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।।जय माता दी।।

मारकेश क्या है-

हर लग्न के ‘मारक’ अधिपति भी अलग-अलग होते हैं। मारकेश की दशा में बीमारी, मानसिक परेशानी, वाहन दुर्घटना, दिल का दौरा, नई बीमारी का जन्म लेना, व्यापार में हानि, मित्रों और संबंधियों से धोखा तथा अपयश जैसी परेशानियां आती हैं। कुंड़ली में अष्टम भाव, जीवन-अवधि के साथ-साथ जीवन के अन्त के कारण को भी प्रदर्शित करता है। अष्टम भाव एंव लग्न का बली होना अथवा लग्नेश का लग्नगत होना या अष्टमेश का अष्टम भावगत होना दीर्घायु का द्योतक है। शनि का मारक ग्रहों के साथ संबंध हो तो वह सभी मारक ग्रहों का अतिक्रमण कर स्वयं मारक हो जाता है। मिथुन एवं कर्क लग्न में शनि अष्टमेश, मीन एवं मेष लग्न में एकादशेश, सिंह एवं कन्या लग्न में वह षष्ठेश तथा वृश्चिक एवं धनु लग्न में शनि तृतीयेश होता है। इन आठ लग्नों की कुंडली में शनि पापी होता है।

किस लग्न का कौन मारकेश-

मेष के लिए शुक्र, वृषभ के लिये मंगल, मिथुन के लिए गुरु, कर्क और सिंह के लिए शनि, कन्या लग्न के लिए गुरु, तुला के लिए मंगल, वृश्चिक के लिए शुक्र, धनु लग्न के लिए बुध, मकर के लिए चंद्र, कुंभ के लिए सूर्य, और मीन लग्न के लिए बुध मारकेश है।

ध्यान रखें, कि मारकेश का अर्थ मृत्यु ही नहीं है, बल्कि ज्योतिष में मृत्यु के आठ प्रकार माने गये हैं। सिर्फ शरीर से प्राण निकलना ही मृत्यु की श्रेणी में नही आता बल्कि शास्त्रों में आठ प्रकार की मृत्यु का वर्णन है। व्यथा, हमेशा शत्रुओं से घिरे रहना, अपंगता, अपमानित होना, भय, शोक, लज्जित होना और शरीर से प्राण निकलना।

पोस्ट का मकसद सिर्फ इतना है, कि मात्र मारकेश नाम से घबराने की जरुरत नहीं है बल्कि उसका प्रकार और प्रभाव भी जानना चाहिये एवं उसके अनुसार खुद में बदलाव या उपाए करने चाहिए।
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