Phone

9140565719

Email

mindfulyogawithmeenu@gmail.com

Opening Hours

Mon - Fri: 7AM - 7PM

🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸🌞🌸

    Pravachan 

      

🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻☘🌻

                               *यह समस्त सृष्टि निरन्तर चलायमान है ! जो कल था वह आज नहीं है जो आज है वह कल नहीं रहेगा | कल इसी धरती पर राम कृष्ण आदि महान पुरुषों ने जन्म लिया था जो कि आज नहीं हैं ! आज हम सब इस धरती पर जीवन यापन कर रहे हैं कल हम भी नहीं रहेंगे ! हमारी आने वाली पीढ़ियां इस धरती पर विचरण करेंगी | जहाँ कल नदियाँ थीं वहाँ आज मैदान दिखाई पड़ता है | जहाँ घने जंगल एवं पर्वत श्रृंखलायें थी वहाँ आज ऊँचे - ऊँचे भवन एवं बस्तियाँ दिखाई पड़ रही हैं | इस संसार में कुछ भी स्थाई नहीं है | यहाँ जो भी आया है उसका विनाश अवश्य होना है | इस संसार में यदि कुछ शेष रह जाता है तो वह है मनुष्य के कर्म एवं उसका नाम | यहाँ महान कर्म करने वालों को यदि याद किया जाता है तो बुरे कर्म करने वाले स्मरण किये जाते हैं परंतु याद करने के भावों में परिवर्तन आ जाता है | मनुष्य को जीवन में सदैव ऐसे कर्म करने चाहिए कि उसके न रहने के बाद भी यह संसार उनको याद करता रहे | किसी से द्वेष , बैर  आदि रखकर किसी का अपमान करके या कुछ अनिष्ट करके मनुष्य कुछ पल के लिए तो स्वयं में प्रसन्न रह सकता है परंतु यह प्रसन्नता स्थाई नहीं रह सकती , क्योंकि यहाँ स्थाई कुछ भी नहीं है | मनुष्य अपने कर्मों के माध्यम से ही सुख , दुख प्रशंसा एवं बुराई प्राप्त करता है | मनुष्य परिवार में जन्म लेकर इस धराधाम पर विकास करता है उसके इस विकास में जहाँ माँ ने अपनी नींद , भूख , प्यास एवं आवश्यक आवश्यकताओं का त्याग किया होता है वहीं पिता ने दिन रात मेहनत करके उसे कुछ बनाने का प्रयास किया होता है ! मनुष्य को यह कभी नहीं भूलना चाहिए |*

आज संसार में मनुष्य की वह स्थिति हो गयी है कि जिसका वर्णन कर पाना ही मुश्किल है | आज सारा संसार राग , द्वेष , अहंकार के वशीभूत होकर अपना क्रियाकलाप सम्पादित कर रहा है | जहाँ विश्व के अनेक देश एक दूसरे के प्रति आमने – सामने खड़े हैं वहीं समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार भी इससे अछूता नहीं रह गया है | आज मनुष्य जैसे ही कोई उच्चपद या तनिक धन पा जाता है उसको ऐसा प्रतीत होने लगता है कि इस समय मेरे समान कोई नहीं है | उस पदलोलुपता या धनलोलुपता में वह परिवार एवं समाज के लोगों को तुच्छ समझने लगता है | हद तो तब हो जाती है जब मनुष्य अपने माता पिता तक को ठुकरा देने का दुस्साहस कपने लगता है | जिन मित्रों के माध्यम से वह उच्चपद पर आसीन होता है उन्हीं को वह बैरी मानकर दुत्कारने का प्रयास करने लगता है | ऐसे सभी लोगो से मेरा यही पूछना है कि क्या वह माँ की रातों की नींद वापस कर सकता है ? क्या पिता का समय या मित्रों का किया गया मार्गदर्शन वापस कर सकता है ?? शायद नहीं | आज जो जिस पद पर है वह उसी पद पर बना रहेगा यह आवश्यक नहीं है | अपने प्रेम एवं सम्बन्धों को बनाकर रखिये इस लम्बे जीवन में पता नहीं कब किसकी आवश्यकता पड़ जाय | चिड़िया आकाश में फर्राटे भरते समय यदि यह विचार करे कि पृथ्वी एवं पृथ्वीवासी तुच्छ हैं , मेरे समान नहीं हैं क्योंकि मैं तो आकाश में उड़ रही हूँ | विचार कीजिए कि वह आकाश में कब तक रह सकती है ? कभी तो वह समय आयेगा जब उसको पृथ्वी पर उतरना ही पड़ेगा |

यदि सम्भव हो सके तो सबसे प्रेमभाव बनाकर रखे ! न सम्भव हो तो द्वेषभाव भी न रखकर समभाव बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए |

 🌺💥🌺 *जय श्री हरि* 🌺💥🌺

🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥🌳🔥

♻🏵♻🏵♻🏵♻🏵♻🏵♻

🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀🌟🍀

Recommended Articles

Leave A Comment