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फल अडूसा के फल, पत्तो के औषधीय गुण तथा फायदे

क्या आप जानते है अडूसे का पौधे कई बीमारियों को दूर करने में मदद करता है | अडूसा का प्रयोग अधिकतर औषधि के रूप ही किया जाता है | अडूसा का पौधा 4-10 फुट तक ऊँचा होता है। अडूसा के पत्ते 3-8 इंच लम्बे होते हैं और इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। इसके फल में 4 बीज होते हैं। अडूसा खाने में जितना स्वादिष्ट लगता है, उसके खाने और रस के सेवन से उतने ही अधिक गुणकारी तत्त्व शरीर को मिलते हैं। अडूसा पौष्टिक होने के साथ ही शरीर की कमजोरी को दूर करके, रक्तवृद्धि करता है और अनेक रोग-विकारों को नष्ट करता है। अडूसे के सेवन से सांस और (खांसी) के प्रकोप में बहुत लाभ होता है, खांसी या अस्थमा की शायद ही ऐसी कोई आयुर्वेदिक दवाई हो जिसमें इसे न डाला जाता हो । चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार अडूसा पेशाब रूकने की बीमारी, वात विकृति से उत्पन्न रक्त प्रदर (ल्यूकोरिया), शुष्क कास (खांसी), रक्त पित्त (नाक व मुंह से रक्त निकलने पर), शोथ (सूजन), नेत्र रोग, अम्लपित्त और वमन आदि रोग-विकारों में बहुत लाभ पहुंचाता है |

चिकित्सक अडूसा को यक्ष्मा (टी. बी.) में बहुत गुणकारी मानते हैं। अडूसे के रस के सेवन से शरीर में गर्मी कम होती है। गर्मियों में अडूसे का शर्बत पीने से तेज गर्मी और तेज प्यास का निवारण होता है। अडूसे के पत्ते, फूल और छाल भी विभिन्न रोग-विकारों में बहुत लाभ पहुंचाते हैं।

अडूसा के गुणकारी औषधीय उपयोग
अडूसा के फल पत्तो के औषधीय गुण तथा फायदे adusa ke aushadhiya gun fayde
अडूसा

अडूसा का रस खांसी की सबसे गुणकारी औषधि है। स्वादिष्ट होने के कारण सभी छोटे-बड़े व्यक्ति बहुत रुचि से इसका सेवन करते हैं।
अडूसेके का़ढ़े में शहद मिलाकर देने से खाँसी में आराम मिलता है।
अडूसे के पत्तों का रस 20 ग्राम मात्रा में पिलाने से आंत्रकृमि बहुत जल्दी नष्ट होते हैं।
अडूसा के रस का सुबह-शाम कुछ सप्ताह सेवन करने से रक्त-पित्त की बीमारी ठीक होती है।
खेलने-कूदने से बच्चों की नाक से रक्तस्राव होने पर अडूसे के रस का सेवन कराने से बहुत लाभ होता है।
अडूसा के पत्तों का रस 15-20 ग्राम मात्रा में दिन में दो बार सेवन करने से छाती में एकत्र कफ (बलगम) निष्कासित होता है।
अडूसे के पत्तों को पानी में उबालकर, छानकर पिलाने से खांसी की बीमारी ठीक होती है और कफ भी सरलता से निकल जाता है।
अडूसे के फूलों को रात में पानी में डालकर रखें। प्रातः उठकर उन फूलों को मसलकर उस जल को छानकर पीने से पेशाब का अवरोध ठीक होने के साथ ही जलन का भी निवारण होता है।
अडूसे के ताजे, कोमल पत्तों का रस निकालकर 10 मिलीलीटर मात्रा में तथा बराबर मात्रा में मिसरी मिलाकर दिन में दो-तीन बार सेवन करने से ऋतुस्राव में अधिक रक्तस्राव की विकृति ठीक होती है।
अडूसे के रस में शहद मिलाकर दिन में चार-पांच बार चटाने से अस्थमा रोगी का कफ सरलता से निकल जाता है।
अडूसे के रस में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से स्त्रियों के रक्त व श्वेत प्रदर में बहुत लाभ होता है। मूत्राघात की बीमारी भी ठीक होती है।
अडूसे के फूलों को छाया में सुखाकर, कूट-पीसकर चूर्ण बनाकर रखें। इस चूर्ण में गुड़ मिलाकर सेवन करने से सिरदर्द में बहुत लाभ होता है।
टी बी रोग में अडूसा का स्वरस 20 मि.ली. की मात्रा में एक चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार दें। रोगी को आराम मिलेगा
टी बी रोग एक भाग पिप्पली चूर्ण लें। 4 भाग मिस्त्री और 16 भाग अडूसा के स्वरस को मंद आंच पर पकाएं। गाढा होने पर पिप्पली चूर्ण इसमें मिला लें। फिर इसमें दो भाग गाय का घी मिलाकर बार-बार चलाएं। ठंडा होने पर इसमें चार भाग शहद मिलाएं। एक से दो चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम रोगी को चटाएं।
10 ग्राम खरबूजे के बीज और अडूसे के पत्ते बराबर लेकर पीस लें। इसका सेवन करने से पेशाब खुलकर आता है और आपका पेट भी साफ़ रहता है।
अडूसे के सूखे फूलों को कूट-छानकर उसमें दुगुनी मात्रा में बंगभस्म मिलाकर, शीरा और खीरा के साथ खाने से शुक्रमेह खत्म हो जाता है।
अडूसा के पत्तों का रस और चूर्ण खूनी बवासीर की बहुत असरदार दवाई है |
अडूसा के मूल का क्वाथ पीने से बुखार ठीक होता है।
अडूसा के पत्तियों को गर्म करके जोड़ो के दर्द वाले स्थान पर लगाने से दर्द फ़ौरन चला जाता है।
अडूसा के फूलों को सुखाकर पीस लें। इस पाउडर में थोड़ी सी मात्रा में गुड़ मिलाकर उसकी छोटी छोटी गोलियाँ बना लें। रोजाना इस एक गोली के सेवन से सिर दर्द की समस्या खत्म हो जाती है।

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