या काल

निम्न मंत्रो का संभव हो तो शनि मंदिर अथवा घर मे संध्या का समय शुद्ध तन एवं मन से जाप करने से शनि जानित अरिष्ट में शांति आती है।


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सितारों के हिसाब से जानिए कब करें गर्भ धारण?

कहते है जिस घर में बच्चों की किलकारियॉ न गूंजें वह घर सूना-सूना लगता है। घर में खुशनुमा माहौल बना रहें इसके लिए नव-विवाहित जोड़े बच्चा होने का प्लान करते है। गर्भ उपनिषद में उल्लेख मिलता है कि सन्तान उत्पत्ति के लिए किस दिन गर्भ धारण करना शुभ होता है और किस दिन गर्भ धारण करना शुभ नहीं होता है।

गर्भ संस्कार के अनुसार सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार ये चार गर्भ धारण करने के लिए शुभ माने जाते है।रविवार, मंगलवार और शनिवार इन तीन दिनों में पति-पत्नी को गर्भ धारण करने के लिए शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाने चाहिए। क्योंकि सूर्य, मंगल व शनि ग्रह ज्यातिष शास्त्र में पाप ग्रह माने जाते है। इन दिनों में गर्भधारण करने से होने वाली सन्तान शुभ नहीं मानी जाती है।

चन्द्रमा ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह

सोमवार: सोमवार के दिन का मालिक चन्द्रमा है। चन्द्रमा ज्योतिष शास्त्र में शुभ ग्रह माना जाता है। मन व भावनाओं से जुड़ी हर चीज पर चन्द्रमा का अधिकार होता है। सोमवार भगवान शिव का दिन है। इस दिन गर्भ धारण करना बहुत शुभ होता है, क्योंकि यह बच्चा मानिसक रूप से मजबूत, शान्त व प्रतिभाशाली होता है।

मंगलवार: ज्योतिष में मंगल को पाप ग्रह कहा जाता है। मंगल अग्नि तत्व वाला ग्रह है। इसमें क्रोध वाली अग्नि का स्वरूप होता है, जिसमें सब जलकर राख हो जाता है। इस दिन गर्भ धारण करने से होने वाला बच्चा क्रोधी, घमण्डी, किसी की बात न मानने वाला, अपने मन की करने वाला हिंसक स्वभाव का होता है। इसलिए मंगलवार के दिन गर्भ धारण नहीं करना चाहिए।

बुधवार: बुध ग्रह ज्योतिष शास्त्र में शुभ माना गया है। बुध का सबसे अधिक प्रभाव मेघा शक्ति पर पड़ता है। यदि किसी बच्चे की बौद्धिक क्षमता अच्छी है तो सभी लोग उससे प्रभावित होते है। लेकिन अगर बच्चा मानसिक क्षीण हो तो लोग उसे उतना दुलार नहीं देते है। यदि आप चाहते है कि आपकी सन्तान बौद्धिक व प्रतिभावान हो तो बुधवार के दिन पत्नी से शारीरिक सम्बन्ध बनाकर गर्भ धारण करें।

गुरूवार: बृहस्पतिवार दिन शुभ दिनों की श्रेणी में आता है। गुरू सबको शिक्षा देता है, ज्ञान देता, लोगों की सहायता करता है, संवेदनाओं से लबरेज होता है, माता-पिता व अपने गुरू की सेवा करता है, दूसरों की भावनाओं की कद्र करता है आदि। यदि आप चाहते है आपकी सन्तान में ये सारे गुण विद्यमान हो तो गुरूवार को गर्भ धारण करें।

शुक्रवार: शुक्र भौतिक सुख-सम्पदा देने वाला ग्रह है, जो ज्यातिष में शुभता के श्रेणी में आता है। शुक्रवार के दिन गर्भ धारण करना बहुत ही उत्तम माना जाता है। क्योकि इस दिन गर्भ धारण करने से होने वाली सन्तान संसार में अपना नाम कमाती है, फिल्मी दुनिया, गायन, नाटय कला आदि क्षेत्रों में काफी ऊँचा मुकाम हासिल करती है। ऐसे सन्तानें महिलाओं की प्रिय होती है व परिवार को साथ लेकर चलने वाली होती है।

शनिवार: शनिवार के दिन भूलकर भी गर्भ धारण नहीं करना चाहिए। यह ग्रह ज्योतिष में पापी ग्रह माना जाता है। इस दिन गर्भ धारण करने से होने वाली सन्तानें रोगी होती है, नकारात्मक सोंच वाली होती है, उनके हर कार्य में बाधायें आती है, शिक्षा, नौकरी, छोकरी, विवाह, सन्तान या अन्य भौतिक सुख सब कुछ देर से ही मिलता है, कुछ भी समय पर नहीं मिलता है।

रविवार: रविवार सूर्य भगवान का दिन है। सूर्य साक्षात उर्जा का भण्डार है और सूर्य से ही पृथ्वी पर सभी जीवों का जीवन सम्भव है। सूर्य नहीं है तो कुछ भी नहीं है। सुयोग्य सन्तान के लिए प्रार्थना करना रविवार को शुभ माना जाता है। किन्तु रविवार के दिन गर्भ धारण करना शुभ नहीं होता है। ज्योतिष में सूर्य को एक पापी ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। रविवार को गर्भ धारण करने से होने वाली सन्तान ईष्यालू, क्रोधी, झगड़ालू होती है। हर पल उसके स्वभाव में गर्मी रहती है जिसके कारण वो जिद्दी होती है। इसलिए रविवार के दिन पति-पत्नी को न शारीरिक सम्बन्ध बनाना चाहिए और न ही गर्भ धारण करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

नोट-भारतीय सनातन धर्म में एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक एक दिन माना जाता है। यदि आप रात्रि 12 बजे के बाद दूसरा दिन मानते है तो वह गलत है। उपरोक्त फल गर्भ धारण करने के दिन का है न कि जिस दिन बच्चा पैदा होता है।
||#अस्तवक्रीनीचभंगशनि|| शनि की यह तीन अवस्थाएं कहने को अशुभ है लेकिन कितनी और क्या यह स्थिति शुभ फल भी दे सकती है या कैसे फल देगी? इसी पर बात करते है।। कोई भी ग्रह जब अस्त होता है तब वह सूर्य के कारण ही होता है।शनि का निवास अंधकार में है जब यह अस्त हो जाता है तब पूरी तरह अंधकार जैसी स्थिति पैदा करता है क्योंकि अस्त होकर ग्रह अपनी शुभता, शुभ गुण, शुभ फल देने की शक्ति खो बैठता है, अस्त शनि जीवन मे संघर्ष और मेहनत ही कराता रहेगा, हालांकि यह निर्भर करेगा शनि अस्त होकर सूर्य से कितने अंश दूर है या नजदीक है सूर्य और शनि के अंशो में ज्यादा अंतर है कम से कम 8 या 9अंशो की दूरी है तब अस्त होने पर शनि के उपाय करके इसकी अस्त फल से बचा जा सकता है लेकिन जब यह पूर्ण अस्त हो जैसे सूर्य और शनि के बीच अंशा दूरी 4 से 5-6 हो तब यहाँ ज्यादा दिक्कत आती है जैसे सूर्य 10अंश और शनि 15अंश है तक यहाँ शनि अशुभ फल ही देगा, कोई भी ग्रह या शनि उच्च हो या अपनी राशि का हो, नीच या शत्रु राशि मे अस्त होने पर ज्यादा ही निर्बल और अशुभ होगा।। #उदाहरण:- मकर लग्न की कुंडली मे शनि दशमः भाव मे बैठने पर तुला राशि का होगा लेकिन अब यह यहाँ अस्त हो जाये तब उच्च होने पर भी कार्य छेत्र में दिक्कत देगा, हालांकि पूर्ण अस्त है या आधा इस स्थिति में प्रभाव कम ज्यादा होगा लेकिन फल दिक्कत वाला ही होगा, यहाँ शनि उपाय लाभ देगा क्योंकि शनि शुभ भावपति है और शुभ भाव दशमः मे बेठा है।। #वक्रीशनि:- वक्री होने पर यह अपने स्वभाव मर बदलाब कर देता है जिन भी जातको की कुंडली मे यह वक्री होता है निश्चित ही संघर्ष कराता है अपनी दशा-अंतरदशा में , जिस भाव मे बैठेगा खासकर उस भाव के फल में संघर्ष कराएगा जैसे, दूसरे भाव मे धन कमाने में, नवे भाव मे भाग्योदय में।। #उदाहरण:- शनि वक्री होकर सातवे भाव(विवाह भाव) मे बेठे तब यहाँ यह शनि होने में रुकाबटे शादी के समय पर देगा, शादी का रिश्ता संघर्ष के बाद ही मिल पायेगा।दसवे भाव मे वक्री होकर बैठेगा तब कार्य छेत्र में संघर्ष से फल देगा।सफलता-असफलता निर्भर करेगी दशमेश की स्थिति पर, लेकिन फल प्राप्ति जैसे नोकरी, व्यापार में कुछ ज्यादा मेहनत से ही फल प्राप्त होगा।। #नीचभंग_शनि:- शनि मेष राशि पर नीच का होता है नीच होने पर कोई भी ग्रह है वह कमजोर होकर अपने फल पूर्णतः शुभ नही देता, शनि का नीचभंग मंगल और सूर्य ही कर सकते है और यह दोनो शनि के शत्रु है, तब शत्रु ग्रह नीचभंग करके सहयोग करेगा या नही यह कैसे पता चलेगा, जब भी मेष राशि मे बेठे शनि के साथ मंगल बेठा हो या सूर्य बेठा हो या मंगल की दृष्टि नीच शनि पर होगी तब शनि का नीचभंग हो जाएगा लेकिन शनि का यह नीचभंग अमूमन ज्यादा शुभ परिणाम देने में सक्षम नही होता क्योंकि मंगल सूर्य शनि के शत्रु है, ऐसी स्थिति में शनि का नीचभंग मंगल सूर्य के द्वारा जब ही लाभ देता है जब शनि सही नीचभंग करने वाला ग्रह शुभ भावपति हो।जैसे #उदाहरण:- सिंह लग्न में मंगल चतुर्थेश नवमेश होकर योगकारक होने से मंगल परम् शुभ होता है और शनि यहाँ नीच 9वे भाव मे होगा ऐसी स्थिति में शनि के साथ मंगल बेठा हो या शनि पर मंगल की दृष्टि होगी तब यह नीचभंग लाभकारी होगा।। दूसरी स्थिति में कन्या लग्न में अष्टमेश/तृतीयेश होकर मंगल अकारक होकर अशुभ होने से यदि शनि का यहाँ नीचभंग करे, शनि के नीच होने पर तब यह नीचभंग ज्यादा अच्छे फल नही दे पाएगा,ऐसे नीचभंग से कोई लाभ नही होगा।कई जातको की कुंडली मे शनि नीच होकर वक्री होता है, या वक्री होकर अस्त हो जाता है, कई जातको के अस्त, वक्री नीच एक साथ होता है ऐसी स्थिति में शनि के फल बहुत काफी विचित्र स्थिति वाले होते है, किस स्थिति के फल होंगे यह कुंडली मे इसकी स्थिति लर निर्भर करेगा।अस्त, नीच, वक्री शनि के उपाय लाभकारी सिद्ध हो सकते है।इस तरह अस्त,वक्री और नीचभंग हुआ शनि फल देता है।


[समस्त 12 राशि के लोगों की 15-15 खास बातें…
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मेष- चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
राशि स्वरूप: मेंढा जैसा, राशि स्वामी- मंगल।

1👉 राशि चक्र की सबसे प्रथम राशि मेष है। जिसके स्वामी मंगल है। धातु संज्ञक यह राशि चर (चलित) स्वभाव की होती है। राशि का प्रतीक मेढ़ा संघर्ष का परिचायक है।
2👉 मेष राशि वाले आकर्षक होते हैं। इनका स्वभाव कुछ रुखा हो सकता है। दिखने में सुंदर होते है। यह लोग किसी के दबाव में कार्य करना पसंद नहीं करते। इनका चरित्र साफ -सुथरा एवं आदर्शवादी होता है।
3👉 बहुमुखी प्रतिभा के स्वामी होते हैं। समाज में इनका वर्चस्व होता है एवं मान सम्मान की प्राप्ति होती है।
4👉 निर्णय लेने में जल्दबाजी करते है तथा जिस कार्य को हाथ में लिया है उसको पूरा किए बिना पीछे नहीं हटते।
5👉 स्वभाव कभी-कभी विरक्ति का भी रहता है। लालच करना इस राशि के लोगों के स्वभाव मे नहीं होता। दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है।
6👉 कल्पना शक्ति की प्रबलता रहती है। सोचते बहुत ज्यादा हैं।
7👉 जैसा खुद का स्वभाव है, वैसी ही अपेक्षा दूसरों से करते हैं। इस कारण कई बार धोखा भी खाते हैं।
8👉 अग्नितत्व होने के कारण क्रोध अतिशीघ्र आता है। किसी भी चुनौती को स्वीकार करने की प्रवृत्ति होती है।
9👉 अपमान जल्दी भूलते नहीं, मन में दबा के रखते हैं। मौका पडने पर प्रतिशोध लेने से नहीं चूकते।
10👉 अपनी जिद पर अड़े रहना, यह भी मेष राशि के स्वभाव में पाया जाता है। आपके भीतर एक कलाकार छिपा होता है।
11👉 आप हर कार्य को करने में सक्षम हो सकते हैं। स्वयं को सर्वोपरि समझते हैं।
12👉 अपनी मर्जी के अनुसार ही दूसरों को चलाना चाहते हैं। इससे आपके कई दुश्मन खड़े हो जाते हैं।
13👉 एक ही कार्य को बार-बार करना इस राशि के लोगों को पसंद नहीं होता।
14👉 एक ही जगह ज्यादा दिनों तक रहना भी अच्छा नहीं लगता। नेतृत्व छमता अधिक होती है।
15👉 कम बोलना, हठी, अभिमानी, क्रोधी, प्रेम संबंधों से दु:खी, बुरे कर्मों से बचने वाले, नौकरों एवं महिलाओं से त्रस्त, कर्मठ, प्रतिभाशाली, यांत्रिक कार्यों में सफल होते हैं।

वृष- ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
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राशि स्वरूप- बैल जैसा, राशि स्वामी- शुक्र।
राशि परिचय

1👉 इस राशि का चिह्न बैल है। बैल स्वभाव से ही अधिक पारिश्रमी और बहुत अधिक वीर्यवान होता है, साधारणत: वह शांत रहता है, किन्तु क्रोध आने पर वह उग्र रूप धारण कर लेता है।
2👉 बैल के समान स्वभाव वृष राशि के जातक में भी पाया जाता है। वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है।
3👉 इसके अन्तर्गत कृत्तिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चारों चरण और मृगशिरा के प्रथम दो चरण आते हैं।
4👉 इनके जीवन में पिता-पुत्र का कलह रहता है, जातक का मन सरकारी कार्यों की ओर रहता है। सरकारी ठेकेदारी का कार्य करवाने की योग्यता रहती है।
5👉 पिता के पास जमीनी काम या जमीन के द्वारा जीविकोपार्जन का साधन होता है। जातक अधिकतर तामसी भोजन में अपनी रुचि दिखाता है।
6👉 गुरु का प्रभाव जातक में ज्ञान के प्रति अहम भाव को पैदा करने वाला होता है, वह जब भी कोई बात करता है तो स्वाभिमान की बात करता है।
7👉 सरकारी क्षेत्रों की शिक्षा और उनके काम जातक को अपनी ओर आकर्षित करते हैं।
8👉 किसी प्रकार से केतु का बल मिल जाता है तो जातक सरकार का मुख्य सचेतक बनने की योग्यता रखता है। मंगल के प्रभाव से जातक के अंदर मानसिक गर्मी प्रदान करता है।
9👉 कल-कारखानों, स्वास्थ्य कार्यों और जनता के झगड़े सुलझाने का कार्य जातक कर सकता है, जातक की माता के जीवन में परेशानी ज्यादा होती है।
10👉 ये अधिक सौन्दर्य प्रेमी और कला प्रिय होते हैं। जातक कला के क्षेत्र में नाम करता है।
11👉 माता और पति का साथ या माता और पत्नी का साथ घरेलू वातावरण मे सामंजस्यता लाता है, जातक अपने जीवनसाथी के अधीन रहना पसंद करता है।
12👉 चन्द्र-बुध जातक को कन्या संतान अधिक देता है और माता के साथ वैचारिक मतभेद का वातावरण बनाता है।
13👉 आपके जीवन में व्यापारिक यात्राएं काफी होती हैं, अपने ही बनाए हुए उसूलों पर जीवन चलाता है।
14👉 हमेशा दिमाग में कोई योजना बनती रहती है। कई बार अपने किए गए षडयंत्रों में खुद ही फंस भी जाते हैं।
15👉 रोहिणी के चौथे चरण के मालिक चन्द्रमा हैं, जातक के अंदर हमेशा उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी रहती है, वह अपने ही मन का राजा होता है।

मिथुन- का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
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राशि स्वरूप- स्त्री-पुरुष आलिंगनबद्ध, राशि स्वामी- बुध।

1👉 यह राशि चक्र की तीसरी राशि है। राशि का प्रतीक युवा दम्पति है, यह द्वि-स्वभाव वाली राशि है।
2👉 मृगसिरा नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक मंगल-शुक्र हैं। मंगल शक्ति और शुक्र माया है।
3👉 जातक के अन्दर माया के प्रति भावना पाई जाती है, जातक जीवनसाथी के प्रति हमेशा शक्ति बन कर प्रस्तुत होता है। साथ ही, घरेलू कारणों के चलते कई बार आपस में तनाव रहता है।
4👉 मंगल और शुक्र की युति के कारण जातक में स्त्री रोगों को परखने की अद्भुत क्षमता होती है।
5👉 जातक वाहनों की अच्छी जानकारी रखता है। नए-नए वाहनों और सुख के साधनों के प्रति अत्यधिक आकर्षण होता है। इनका घरेलू साज-सज्जा के प्रति अधिक झुकाव होता है।
6👉 मंगल के कारण जातक वचनों का पक्का बन जाता है।
7👉 गुरु आसमान का राजा है तो राहु गुरु का शिष्य, दोनों मिलकर जातक में ईश्वरीय ताकतों को बढ़ाते हैं।
8👉 इस राशि के लोगों में ब्रह्माण्ड के बारे में पता करने की योग्यता जन्मजात होती है। वह वायुयान और सेटेलाइट के बारे में ज्ञान बढ़ाता है।
9👉 राहु-शनि के साथ मिलने से जातक के अन्दर शिक्षा और शक्ति उत्पादित होती है। जातक का कार्य शिक्षा स्थानों में या बिजली, पेट्रोल या वाहन वाले कामों की ओर होता है।
10👉 जातक एक दायरे में रह कर ही कार्य कर पाता है और पूरा जीवन कार्योपरान्त फलदायक रहता है। जातक के अंदर एक मर्यादा होती है जो उसे धर्म में लीन करती है और जातक सामाजिक और धार्मिक कार्यों में अपने को रत रखता है।
11👉 गुरु जो ज्ञान का मालिक है, उसे मंगल का साथ मिलने पर उच्च पदासीन करने के लिए और रक्षा आदि विभागों की ओर ले जाता है।
12👉 जातक अपने ही विचारों, अपने ही कारणों से उलझता है। मिथुन राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है, जो चन्द्रमा की निर्णय समय में जन्म लेते हैं, वे मिथुन राशि के कहे जाते हैं।
13👉 बुध की धातु पारा है और इसका स्वभाव जरा सी गर्मी-सर्दी में ऊपर नीचे होने वाला है। जातकों में दूसरे की मन की बातें पढऩे, दूरदृष्टि, बहुमुखी प्रतिभा, अधिक चतुराई से कार्य करने की क्षमता होती है।
14👉 जातक को बुद्धि वाले कामों में ही सफलता मिलती है। अपने आप पैदा होने वाली मति और वाणी की चतुरता से इस राशि के लोग कुशल कूटनीतिज्ञ और राजनीतिज्ञ भी बन जाते हैं।
15👉 हर कार्य में जिज्ञासा और खोजी दिमाग होने के कारण इस राशि के लोग अन्वेषण में भी सफलता लेते रहते हैं और पत्रकार, लेखक, मीडियाकर्मी, भाषाओं की जानकारी, योजनाकार भी बन सकते हैं।

कर्क- ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
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राशि स्वरूप- केकड़ा, राशि स्वामी- चंद्रमा।

1👉 राशि चक्र की चौथी राशि कर्क है। इस राशि का चिह्न केकड़ा है। यह चर राशि है।
2👉 राशि स्वामी चन्द्रमा है। इसके अन्तर्गत पुनर्वसु नक्षत्र का अन्तिम चरण, पुष्य नक्षत्र के चारों चरण तथा अश्लेषा नक्षत्र के चारों चरण आते हैं।
3👉 कर्क राशि के लोग कल्पनाशील होते हैं। शनि-सूर्य जातक को मानसिक रूप से अस्थिर बनाते हैं और जातक में अहम की भावना बढ़ाते हैं।
4👉 जिस स्थान पर भी वह कार्य करने की इच्छा करता है, वहां परेशानी ही मिलती है।
5👉 शनि-बुध दोनों मिलकर जातक को होशियार बना देते हैं। शनि-शुक्र जातक को धन और जायदाद देते हैं।
6👉 शुक्र उसे सजाने संवारने की कला देता है और शनि अधिक आकर्षण देता है।
7👉 जातक उपदेशक बन सकता है। बुध गणित की समझ और शनि लिखने का प्रभाव देते हैं। कम्प्यूटर आदि का प्रोग्रामर बनने में जातक को सफलता मिलती है।
8👉 जातक श्रेष्ठ बुद्धि वाला, जल मार्ग से यात्रा पसंद करने वाला, कामुक, कृतज्ञ, ज्योतिषी, सुगंधित पदार्थों का सेवी और भोगी होता है। वह मातृभक्त होता है।
9👉 कर्क, केकड़ा जब किसी वस्तु या जीव को अपने पंजों को जकड़ लेता है तो उसे आसानी से नहीं छोड़ता है। उसी तरह जातकों में अपने लोगों तथा विचारों से चिपके रहने की प्रबल भावना होती है।
10👉 यह भावना उन्हें ग्रहणशील, एकाग्रता और धैर्य के गुण प्रदान करती है।
11👉 उनका मूड बदलते देर नहीं लगती है। कल्पनाशक्ति और स्मरण शक्ति बहुत तीव्र होती है।
12👉 उनके लिए अतीत का महत्व होता है। मैत्री को वे जीवन भर निभाना जानते हैं, अपनी इच्छा के स्वामी होते हैं।
13👉 ये सपना देखने वाले होते हैं, परिश्रमी और उद्यमी होते हैं।
14👉 जातक बचपन में प्राय: दुर्बल होते हैं, किन्तु आयु के साथ साथ उनके शरीर का विकास होता जाता है।
15👉 चूंकि कर्क कालपुरुष की वक्षस्थल और पेट का प्रतिधिनित्व करती है, अत: जातकों को अपने भोजन पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।

सिंह- मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
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राशि स्वरूप- शेर जैसा, राशि स्वामी- सूर्य।

1👉 सिंह राशि पूर्व दिशा की द्योतक है। इसका चिह्न शेर है। राशि का स्वामी सूर्य है और इस राशि का तत्व अग्नि है।
2👉 इसके अन्तर्गत मघा नक्षत्र के चारों चरण, पूर्वा फाल्गुनी के चारों चरण और उत्तराफाल्गुनी का पहला चरण आता है।
3👉 केतु-मंगल जातक में दिमागी रूप से आवेश पैदा करता है। केतु-शुक्र, जो जातक में सजावट और सुन्दरता के प्रति आकर्षण को बढ़ाता है।
4👉 केतु-बुध, कल्पना करने और हवाई किले बनाने के लिए सोच पैदा करता है। चंद्र-केतु जातक में कल्पना शक्ति का विकास करता है। शुक्र-सूर्य जातक को स्वाभाविक प्रवृत्तियों की तरफ बढ़ाता है।
5👉 जातक का सुन्दरता के प्रति मोह होता है और वे कामुकता की ओर भागता है। जातक में अपने प्रति स्वतंत्रता की भावना रहती है और किसी की बात नहीं मानता।
6👉 जातक, पित्त और वायु विकार से परेशान रहने वाले लोग, रसीली वस्तुओं को पसंद करने वाले होते हैं। कम भोजन करना और खूब घूमना, इनकी आदत होती है।
7👉 छाती बड़ी होने के कारण इनमें हिम्मत बहुत अधिक होती है और मौका आने पर यह लोग जान पर खेलने से भी नहीं चूकते।
8👉 जातक जीवन के पहले दौर में सुखी, दूसरे में दुखी और अंतिम अवस्था में पूर्ण सुखी होता है।
9👉 सिंह राशि वाले जातक हर कार्य शाही ढंग से करते हैं, जैसे सोचना शाही, करना शाही, खाना शाही और रहना शाही।
10👉 इस राशि वाले लोग जुबान के पक्के होते हैं। जातक जो खाता है वही खाएगा, अन्यथा भूखा रहना पसंद करेगा, वह आदेश देना जानता है, किसी का आदेश उसे सहन नहीं होता है, जिससे प्रेम करेगा, उस मरते दम तक निभाएगा, जीवनसाथी के प्रति अपने को पूर्ण रूप से समर्पित रखेगा, अपने व्यक्तिगत जीवन में किसी का आना इस राशि वाले को कतई पसंद नहीं है।
11👉 जातक कठोर मेहनत करने वाले, धन के मामलों में बहुत ही भाग्यशाली होते हैं। स्वर्ण, पीतल और हीरे-जवाहरात का व्यवसाय इनको बहुत फायदा देने वाले होते हैं।
12👉 सरकार और नगर पालिका वाले पद इनको खूब भाते हैं। जातकों की वाणी और चाल में शालीनता पाई जाती है।
13👉 इस राशि वाले जातक सुगठित शरीर के मालिक होते हैं। नृत्य करना भी इनकी एक विशेषता होती है, अधिकतर इस राशि वाले या तो बिलकुल स्वस्थ रहते है या फिर आजीवन बीमार रहते हैं।
14👉 जिस वारावरण में इनको रहना चाहिए, अगर वह न मिले, इनके अभिमान को कोई ठेस पहुंचाए या इनके प्रेम में कोई बाधा आए, तो यह बीमार रहने लगते है।
15👉 रीढ़ की हड्डी की बीमारी या चोटों से अपने जीवन को खतरे में डाल लेते हैं। इस राशि के लोगों के लिये हृदय रोग, धड़कन का तेज होना, लू लगना और आदि बीमारी होने की संभावना होती है।

कन्या- ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
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राशि स्वरूप- कन्या, राशि स्वामी- बुध।

1👉 राशि चक्र की छठी कन्या राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है। इस राशि का चिह्न हाथ में फूल लिए कन्या है। राशि का स्वामी बुध है। इसके अन्तर्गत उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र के दूसरे, तीसरे और चौथे चरण, चित्रा के पहले दो चरण और हस्त नक्षत्र के चारों चरण आते हैं।
2👉 कन्या राशि के लोग बहुत ज्यादा महत्वाकांक्षी होते हैं। भावुक भी होते हैं और वह दिमाग की अपेक्षा दिल से ज्यादा काम लेते हैं।
3👉 इस राशि के लोग संकोची, शर्मीले और झिझकने वाले होते हैं।
4👉 मकान, जमीन और सेवाओं वाले क्षेत्र में इस राशि के जातक कार्य करते हैं।
5👉 स्वास्थ्य की दृष्टि से फेफड़ों में शीत, पाचनतंत्र एवं आंतों से संबंधी बीमारियां जातकों मे मिलती हैं। इन्हें पेट की बीमारी से प्राय: कष्ट होता है। पैर के रोगों से भी सचेत रहें।
6👉 बचपन से युवावस्था की अपेक्षा जातकों की वृद्धावस्था अधिक सुखी और ज्यादा स्थिर होता है।
7👉 इस राशि वाल पुरुषों का शरीर भी स्त्रियों की भांति कोमल होता है। ये नाजुक और ललित कलाओं से प्रेम करने वाले लोग होते हैं।
8👉 ये अपनी योग्यता के बल पर ही उच्च पद पर पहुंचते हैं। विपरीत परिस्थितियां भी इन्हें डिगा नहीं सकतीं और ये अपनी सूझबूझ, धैर्य, चातुर्य के कारण आगे बढ़ते रहते है।
9👉 बुध का प्रभाव इनके जीवन मे स्पष्ट झलकता है। अच्छे गुण, विचारपूर्ण जीवन, बुद्धिमत्ता, इस राशि वाले में अवश्य देखने को मिलती है।
10👉 शिक्षा और जीवन में सफलता के कारण लज्जा और संकोच तो कम हो जाते हैं, परंतु नम्रता तो इनका स्वाभाविक गुण है।
11👉 इनको अकारण क्रोध नहीं आता, किंतु जब क्रोध आता है तो जल्दी समाप्त नहीं होता। जिसके कारण क्रोध आता है, उसके प्रति घृणा की भावना इनके मन में घर कर जाती है।

12👉 इनमें भाषण व बातचीत करने की अच्छी कला होती है। संबंधियों से इन्हें विशेष लाभ नहीं होता है, इनका वैवाहिक जीवन भी सुखी नहीं होता। यह जरूरी नहीं कि इनका किसी और के साथ संबंध होने के कारण ही ऐसा होगा।
13👉 इनके प्रेम सम्बन्ध प्राय: बहुत सफल नहीं होते हैं। इसी कारण निकटस्थ लोगों के साथ इनके झगड़े चलते रहते हैं।
14👉 ऐसे व्यक्ति धार्मिक विचारों में आस्था तो रखते हैं, परंतु किसी विशेष मत के नहीं होते हैं। इन्हें बहुत यात्राएं भी करनी पड़ती है तथा विदेश गमन की भी संभावना रहती है। जिस काम में हाथ डालते हैं लगन के साथ पूरा करके ही छोड़ते हैं।
15👉 इस राशि वाले लोग अपरिचित लोगों मे अधिक लोकप्रिय होते हैं, इसलिए इन्हें अपना संपर्क विदेश में बढ़ाना चाहिए। वैसे इन व्यक्ति की मैत्री किसी भी प्रकार के व्यक्ति के साथ हो सकती है।

तुला- रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
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राशि स्वरूप- तराजू जैसा, राशि स्वामी- शुक्र।

1👉 तुला राशि का चिह्न तराजू है और यह राशि पश्चिम दिशा की द्योतक है, यह वायुतत्व की राशि है। शुक्र राशि का स्वामी है। इस राशि वालों को कफ की समस्या होती है।
2👉 इस राशि के पुरुष सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं। आंखों में चमक व चेहरे पर प्रसन्नता झलकती है। इनका स्वभाव सम होता है।
3👉 किसी भी परिस्थिति में विचलित नहीं होते, दूसरों को प्रोत्साहन देना, सहारा देना इनका स्वभाव होता है। ये व्यक्ति कलाकार, सौंदर्योपासक व स्नेहिल होते हैं।
4👉 ये लोग व्यावहारिक भी होते हैं व इनके मित्र इन्हें पसंद करते हैं।
5👉 तुला राशि की स्त्रियां मोहक व आकर्षक होती हैं। स्वभाव खुशमिजाज व हंसी खनखनाहट वाली होती हैं। बुद्धि वाले काम करने में अधिक रुचि होती है।
6👉 घर की साजसज्जा व स्वयं को सुंदर दिखाने का शौक रहता है। कला, गायन आदि गृह कार्य में दक्ष होती हैं। बच्चों से बेहद जुड़ाव रहता है।
7👉 तुला राशि के बच्चे सीधे, संस्कारी और आज्ञाकारी होते हैं। घर में रहना अधिक पसंद करते हैं। खेलकूद व कला के क्षेत्र में रुचि रखते हैं।
8👉 तुला राशि के जातक दुबले-पतले, लम्बे व आकर्षक व्यक्तिव वाले होते हैं। जीवन में आदर्शवाद व व्यवहारिकता में पर्याप्त संतुलन रखते हैं।
9👉 इनकी आवाज विशेष रूप से सौम्य होती हैं। चेहरे पर हमेशा एक मुस्कान छाई रहती है।
10👉 इन्हें ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करना बहुत भाता है। ये एक अच्छे साथी हैं, चाहें वह वैवाहिक जीवन हो या व्यावसायिक जीवन।
11👉 आप अपने व्यवहार में बहुत न्यायवादी व उदार होते हैं। कला व साहित्य से जुड़े रहते हैं। गीत, संगीत, यात्रा आदि का शौक रखने वाले व्यक्ति अधिक अच्छे लगते हैं।
12👉 लड़कियां आत्म विश्वास से परिपूर्ण होती हैं। आपके मनपसंद रंग गहरा नीला व सफेद होते हैं। आपको वैवाहिक जीवन में स्थायित्व पसंद आता है।
13👉 आप अधिक वाद-विवाद में समय व्यर्थ नहीं करती हैं। आप सामाजिक पार्टियों, उत्सवों में रुचिपूर्वक भाग लेती हैं।
14👉 आपके बच्चे अपनी पढ़ाई या नौकरी आदि के कारण जल्दी ही आपसे दूर जा सकते हैं।
15👉 एक कुशल मां साबित होती हैं जो कि अपने बच्चों को उचित शिक्षा व आत्म विश्वास प्रदान करती हैं।

वृश्चिक- तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
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राशि स्वरूप- बिच्छू जैसा, राशि स्वामी- मंगल।

1👉 वृश्चिक राशि का चिह्न बिच्छू है और यह राशि उत्तर दिशा की द्योतक है। वृश्चिक राशि जलतत्व की राशि है। इसका स्वामी मंगल है। यह स्थिर राशि है, यह स्त्री राशि है।
2👉 इस राशि के व्यक्ति उठावदार कद-काठी के होते हैं। यह राशि गुप्त अंगों, उत्सर्जन, तंत्र व स्नायु तंत्र का प्रतिनिधित्व करती है। अत: मंगल की कमजोर स्थिति में इन अंगों के रोग जल्दी होते हैं। ये लोग एलर्जी से भी अक्सर पीडि़त रहते हैं। विशेषकर जब चंद्रमा कमजोर हो।
3👉 वृश्चिक राशि वालों में दूसरों को आकर्षित करने की अच्छी क्षमता होती है। इस राशि के लोग बहादुर, भावुक होने के साथ-साथ कामुक होते हैं।
4👉 शरीरिक गठन भी अच्छा होता है। ऐसे व्यक्तियों की शारीरिक संरचना अच्छी तरह से विकसित होती है। इनके कंधे चौड़े होते हैं। इनमें शारीरिक व मानसिक शक्ति प्रचूर मात्रा में होती है।
5👉 इन्हें बेवकूफ बनाना आसान नहीं होता है, इसलिए कोई इन्हें धोखा नहीं दे सकता। ये हमेशा साफ-सुथरी और सही सलाह देने में विश्वास रखते हैं। कभी-कभी साफगोई विरोध का कारण भी बन सकती है।
6👉 ये जातक दूसरों के विचारों का विरोध ज्यादा करते हैं, अपने विचारों के पक्ष में कम बोलते हैं और आसानी से सबके साथ घुलते-मिलते नहीं हैं।
7👉 यह जातक अक्सर विविधता की तलाश में रहते हैं। वृश्चिक राशि से प्रभावित लड़के बहुत कम बोलते होते हैं। ये आसानी से किसी को भी आकर्षित कर सकते हैं। इन्हें दुबली-पतली लड़कियां आकर्षित करती हैं।
8👉 वृश्चिक वाले एक जिम्मेदार गृहस्थ की भूमिका निभाते हैं। अति महत्वाकांक्षी और जिद्दी होते हैं। अपने रास्ते चलते हैं मगर किसी का हस्तक्षेप पसंद नहीं करते।
9👉 लोगों की गलतियों और बुरी बातों को खूब याद रखते हैं और समय आने पर उनका उत्तर भी देते हैं। इनकी वाणी कटु और गुस्सा तेज होता है मगर मन साफ होता है। दूसरों में दोष ढूंढने की आदत होती है। जोड़-तोड़ की राजनीति में चतुर होते हैं।
10👉 इस राशि की लड़कियां तीखे नयन-नक्ष वाली होती हैं। यह ज्यादा सुन्दर न हों तो भी इनमें एक अलग आकर्षण रहता है। इनका बातचीत करने का अपना विशेष अंदाज होता है।
11👉 ये बुद्धिमान और भावुक होती हैं। इनकी इच्छा शक्ति बहुत दृढ़ होती है। स्त्रियां जिद्दी और अति महत्वाकांक्षी होती हैं। थोड़ी स्वार्थी प्रवृत्ति भी होती हैं।
12👉 स्वतंत्र निर्णय लेना इनकी आदत में होते है। मायके परिवार से अधिक स्नेह रहता है। नौकरीपेशा होने पर अपना वर्चस्व बनाए रखती हैं।
13👉 इन लोगों काम करने की क्षमता काफी अधिक होती है। वाणी की कटुता इनमें भी होती है, सुख-साधनों की लालसा सदैव बनी ही रहती है।
14👉 ये सभी जातक जिद्दी होते हैं, काम के प्रति लगन रखते हैं, महत्वाकांक्षी व दूसरों को प्रभावित करने की योग्यता रखते हैं। ये व्यक्ति उदार व आत्मविश्वासी भी होते है।
15👉 वृश्चिक राशि के बच्चे परिवार से अधिक स्नेह रखते हैं। कम्प्यूटर-टीवी का बेहद शौक होता है। दिमागी शक्ति तीव्र होती है, खेलों में इनकी रुचि होती है।

धनु- ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
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राशि स्वरूप- धनुष उठाए हुए, राशि स्वामी- बृहस्पति।

1👉 धनु द्वि-स्वभाव वाली राशि है। इस राशि का चिह्न धनुषधारी है। यह राशि दक्षिण दिशा की द्योतक है।
2👉 धनु राशि वाले काफी खुले विचारों के होते हैं। जीवन के अर्थ को अच्छी तरह समझते हैं।
3👉 दूसरों के बारे में जानने की कोशिश में हमेशा करते रहते हैं।
4👉 धनु राशि वालों को रोमांच काफी पसंद होता है। ये निडर व आत्म विश्वासी होते हैं। ये अत्यधिक महत्वाकांक्षी और स्पष्टवादी होते हैं।
5👉 स्पष्टवादिता के कारण दूसरों की भावनाओं को ठेस पहुंचा देते हैं।
👉 इनके अनुसार जो इनके द्वारा परखा हुआ है, वही सत्य है। अत: इनके मित्र कम होते हैं। ये धार्मिक विचारधारा से दूर होते हैं।
7👉 धनु राशि के लड़के मध्यम कद काठी के होते हैं। इनके बाल भूरे व आंखें बड़ी-बड़ी होती हैं। इनमें धैर्य की कमी होती है।
8👉 इन्हें मेकअप करने वाली लड़कियां पसंद हैं। इन्हें भूरा और पीला रंग प्रिय होता है।
9👉 अपनी पढ़ाई और करियर के कारण अपने जीवन साथी और विवाहित जीवन की उपेक्षा कर देते हैं। पत्नी को शिकायत का मौका नहीं देते और घरेलू जीवन का महत्व समझते हैं।
10👉 धनु राशि की लड़कियां लंबे कदमों से चलने वाली होती हैं। ये आसानी से किसी के साथ दोस्ती नहीं करती हैं।
11👉 ये एक अच्छी श्रोता होती हैं और इन्हें खुले और ईमानदारी पूर्ण व्यवहार के व्यक्ति पसंद आते हैं। इस राशि की स्त्रियां गृहणी बनने की अपेक्षा सफल करियर बनाना चाहती है।
12👉 इनके जीवन में भौतिक सुखों की महत्ता रहती है। सामान्यत: सुखी और संपन्न जीवन व्यतीत करती हैं।
13👉 इस राशि के जातक ज्यादातर अपनी सोच का विस्तार नहीं करते एवं कई बार कन्फयूज रहते हैं। एक निर्णय पर पंहुचने पर इनको समय लगता है एवं यह देरी कई बार नुकसान दायक भी हो जाती है।
14👉 ज्यादातर यह लोग दूसरों के मामलों में दखल नहीं देते एवं अपने काम से काम रखते हैं।
15👉 इनका पूरा जीवन लगभग मेहनत करके कमाने में जाता है या यह अपने पुश्तैनी कार्य को ही आगे बढाते हैं।

मकर- भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
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राशि स्वरूप- मगर जैसा, राशि स्वामी- शनि।

1👉 मकर राशि का चिह्न मगरमच्छ है। मकर राशि के व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होते हैं। यह सम्मान और सफलता प्राप्त करने के लिए लगातार कार्य कर सकते हैं।
2👉 इनका शाही स्वभाव व गंभीर व्यक्तित्व होता है। आपको अपने उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए बहुत कठिन परिश्रम करना पड़ता है।
3👉 इन्हें यात्रा करना पसंद है। गंभीर स्वभाव के कारण आसानी से किसी को मित्र नहीं बनाते हैं। इनके मित्र अधिकतर कार्यालय या व्यवसाय से ही संबंधित होते हैं।
4👉 सामान्यत: इनका मनपसंद रंग भूरा और नीला होता है। कम बोलने वाले, गंभीर और उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों को ज्यादा पसंद करते हैं।
5👉 ईश्वर व भाग्य में विश्वास करते हैं। दृढ़ पसंद-नापसंद के चलते इनका वैवाहिक जीवन लचीला नहीं होता और जीवनसाथी को आपसे परेशानी महसूस हो सकती है।
6👉 मकर राशि के लड़के कम बोलने वाले होते हैं। इनके हाथ की पकड़ काफी मजबूत होती है। देखने में सुस्त, लेकिन मानसिक रूप से बहुत चुस्त होते हैं।
7👉 प्रत्येक कार्य को बहुत योजनाबद्ध ढंग से करते हैं। गहरा नीला या श्वेत रंग प्रधान वस्त्र पहने हुए लड़कियां इन्हें बहुत पसंद आती हैं।
8👉 आपकी खामोशी आपके साथी को प्रिय होती है। अगर आपका जीवनसाथी आपके व्यवहार को अच्छी तरह समझ लेता है तो आपका जीवन सुखपूर्वक व्यतीत होता है।
9👉 आप जीवन साथी या मित्रों के सहयोग से उन्नति प्राप्त कर सकते हैं।
10👉 मकर राशि की लड़कियां लम्बी व दुबली-पतली होती हैं। यह व्यायाम आदि करना पसंद करती हैं। लम्बे कद के बाबजूद आप ऊंची हिल की सैंडिल पहनना पसंद करती हैं।
11👉 पारंपरिक मूल्यों पर विश्वास करने वाली होती हैं। छोटे-छोटे वाक्यों में अपने विचारों को व्यक्त करती हैं।
12👉 दूसरों के विचारों को अच्छी तरह से समझ सकती हैं। इनके मित्र बहुत होते हैं और नृत्य की शौकिन होती हैं।
13👉 इनको मजबूत कद कठी के व्यक्ति बहुत आकर्षित करते हैं। अविश्वसनीय संबंधों में विश्वास नहीं करती हैं।
14👉 अगर आप करियर वुमन हैं तो आप कार्य क्षेत्र में अपना अधिकतर समय व्यतीत करती हैं।
15👉 आप अपने घर या घरेलू कार्यों के विषय में अधिक चिंता नहीं करती हैं।

कुंभ- गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
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राशि स्वरूप- घड़े जैसा, राशि स्वामी- शनि।

1👉 राशि चक्र की यह ग्यारहवीं राशि है। कुंभ राशि का चिह्न घड़ा लिए खड़ा हुआ व्यक्ति है। इस राशि का स्वामी भी शनि है। शनि मंद ग्रह है तथा इसका रंग नीला है। इसलिए इस राशि के लोग गंभीरता को पसंद करने वाले होते हैं एवं गंभीरता से ही कार्य करते हैं।
2👉 कुंभ राशि वाले लोग बुद्धिमान होने के साथ-साथ व्यवहारकुशल होते हैं। जीवन में स्वतंत्रता के पक्षधर होते हैं। प्रकृति से भी असीम प्रेम करते हैं।
3👉 शीघ्र ही किसी से भी मित्रता स्थपित कर सकते हैं। आप सामाजिक क्रियाकलापों में रुचि रखने वाले होते हैं। इसमें भी साहित्य, कला, संगीत व दान आपको बेहद पसंद होता हैं।
4👉 इस राशि के लोगों में साहित्य प्रेम भी उच्च कोटि का होता है।
5👉 आप केवल बुद्धिमान व्यक्तियों के साथ बातचीत पसंद करते हैं। कभी भी आप अपने मित्रों से असमानता का व्यवहार नहीं करते हैं।
6👉 आपका व्यवहार सभी को आपकी ओर आकर्षित कर लेता है।
7👉 कुंभ राशि के लड़के दुबले होते हैं। आपका व्यवहार स्नेहपूर्ण होता है। इनकी मुस्कान इन्हें आकर्षक व्यक्तित्व प्रदान करती है।
8👉 इनकी रुचि स्तरीय खान-पान व पहनावे की ओर रहती है। ये बोलने की अपेक्षा सुनना ज्यादा पसंद करते हैं। इन्हें लोगों से मिलना जुलना अच्छा लगता है।
9👉 अपने व्यवहार में बहुत ईमानदार रहते हैं, इसलिये अनेक लड़कियां आपकी प्रशंसक होती हैं। आपको कलात्मक अभिरुचि व सौम्य व्यक्तित्व वाली लड़कियां आकर्षित करती हैं।
10👉 अपनी इच्छाओं को दूसरों पर लादना पसंद नहीं करते हैं और अपने घर परिवार से स्नेह रखते हैं।
11👉 कुंभ राशि की लड़कियां बड़ी-बड़ी आंखों वाली व भूरे बालों वाली होती हैं। यह कम बोलती हैं, इनकी मुस्कान आकर्षक होती है।
12👉 इनका व्यक्तित्व बहुत आकर्षक होता है, किन्तु आसानी से किसी को अपना नहीं बनाती हैं। ये अति सुंदर और आकर्षक होती हैं।
13👉 आप किसी कलात्मक रुचि, पेंटिग, काव्य, संगीत, नृत्य या लेखन आदि में अपना समय व्यतीत करती हैं।
14👉 ये सामान्यत: गंभीर व कम बोलने वाले व्यक्तियों के प्रति आकर्षित होती हैं।
15👉 इनका जीवन सुखपूर्वक व्यतित होता है, क्योंकि ये ज्यादा इच्छाएं नहीं करती हैं। अपने घर को भी कलात्मक रूप से सजाती हैं।

मीन- दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची
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राशि स्वरूप- मछली जैसा, राशि स्वामी- बृहस्पति।

1👉 मीन राशि का चिह्न मछली होता है। मीन राशि वाले मित्रपूर्ण व्यवहार के कारण अपने कार्यालय व आस पड़ोस में अच्छी तरह से जाने जाते हैं।
2👉 आप कभी अति मैत्रीपूर्ण व्यवहार नहीं करते हैं। बल्कि आपका व्यवहार बहुत नियंत्रित रहता है। ये आसानी से किसी के विचारों को पढ़ सकते हैं।
3👉 अपनी ओर से उदारतापूर्ण व संवेदनाशील होते हैं और व्यर्थ का दिखावा व चालाकी को बिल्कुल नापसंद करते हैं।
4👉 एक बार किसी पर भी भरोसा कर लें तो यह हमेशा के लिए होता है, इसीलिये आप आपने मित्रों से अच्छा भावानात्मक संबंध बना लेते हैं।
5👉 ये सौंदर्य और रोमांस की दुनिया में रहते हैं। कल्पनाशीलता बहुत प्रखर होती है। अधिकतर व्यक्ति लेखन और पाठन के शौकीन होते हैं। आपको नीला, सफेद और लाल रंग-रूप से आकर्षित करते हैं।
6👉 आपकी स्तरीय रुचि का प्रभाव आपके घर में देखने को मिलता है। आपका घर आपकी जिंदगी में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
7👉 अपने धन को बहुत देखभाल कर खर्च करते हैं। आपके अभिन्न मित्र मुश्किल से एक या दो ही होते हैं। जिनसे ये अपने दिल की सभी बातें कह सकते हैं। ये विश्वासघात के अलावा कुछ भी बर्दाश्त कर सकते हैं।
8👉 मीन राशि के लड़के भावुक हृदय व पनीली आंखों वाले होते हैं। अपनी बात कहने से पहले दो बार सोचते हैं। आप जिंदगी के प्रति काफी लचीला दृटिकोण रखते हैं।
9👉 अपने कार्य क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने के लिये परिश्रम करते हैं। आपको बुद्धिमान और हंसमुख लोग पसंद हैं।
10👉 आप बहुत संकोचपूर्वक ही किसी से अपनी बात कह पाते हैं। एक कोमल व भावुक स्वभाव के व्यक्ति हैं। आप पत्नी के रूप में गृहणी को ही पसंद करते हैं।
11👉 ये खुद घरेलू कार्यों में दखलंदाजी नहीं करते हैं, न ही आप अपनी व्यावसायिक कार्य में उसका दखल पसंद करते हैं। आपका वैवाहिक जीवन अन्य राशियों की अपेक्षा सर्वाधिक सुखमय रहता है।
12👉 मीन राशि की लड़कियां भावुक व चमकदार आंखों वाली होती हैं। ये आसानी से किसी से मित्रता नहीं करती हैं, लेकिन एक बार उसकी बातों पर विश्वास हो जाए तो आप अपने दिल की बात भी उससे कह देती हैं।
13👉 ये स्वभाव से कला प्रेमी होती हैं। एक बुद्धिमान व सभ्य व्यक्ति आपको आकर्षित करता है। आप शांतिपूर्वक उसकी बात सुन सकती हैं और आसानी से अपनी भावनाओं को व्यक्त नहीं करती हैं।
14👉 अपनी मित्रता और वैवाहिक जीवन में सुरक्षा व दृढ़ता रखना पसंद करती हैं। ये अपने पति के प्रति विश्वसनीय होती है और वैसा ही व्यवहार अपने पति से चाहती हैं।
15👉 आपको ज्योतिष आदि में रुचि हो सकती है। आपको नई-नई चीजें सीखने का शौक होता है।।


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ज्योतिष ज्ञान
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सिंह लग्न में शुभाशुभ ग्रहों के योग एवं तीन ग्रहों के फल
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सूर्य-मंगल👉 लग्नेश व भाग्येश का यह योग राजयोग कारक बनता है। यह योग १,२,४,५,९ व ११ वें भावो में शुभ तथा शेष अन्य स्थानों में मध्यम होता है। इस योग के प्रभावस्वरूप जातक भाग्यशाली, उच्चपद प्रतिष्ठित एवं भूमि, जायदाद, सवारी आदि सुखों से सम्पन्न एवं जातक का विदेश या जन्म स्थान से दूर भाग्योदय होता है।

सूर्य-गुरु👉 केन्द्रेश व त्रिकोणेश का संबंध अत्यंत शुभ माना जाता है। लेकिन गुरु के यहां अष्टमेश भी होने से यह योग दोषयुक्त भी है। इस योग जेम्स जातक को बुद्धि, उच्चविद्या, प्रतिष्ठित पद, संतानादि सुखों की प्राप्ति होती है।

मंगल-गुरु👉 कुंडली मे चतुर्थेश एवं पंचमेश का योग शुभ माना गया है। इस योग के प्रभाव से जातक भाग्यशाली, उचव्यवसायिक विद्या (जैसे कम्प्यूटर, इंजीनियरिंग, डॉक्टरी आदि) क्षेत्रों में सफलता मिलती है। यह योग भूमि, जायदाद, वाहनादि सुख संपन्नता देता है।

मंगल-शनि👉 यह दोनों क्रूर ग्रहों का योग है। इस योग के प्रभाव से जातक को संघर्ष के साथ ३६ वर्ष आयु के बाद तकनीक, मेडिकल क्षेत्र तथा भूमि, वाहन एवं भाग्योन्नति होती है।

सूर्य-शुक्र👉 यह योग भी अत्यंत कठिनाई व संघर्ष के बाद (३३ वर्ष के बाद) स्त्री के सहयोग से जन्म स्थान से दूर अथवा विदेश ने विशेष उन्नति कारक होता है।

चंद्र-मंगल👉 यह योग भाग्य एवं अन्य सांसारिक सुख साधनों में उन्नति कारक होता है। विशेषकर विदेश संबंधित कार्यो में लाभ दिलाता हैं।

सूर्य-बुध👉 यह योग जातक को उच्चशिक्षित, प्रतिष्ठित, धन-संपदा, वाहन आदि कार्यो के लिये लाभदायक रहता है।

गुरु-चंद्र👉 इस योग से जातक बुद्धिमान, गुणी, परिश्रमी, एवं दूरंदेश होता है तथा पत्नी सुंदर-सुशील एवं कार्यक्षेत्र में हर तरह से सहायक होती है। द्वादश भाव मे यह योग बने तो जातक की जन्म स्थान से दूर अथवा विदेश में भाग्योन्नति होती है।

सिंह लग्न के जातको को👉 सूर्य-चंद्र, चंद्र-बुध, गुरु-शुक्र, शुक्र-मंगल, गुरु-शनि, बुध-शनि आदि योगों का फल सामान्यतः मिश्रित (शुभाशुभ) मिलता है।

गुरू-शुक्र👉 का योग जातक के कार्य क्षेत्र में संघर्ष व उतार-चढ़ाव के बाद सफलता प्रदान करता है। (मतांतर से यह योग निष्फली होता है)।

सिंह लग्न में तीन ग्रहों का फल
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सूर्य-मंगल-बुध👉 सिंह लग्न में सूर्य-मंगल व बुध एकसाथ बैठे हो तो जातक श्रेष्ठ, आत्मबली, सिद्ध, महान एवं धनी होता है। तीन ग्रहों के फल में प्रायः सर्वाधिक बलि की दशा अंतर्दशा में शुभाशुभ फल प्रकट होता है।

सूर्य-चंद्र-गुरु👉 आदि कुंडली मे एकत्रित हों तो जातक धर्मनिष्ठ, दृढ़निश्चयी, समाज मे प्रतिष्ठित, देश-विदेश, की यात्रा करने वाला, साधन-सम्पन्न होगा।

सूर्य-मंगल-गुरु👉 की युति होने पर जातक सुंदर, आकर्षक व्यक्तित्त्व, उच्चशिक्षित, मेडिकल, इंजीनियरिंग आदि में उत्तीर्ण होने वाला भूमि-जायदाद-वाहन आदि सुखों से सम्पन्न होगा।

सूर्य-बुध-शुक्र👉 की युति होने से आरम्भिक जीवन संघर्षपूर्ण एवं अत्यंत कठिनाइयों का सामना हो, विदेश में विशेष भाग्योन्नति के अवसर मिलते है।

चंद्र-मंगल, बुध-राहु के प्रभाव से जातक पराक्रमी, उच्चशिक्षित व धनाढ्य होता है।

उपरोक्त योगों का फल सम्बद्ध ग्रहों की दशा-अंतर्दशा एवं गोचर स्थिति अनुसार प्राप्त होता है।


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