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कुण्डली में कमजोर या पीड़ित शुक्र


ज्योतिष में वैसे तो नव–ग्रहों में से प्रत्येक ग्रह का अपना अलग महत्व होता है प्रत्येक ग्रह हमारे जीवन के भिन्न भिन्न घटकों को नियंत्रित करता है परंतु नौ ग्रहों में से शुक्र ग्रह का हमारे जीवन में बड़ा ही विशेष महत्व है क्योंकि शुक्र हमारे जीवन के बहुत विशेष घटकों को नियंत्रित करता है, शुक्र को ज्योतिष में सौम्य और शुभ ग्रह माना गया है ज्योतिष में वर्णित में बारह राशियों में से वृष और तुला राशि पर शुक्र का आधिपत्य है मीन राशि में शुक्र उच्चस्थ तथा कन्या में नीचस्थ होता है शनि, बुध और राहु शुक्र के मित्र ग्रह हैं।

ज्योतिष में शुक्र को धन, सुख संपत्ति, घर, जायदात, भौतिक संसाधन, ऐश्वर्य, विलासिता, वैभव, आर्थिक उन्नति और भोग का कारक माना गया है, शुक्र ही हमारे जीवन के सभी भौतिक संसाधनों और समृद्धि को नियंत्रित करता है इसलिए आज के समय शुक्र सर्वाधिक महत्व रखने वाला ग्रह माना जाता है जिन लोगों की कुंडली में शुक्र बली स्थिति में होता है उन्हें जीवन में अच्छी आर्थिक स्थिति, संपत्ति ऐश्वर्य और वैभव की प्राप्ति होती है और यदि कुंडली में शुक्र कमजोर और पीड़ित स्थिति में हो तो ऐसे में जीवन में आर्थिक विकास नहीं हो पाता जीवन में सुख संसाधनों और धन से जुडी समस्यायें उत्पन्न होती हैं और व्यक्ति आर्थिक दृष्टि से संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करता है, जन्मकुंडली में बने अन्य शुभ योगों के होने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी तो हो सकती हैं पर जीवन में ऐश्वर्य और वैभव केवल बली शुक्र से ही प्राप्त होता है ,यदि कुंडली में शुक्र पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति समान्य आर्थिक स्थिति को ही प्राप्त कर पाता है जीवन में वैभव नहीं आ पाता, और यदि कुंडली में शुक्र अति पीड़ित स्थिति में हो तो ऐसे में कुंडली में बने राजयोग भी निष्फल हो जाते हैं इसलिए कुंडली में राजयोग भी तभी अपना पूरा परिणाम देता है।

यदि कुण्डली में शुक्र नीच राशि (कन्या) में हो, अष्टम भाव में हो, केतु या मंगल के साथ होने से पीड़ित हो, सूर्य के साथ समान अंशों पर होने से अस्त हो, 0 या 30 डिग्री पर होने से कमजोर हो या अन्य किसी प्रकार पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति आर्थिक स्थिति में स्थिरता नहीं आ पाती धन को लेकर अव्यवस्था बनी रहती है और व्यक्ति का आर्थिक पक्ष उसकी महत्वकांशा के अनुरूप नहीं हो पाता, कुंडली में शुक्र पीड़ित होने पर व्यक्ति को संपत्ति की प्राप्ति के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है तथा पीड़ित शुक्र के कारण जीवन में वैभव नहीं आ पाता। पुरुषों के लिए शुक्र ही उनके वैवाहिक जीवन का कारक ग्रह होता है अतः पुरुषों की कुंडली में शुक्र पीड़ित होने पर विवाह में विलम्ब होना तथा वैवाहिक जीवन में संघर्ष की स्थिति बनी रहती है तथा पीड़ित शुक्र पत्नी से वैचारिक मतभेद और पत्नी के स्वास्थ में समस्याओं का भी कारण बनता है।

कुण्डली में शुक्र का पीड़ित या कमजोर होना स्वास्थ की दृष्टि से भी समस्याएं उत्पन्न करता है। कुंडली में यदि शुक्र नीच राशि (कन्या) में हो छटे, आठवे भाव में हो पूर्णअस्त हो अष्टमेश या षष्टेश से पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को किडनी संबंधी समस्याएं, यूरिन रिलेटिड प्रॉब्लम, डायबटीज, थाइरोइड, हार्मोन्स से सम्बंधित समस्याएं आदि स्वास्थ समस्याएं उत्पन्न होती हैं पुरुषों की कुण्डली में शुक्र अति पीड़ित होने पर स्पर्म काउंट की समस्या तथा स्त्री की कुंडली में शुक्र अति पीड़ित होना मासिक धर्म से सम्बंधित समायें भी उत्पन्न करता है।

कुंडली में शुक्र पीड़ित होने पर यदि उपरोक्त समस्याएं उत्पन्न हो रही हों तो निम्नलिखित उपाय लाभदायक होंगे।

  1. ॐ शुम शुक्राय नमः का नियमित जाप करें।
  2. प्रत्येक शुक्रवार को चावल की खीर गाय को खिलाएं।
  3. श्री सूक्त का प्रतिदिन पाठ करें।
  4. किसी योग्य ज्योतिषी से परामर्श लेकर यदि आपके लिए शुभ हो तो “ओपल” रत्न धारण कर सकते हैं।

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