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अष्टांग योग :-

ध्यान की सरल क्रिया –

   *यम, नियम,आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार और धारणा के पश्चात ध्यान क्रम सें आता है, इसके बाद समाधि की स्थिति आती है।*

    सर्वप्रथम आप घर में अथवा अन्य एकांत स्थान में प्रतिदिन ध्यान के लिए प्रबंध कर लें ।   

सुखासन अथवा अन्य अपनें अनुकूल आसन में बैठकर पहले सामर्थ्यनुसार प्राणायाम करें।
अब मन को ज्ञानेन्द्रियों के विषयों से हटाने के लिए पहले मन को ज्ञानेन्द्रियो के विषय में लगाकर थका देना होगा इसके लिए पहले मन को स्पर्शेन्द्रीय अर्थात त्वचा पर लगायें क्रमश पूरे शरीर की त्वचा पर ठंडक गर्माहट खुजली या अन्य क्रिया पर मन को लगाएं उसे महसूस करें ।
इसके बाद घ्राणेन्द्रिय अर्थात नासिका द्वारा आसपास से आनें वाली विभिन्न प्रकार की गंधों का अनुभव करें यदि कोई गंध नही है, तो भी मन से कल्पना करके विभिन्न प्रकार की गंधों का अनुभव करते जाए।
अब मन को कानों से सुनाई पड़ने वाली विभिन्न प्रकार की ध्वनियों पर केन्द्रित करें पहलें तेज ध्वनि सुनें फिर सूक्ष्मता की और बढ़ते हुए अंत मे अपनें अंदर की ध्वनि नाद को सुनें।

   अब मन को स्वादेन्द्रिय अर्थात जिह्वा पर लगायें।जीभ से क्रमश:कल्पना करके छ:रसों कडुआ, कषाय, मिर्च वाला चरपरा,खट्टा ,नमकीन व मीठा को अनुभव करें। 

     अब बंद आंख रखतें हुए मन की आंखों से सामने आस पास की वस्तुओं को देखने का प्रयत्न करें अथवा काल्पनिक दृश्य फूलों का बगीचा ,नदी ,वन आदि बनाकर देखते जाएं।
   सभी पांचों इंद्रियों को प्रारंभ में २ मिनट, बाद में धीरे धीरे समय बढ़ाकर ५ मिनट तक ले जाएं। 
    अब आपका मन निश्चय ही इंद्रियों के विषयों से थक चुका होगा अब ध्यान के लिए आप तैयार है ।

     इसके बाद आप अपने मन को अंदर हृदय स्थान में लगा दीजिये और परमात्मा के,सत,चित,आनंद,निराकार ,अजन्मा,निर्विकार,निर्विशेष, ज्ञानस्वरूप,अभय,नित्य ,अजर,अमर,अविनाशी, सर्वज्ञ,सर्व शक्तिमान,सर्वव्यापक, सर्वेश्वर,सर्वाधार,सर्वगुण सम्पन्न, सर्वगत, अनादि,अनुपम,दयालु,सृष्टिकर्ता ,अक्षर, सबका साक्षी,अन्तर्यामी  आदि गुणों का अर्थ समझतें हुए शुद्ध बुद्धि,मन से परमात्मा का ध्यान करें ।

अब मन को हृदय में स्थिर रखतें हुए ओ३म् का अर्थ सहित ध्यान करते जाएं मन सहित समस्त इंद्रियाँ अब स्थिर होने लगेगी । इसका अभ्यास आरम्भ में १५ मिनट से बढ़ाकर धीरे धीरे २ घंटे तक बढ़ा सकतें है अथवा इस समय को १–१ घंटे दों या तीन बार में ध्यान करें।

रात में जब सब सो जाएं तब न्यूनतम १ घंटा ध्यान करें और प्रातः काल में सबके जागने से पूर्व न्यूनतम १ घंटा ध्यान करें। बाद में सो सकते है । दिन में भी जब मन प्रसन्न हो ध्यान कर सकते हैं।

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