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वृहस्पति क्या है कुंडली मे मन्थन यह सबसे शुभ ग्रह है जिसको सभी एक मत से स्वीकार भी करते है यह ज्ञान भक्ति आदि चीजो का कारक है तो जब यह किसी भी कुंडली मे जब यह राहु से पीड़ित हो तो जातक शराब का सेवन अवश्य करता है क्योंकि राहु एक तामशिक ग्रह है यह जब जब भी यह किसी भी कुंडली से गोचर के दौरान लग्न , 3 भाव , सप्तम , और 11 भाव मे आता है तो जातक के विवाह के योग बनता है और यदि यह चन्द्र लग्न से भी इन भावों में हो तो उस साल निश्चित ही विवाह हो जाता है वैसे गोचर के दौरान यह हर 3 साल अपना प्रभाव दिखाता ही है जब यह गोचर में लग्न , 5 , नवम और एकादश भाव मे आये तो सन्तान सुख प्राप्त होता है इसी प्रकार जब यह दूसरे , चतुर्थ , 6 और दशम भाब में आता है तो व्यवसाय आदि में सफलता देता है नया आरम्भ होता है वैसे यह जब गोचर में से 4-6-8-10-12 भाव मे आता है तो कष्ट कारक होता है जिसमे 4 में माता को कष्ट और दशम में पिता को कष्ट देता है शेष जगह जातक खुद को कष्ट दायक होता है वैसे यह शुभ ग्रह है तो केंद्र भाव मे थोड़ा कष्ट दायक होता है तो मिथुन और कन्या लग्न के लिए यदि यह असुभ स्तिथि में हो तो बहुत कष्ट देता है वैसे यह 1 साल के अंदर एक राशि को पार कर लेता है यह सुख समृद्धि का कारक है तो इसकी दृष्टि विशेष शुभ होती है और यह 5-7-9 भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है जिस भाव पर दृष्टि हो उस भाव की बहुत वृद्धि हो जाता है पर स्थान हानि यह करता है वैसे इसका शत्रु ग्रह है शुक्र है तो गुरु शुक्र की युति ज्यादा शुभ फल दायक नही होती है महिलाओ में यह सौभाग्य और पति सुख का कारक होता है तो जिन महिलाओं का गुरु अच्छा होता है उनको उतना ही अच्छा पति का सुख मिलता है शनि गुरु की युति संसार से दूर करके सन्यास में मन लगाती है अध्यात्म की और ज्यादा रुचि होती है

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