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: आर्थिक स्थिरता कैसे प्राप्त करें
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प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि उस पर लक्ष्मी की विशेष कृपा हो और उसके पास खूब पैसा आए। इसके साथ-साथ वह यह भी चाहता है कि उसके पास जो पैसा आए वह उसके पास बना भी रहे अर्थात किसी अनावश्यक कार्य में उसका पैसा खर्च नहीं हो। इसलिए यहां हम आपको कुछ ऐसे सरल उपाय बता रहे हैं जिनके करने से आप माता लक्ष्मी की स्थाई कृपा प्राप्त कर सकते हैं। माता लक्ष्मी की कृपा से आपको आर्थिक स्थिरता प्राप्त होगी वैसे तो यह उपाय सभी के लिए लाभदायक हैं परंतु विशेषकर उनके लिए अधिक लाभदायक हैं जिन्हें यह अनुभव होता है कि उनके खर्चे अधिक हैं अथवा उनके पास धन अधिक रुकता नहीं है। आप निम्न उपायों में से किसी भी उपाय को कर लाभान्वित हो सकते हैं।

1👉 यदि आप सदैव के लिए आर्थिक स्थिरता चाहते हैं तो अपने जीवन में एक नियम बना लें आप नौकरी पेशा हो अथवा कोई व्यवसाय करते हो आपकी जब भी आय हो तो उस आय को सर्वप्रथम माता लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श अवश्य कराएं। स्पर्श के बाद जहां भी आप धन रखना चाहते हो वहां रख सकते हैं। यह उपाय आपको बहुत छोटा लगेगा परंतु लाभदायक बहुत है।

2👉 आप अपनी आय में से कुछ हिस्सा प्रभु के नाम पर अवश्य खर्च करें यह राशि 1 रु से लेकर आपकी सामर्थ के अनुसार अधिक भी हो सकता है जितना अधिक होगा उन्नति भी उतनी ही अधिक समझें।

3👉 आप जब भी बैंक में धन जमा कराने जाएं तो कोशिश करें कि दोपहर में 11:30 से 12:45 के मध्य ही कराएं यह आपके लिए बहुत अधिक लाभदायक होगा और आपको बार-बार धन जमा कराने का सौभाग्य प्राप्त होगा।

4👉 बैंक संबंधित कोई भी कार्य करते समय आप मानसिक रूप से महालक्ष्मी का स्मरण अवश्य करते रहे अथवा महालक्ष्मी का कोई मंत्र जाप करते रहें।

5👉 आप जब बैंक में धन जमा कराने जाएं तो भी आप धन को मां लक्ष्मी के चरणों से स्पर्श कराकर ही जमा कराएं।

6👉 कभी भी आप अपना धन किसी को भी घर अथवा व्यवसाय स्थल के द्वार पर ना दें।

7👉 जो नौकरी पेशा लोग हमेशा ही किसी ना किसी अनावश्यक खर्चों से परेशान रहते हैं यह उपाय उनके लिए है। आप जब भी अपना वेतन लेने जाएं अथवा जिस दिन आपको वेतन दिया जाता है उस दिन आप अपनी जेब में लाल रुमाल अथवा लाल गुलाब का फूल रखकर जाएं। लाल फूल अगर जेब में रखना है तो प्रातः स्नान कर मां लक्ष्मी को पुष्प अर्पित करें और नौकरी पर जाते समय जेब में डाल ले लौटकर जब आप आए तो सारा वेतन मां के चरणों में रखकर कुछ समय बाद पुनः उठा ले और अपने काम में लगाएं। ऐसा करने से आप पर जो अनावश्यक खर्चे आते हैं उनमें कमी आएगी।

8👉 महीने में कम से कम एक बार किसी कन्या को कोई उपहार अथवा कोई भोज्य सामग्री अवश्य दें कन्या की आयु 9 वर्ष से कम होनी चाहिए।

9👉 बैंक में यदि संभव हो तो धन गुरुवार के दिन जमा कराएं इससे अति शीघ्र दोबारा धन जमा कराने के अवसर प्राप्त होते हैं।

10👉 नौकरी पेशाओ को जब भी वेतन मिले या व्यवसायियों की जब भी आय हो तो यथासंभव उसे उसी दिन खर्च ना होने दें। पूरी रात्रि मां लक्ष्मी के चरणों में रखे रहने दें अगले दिन से उसका उपयोग कर सकते हैं। ऐसा करने से फिजूलखर्च में नियंत्रण आएगा।

11👉 कभी भी राहु काल में धन का लेन-देन ना करें।

12👉 यदि आप व्यवसाय करते हैं और आपको धन का लेनदेन करते रहना होता है अथवा अपने कर्मचारी वर्ग को कोई भुगतान करना है तो प्रयास करें कि धन का लेनदेन संध्याकाल में ना करें। यदि आप यह नियम बना लेंगे तो फिर सारी परिस्थिति आपके इस नियम के अनुकूल ही होने लगेगी। ऐसा माना जाता है कि संध्या के समय दिया गया धन अधिकाधिक व्यर्थ के खर्चों लेकर आता है। इसलिए जो इस बारे में जानते हैं वे कभी संध्याकाल में धन का लेन-देन नहीं करते।

13👉 आप जब भी धन लेकर आए तो कभी भी हाथ पैर धोकर घर में प्रवेश ना करें।

14👉 यदि आप किसी को धन देकर आए हैं तो फिर अवश्य अपना हाथ पैर धोकर ही घर में प्रवेश करें।

15👉 यदि आप कहीं से आ रहे हैं और आपको कोई बहुत अच्छी सुगंध अनुभव हो तो आप उस सुगंधित सामग्री को अवश्य अपने निवास में लेकर आएं। यह संकेत आपके लिए माता लक्ष्मी के आपके निवास में प्रवेश होने का है।

16👉 आपको कभी किसी निर्जन स्थान पर बिल्ली दिखाई दे तो जिस स्थान पर बिल्ली बैठी है उस स्थान की थोड़ी सी धूल अवश्य लाएं। उस धूल को लाल रंग के वस्त्र में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें।

17👉 यदि आप अनुभव करते हैं कि किसी विशेष व्यक्ति की नजर आपके धन के लिए अशुभ है और उसके कारण ही आपके निवास में धन रुकता नहीं है तो आप यह उपाय अवश्य करें। माह के प्रथम बुधवार को किसी ऐसे स्थान पर जाएं जहां पर बकरी रहती है। जिस स्थान पर बकरी बैठी हो उस स्थान की थोड़ी सी धूल लाकर हरे रंग के वस्त्र में बांधकर घर में किसी सुरक्षित स्थान पर रख दें।

18👉 यदि आप का खर्च अधिक होता है तो आप प्रथम बुधवार को बकरी के बैठने के स्थान की मिट्टी का प्रयोग तो ऊपर बताये अनुसार ही करें। साथ ही बकरी की थोड़ी सी मल (मींगनी) ला कर अपने निवास में ही किसी कच्चे स्थान में दबा दें।

19👉 यदि आपकी पत्नी यह उपाय करें तो बहुत ही अधिक शुभ होगा आप जिस स्थान पर अपना धन अथवा स्वर्ण सामग्री रखते हैं। उसी स्थान पर सांध्य काल में 3 अगरबत्ती अवश्य अर्पित करें।

कुण्‍डली में ग्रहों के प्रभाव दिखाने का समय ।

कुण्‍डली में नौ ग्रह अपना समय आने पर पूरा प्रभाव दिखाते हैं। वैसे अपनी दशा और अन्‍तरदशा के समय तो ये ग्रहअपने प्रभाव को पुष्‍ट करते ही हैं लेकिन 22 वर्ष की उम्र से इन ग्रहों का विशेष प्रभाव दिखाई देना शुरू होता है। जातककी कुण्‍डली में उस दौरान भले ही किसी अन्‍य ग्रह की दशा चल रही हो लेकिन उम्र के अनुसार ग्रह का भी अपना प्रभावजारी रहता है। देखते हैं कि ज्‍योतिष के अनुसार उम्र में कौनसा ग्रह प्रभावी होता है-

22 से 24 वर्ष

इस समय सूर्य का प्रभाव अधिक रहता है। आदमी टीन एज को पार कर वयस्‍क अवस्‍था मेंपहुंचता है। अधिकार बढते हैं और आंखों में सूर्य का तेज झलकने लगता है। इस समय जो व्‍यक्ति झूठ से दूर रहता है औरकिए गए वादे निभाता है सूर्य लम्‍बे समय तक उसके साथ रहता है। यह वय बीत जाने के बाद भी सूर्य का प्रभाव बना रहता है। सूर्य प्रभावी लोगों के लिए जहां यह उत्‍तम काल होता है वहीं शनि एवं राहू प्रभावी लोगों के लिए कष्‍टकारीसमय होता है।

24 से 25 वर्ष

यह चंद्रमा का काल होता है। नए आइडिया आते हैं। दिमाग अधिक उपजाऊ हो जाता है। जातक अपनाविस्‍तार करता है। पढाई, नौकरी, परिवार या अन्‍य उन क्षेत्रों में जिन में वह पहले से लगा होता है। इस समय जातककी आंखों में शीतल चमक आने लगती है। ये शुद्ध प्रेम का काल होता है।

25 से 28 वर्ष

यह शुक्र का काल है। इस काल में जातक में कामुकता बढती है। शुक्र चलित लोगों के लिए स्‍वर्णिमकाल होता है और गुरू और मंगल चलित लोगों के लिए कष्‍टकारी। मंगल प्रभावी लोग काम से पीडित होते हैं और शुक्रवाले लोगों को अपनी वासनाएं बढाने का अवसर मिलता है। इस दौरान जो लव मैरिज होती है उसे टिके रहने की संभावना अन्‍य कालों की तुलना में अधिक होती है। शादी के लिहाज से भी इसे उत्‍तम काल माना जा सकता है।

28 से 32 वर्ष

यह मंगल का काल है। हालांकि मंगल को उग्र बताया गया है लेकिन यह 28 वर्ष की उम्र के बाद अपनेसर्वाधिक शानदार परिणाम देताह है। गौर करें कि वास्‍तव में मंगल सेनापति होता है। यानि पराक्रम और बुद्धि कौशलसाथ-साथ ऐसे में गधिया पच्‍चीस (25 साल की उम्र तक जवान लोग काफी बेवकूफियां करते हैं कभी जोश में तो कभीअज्ञान में इसलिए इसे गधिया पच्‍चीसी कहता हूं।) का समय बीत जाने के बाद जातक सेनापति बनने के लिए तैयारहोता है। अपने परिवार के लिए, कैरियर के लिए या फिर आपदाओं पर नियं‍त्रण के लिए।

32 से 36 वर्ष

यह बुध का काल होता है। जातक अपने भले बुरे के अलावा आगामी जीवन के बारे में अधिक कुशलतासे सोचने लगता है। बच्‍चों और संबंधों पर अधिक गौर किया जाता है। बुध का काल इतना अधिक प्रभावी औरमहत्‍वपूर्ण है कि इसे छोटे पैराग्राफ में समेटा नहीं जा सकता। लेकिन इतना कहा जा सकता है कि यह परिवर्तन कासबसे महत्‍वपूर्ण काल होता है। इसके बारे में चर्चा बाद में विस्‍तार से करूंगा।

36 से 42 वर्ष

शनि का काल। यह रुककर देखने का समय है कि चल क्‍या रहा है। बाकी लोग क्‍या कर रहे हैं। लम्‍बीप्‍लानिंग बनती है। व्‍यवस्‍थाएं स्थिरता की ओर जाती है। लम्‍बे एग्रीमेंट होते हैं जो जीवन को स्‍थाई बनाने का प्रयासकरते हैं। जातक इस काल में घर भी बना लेता है। परिवार को जमाने का काम किया जाता है।

42 से 48 वर्ष

राहू का समय। यह विशुद्ध रूप से चिंता का काल होता है। इस समय आदमी चिंतन करता है। हर बातपर। चाहे वह उससे संबंधित हो या न हो। इन्‍हें थिंक टैंक की बजाय चिंता का टैंक कहा जा सकता है। कई लोग इसदौरान डूम शोवर हो जाते हैं। यानि उन्‍हें लगता है कि बस बहुत हो गया अब तो प्रलय आ ही जाएगी।

48 से 54 वर्ष

यह सक्रिय जीवन का लगभग अंतिम काल है। यह केतू का समय है। इस समय जातक जिस काम को अब तक करता आया है उसे लगातार करता रहता है। उससे पीडित भी रहता है और उसे ढोता भी है। यानि रो धो करयह काल निकालता है। विकास कितना होता है यह तो स्‍पष्‍ट नहीं होता लेकिन काम बहुत रहता है। जो लोग 48 सेपहले खाली बैठे होते हैं उनके इस काल के दौरान खाली बैठे रहने की संभावना अधिक होती है। कार्यशील लोग नयाकाम करने की बजाय जिस काम में लगे हैं उसी में लगे रहते हैं।

इसके बाद का समय प्रभावी नहीं माना गया है। ऊपर बताए गए ग्रह और समय अन्‍य ग्रहों की दशा में भी अपना प्रभावदिखाते हैं। यह एक सामान्‍य नियम है हर कहीं लागू नहीं होता लेकिन अन्‍य ग्रहों की गणना के दौरान ज्‍योतिषी इसकाभी ध्‍यान रखते हैं इससे प्रॉब्‍लम सॉल्‍व करने में मदद मिलती है।

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